UP Politics फर्रुखाबाद में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर एक्शन पर अखिलेश यादव ने जमकर निशाना साधा है। उन्होंने इसे प्रतिशोध की राजनीति करार दिया है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा बसे-बसाये घरों को गिराकर सुख पाती है। उन्होंने कहा कि हर गिरते घर के साथ भाजपा भी और भी नीचे गिर जाती है। ये राजनीतिक क्रूरता की हद है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर एक्शन जारी है। फर्रुखाबाद में 25 से 30 अवैध मकानों को बुलडोजर की मदद से ढहा दिया गया। अब इस मामले पर माहौल गरमा गया है।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा- 'ये प्रतिशोध से भरी भाजपाई राजनीति का वीभत्स चेहरा है। भाजपा बसे-बसाये घरों को गिराकर सुख पाती है। जिन्होंने अपने घर नहीं बसाये, पता नहीं वो दूसरों के घर गिराकर किस बात का बदला लेते हैं। हर गिरते घर के साथ भाजपा भी और भी नीचे गिर जाती है। '
सपा प्रमुख ने आगे कहा-
आज लोकसभा फर्रुखाबाद के विधानसभा अमृतपुर के ग्राम उखरा में सालों से बसे 25 गरीब परिवारों के घरों पर बुलडोजर चलाकर, न जाने कितने बड़े-बूढ़ों, बीमारों, बच्चों, माताओं, बहनों, बेटियों को भरी बरसात में बेघर किया गया। ये राजनीतिक क्रूरता की हद है।
प्रशासन ढहाए मकान
बता दें फर्रुखाबाद में पावर प्लांट को आवंटित की गई ग्राम पंचायत की 30 बीघा बंजर जमीन पर 30 से अधिक लोगों ने कब्जा कर मकान बना लिए। जिला प्रशासन के निर्देश के बावजूद लोगों ने जमीन खाली नहीं की। शनिवार को अधिकारियों व राजस्व टीम ने पहुंचकर बुलडोजर से मकान तुड़वा दिए। ग्रामीणों ने समय भी मांगा, लेकिन अधिकारियों ने मना कर दिया।
विकास खंड मोहम्मदाबाद की ग्राम पंचायत उखरा में स्थित लगभग 100 बीघा जमीन बंजर के नाम सुरक्षित थी। उसी भूमि को शासन द्वारा गांव में बन रहे पावर प्लांट को आवंटित किया गया। पावर प्लांट को आवंटित की गई जमीन में से लगभग 30 बीघा जमीन पर गांव के 30 से अधिक लोगों ने कब्जा कर पक्के मकान बना लिए।
लगभग 30 वर्ष बाद हुई कार्रवाई से लोग सकते में
मकानों को बुलडोजर से गिराए जाने की एकाएक शुरू हुई कार्रवाई से लोग सकते में आ गए। लोगों ने आनन फानन घरों में रखे चारपाई, बेड, टीवी, पंखे, अलमारी, बक्से, कुर्सियां, कपड़े आदि को निकालकर बाहर खुले स्थान पर रखना शुरू किया। टिनशेड आदि को टूटने से बचाने के लिए खुद ही खोलने में जुट गए।
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 30 वर्षों से मेहनत कर अपनी पूंजी से मकानों को बनाया था। मकानों को बचाने के लिए अपने खेतों से उससे अधिक जमीन देने को तैयार थे, लेकिन किसी अधिकारी ने उनकी एक भी नहीं सुनी। मकान को गिराए जाने से बच्चों को लेकर कहा रहेंगे। यह चिंता भी लोगों को सताने लगी।ग्रामीणों ने बताया कि अधिकारियों ने बिना किसी सूचना के मकानों को गिराने की कार्रवाई शुरू कर दी। और हमें बेघर कर दिया।
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