Khwaja Moinuddin Chisti Language University: लखनऊ में 12 से 51 हजार फीस में सभी कोर्स संचालित, जल्द करें आवेदन
ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय की कई खूबियां हैं बावजूद इसके छात्र-छात्राओं का एक बड़ा वर्ग यहां से दूरी बनाए हैं। दरअसल यह दूरी विश्वविद्यालय के नाम को लेकर माना जा रहा है। विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया गया है जो इसे आगे बढ़ने से रोक रहा है।
By Vrinda SrivastavaEdited By: Updated: Mon, 08 Aug 2022 09:03 AM (IST)
लखनऊ, जागरण संवाददाता। राजधानी में भाषा के नाम पर एक विश्वविद्यालय है। जिसका नाम है ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय है। सीतापुर-हरदोई बाइपास रोड पर स्थित इस विश्वविद्यालय के सामने इस समय कई तरह की विडंबनाएं हैं। इससे विश्वविद्यालय को नुकसान भी हो रहा है।
राज्य विश्वविद्यालय में शुमार इस संस्थान की कई खूबियां हैं, बावजूद इसके छात्र-छात्राओं का एक बड़ा वर्ग यहां से दूरी बनाए हुए हैं। दरअसल, यह दूरी विश्वविद्यालय के नाम को लेकर माना जा रहा है। विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया गया है जो इसे आगे बढ़ने से रोक रहा है।
संस्थान के नाम को देखकर कई छात्र यह समझते हैं कि यहां केवल अरबी फारसी भाषा की पढ़ाई होती है। जबकि ऐसा नहीं है। यहां भाषा से लेकर तकनीकी और हर विषय की पढ़ाई होती है। यह एक ऐसा कैंपस है जहां सबसे अधिक यंग फैकल्टी हैं जो बेहतरीन शिक्षा देने का प्रयास भी कर रहे हैं।
इस संस्थान के सामने एक चुनौती कनेक्टिविटी को लेकर भी हो रही है। संस्थान की दूरी और वहां तक पहुंचने के लिए पर्याप्त साधन का न होना भी इस विश्वविद्यालय के प्रवेश पर असर डाल रहा है। विश्वविद्यालय की प्रवक्ता का कहना है कि संस्थान को न तो अल्पसंख्यक का लाभ मिल पाया और न ही राज्य विश्वविद्यालय का। इसके लिए संस्थान की ओर से कई बार शासन को पत्र लिखा भी गया है कि इस ओर ध्यान दिया जाए।
हर तरह के कोर्स चलते हैं यहां : बीए, बीकाम, बीबीए, बीएजेएमसी, बीसीए, बीएससी होम साइंस, बीएससी ज्योग्राफी, बीएड, एमए, एकाम, एमबीए, एमए जेएमसी, एमसीए, एमएससी होम साइंस जैसे पाठ्यक्रम संचालित हैं। इसके अलावा पीएचडी और डिप्लोमा सर्टिफिकेट कोर्स चल रहे हैं। कई कोर्स सेल्फ फाइनेंस में भी संचालित है।
12 से 51 हजार फीस : विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों की फीस 12 हजार रुपये से 51 हजार रुपये वार्षिक है। सेल्फ फाइनेंस की फीस इससे अधिक है।
कौन थे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती : जिस ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है। उर्दू, अरबी, फारसी विश्वविद्यालय को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 2010 में स्थापित किया जो राजकीय विश्वविद्यालय है। बाद में इस विश्वविद्यालय के नाम में आंशिक परिवर्तन करके इसे ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय कर दिया गया।
इस विश्वविद्यालय में करीब छह हजार से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती सूफी संत थे। सन 1192 से पहले वह भारत में आए थे। बाद में उन्होंने भारत में सूफी मत में चिश्ती संप्रदाय की शुरुआत की थी।उन्होंने धार्मिक कट्टरता को समाप्त करने का प्रयास किया था। हिंदू और मुस्लिम को समान रूप से मानने वाले ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने इस्लाम की बंदिशों के बाद भी संगीत और कव्वाली को ईश्वर भक्ति का रास्ता बनाया, जिसकी वजह से हर धर्म के लोग उनके अनुयाई बने। अजमेर में इनकी दरगाह है।
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