पद्मश्री सम्मान पाने वालों में… ‘ब्रास के बाबू’ भी, यूपी का वो नागरिक, जिसने अपनी कला से रोशन कर दी लोगों की जिंदगी
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या गुरुवार को पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई है। सरकार ने पद्म विभूषण पद्म भूषण और पद्म श्री के नामों का एलान किया है। उत्तर प्रदेश के बाबू लाल यादव को पद्म श्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। बाबू लाल यादव को पारंपरिक शिल्पकला तकनीकों का उपयोग करके जटिल पीतल की कलाकृतियां बनाने में छह दशकों से अधिक का अनुभव है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या गुरुवार को पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई है। सरकार ने पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री के नामों का एलान किया है। उत्तर प्रदेश के बाबू लाल यादव को पद्म श्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
बाबू लाल यादव को पारंपरिक शिल्पकला तकनीकों का उपयोग करके जटिल पीतल की कलाकृतियां बनाने में छह दशकों से अधिक का अनुभव है। ब्रास के बाबू के नाम से प्रसिद्ध बाबू लाल यादव पिछले छह दशकों से विश्व स्तर पर पीतल मरोरी शिल्पकला को दर्शा रहे हैं।
1962 से कर रहे है पीतल हस्तशिल्प का कार्य
74 वर्षीय बाबू लाल यादव 1962 से पीतल हस्तशिल्प का कार्य कर रहे हैं। इससे पूर्व उन्हें 1985 में राज्य पुरस्कार,1992 में राष्ट्रीय पुरस्कार और 2014 में शिल्प गुरु सम्मान मिल चुका है। बाबूराम यादव ने बताया कि पिता पीतल व अन्य धातुओं से तैयार होने वाले सामान पर इलेक्ट्रो प्लेटिंग का कार्य करते थे। लगभग 12 वर्ष की उम्र में पिता ने उन्हें पीतल दस्तकारी का काम सीखने के लिए अमर सिंह के पास भेजा था।दस्तकारी के गुर सीखने के बाद उन्हें काम मिलने लगा। नवीं कक्षा पास करने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और हस्तशिल्प को ही रोजगार का माध्यम बना लिया। धीरे-धीरे इसमें महारथ हासिल करते चले गए। उनकी पहचान मुरादाबाद से बाहर भी होने लगी। प्रदेश और केंद्र सरकार ने भी उनके कार्य को पहचाना और देश भर में लगने वाले हस्तशिल्प मेलों में उनके बनाए उत्पादों को प्रदर्शन के लिए भेजा। वह हस्तशिल्प मेले में अपने लाइव डेमो भी देते रहे हैं। उनकी नक्काशी देखकर लोग सराहना किए बिना नहीं रह पाते हैं।
1200 लोगों को कर चुके हैं प्रशिक्षित
बकौल बाबू राम यादव हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से चलाई गई योजना के तहत उन्हें युवाओं को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी मिली। अब तक वह 1200 लोगों को प्रशिक्षित कर चुके हैं। उनके परिवार में पत्नी और तीन बेटे हैं। तीनों बेटे भीपीतल दस्तकारी का कार्य करते हैं।इसे भी पढ़ेंं: जंगल में चल रही थी 'मौत की फैक्ट्री', पुलिस ने छापा मारा तो उड़े होश; लोकसभा चुनाव से भी है कनेक्शन
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।