Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

अनिरुद्ध यादव उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के नए अध्यक्ष

डा. अनिरुद्ध सिंह यादव उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के नए अध्यक्ष होंगे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की संस्तुति पर राज्यपाल राम नाईक ने आज उनकी नियुक्ति को अनुमोदित कर दिया।

By Nawal MishraEdited By: Updated: Sat, 12 Mar 2016 10:17 AM (IST)
Hero Image

लखनऊ। डा. अनिरुद्ध सिंह यादव उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के नए अध्यक्ष होंगे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की संस्तुति पर राज्यपाल राम नाईक ने आज उनकी नियुक्ति को अनुमोदित कर दिया। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 14 अक्टूबर को लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डा.अनिल कुमार यादव को पद से हटा दिया गया था। उच्च न्यायालय ने अनिल यादव की शैक्षिक योग्यता को पद के अनुकूल न पाने के साथ ही उनके अपराधिक रिकार्ड को देखते हुए पद से हटाने का आदेश दिया था। इसके बाद से आयोग के सदस्य सुनील जैन अध्यक्ष पद का काम देख रहे थे जिनका कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो गया था।

अनिरुद्घ के सामने चुनौतियों का अंबार

नए अध्यक्ष डा. अनिरुद्ध के सामने चुनौतियों का अंबार होगा जिनसे उनका रूबरू होना तय है और उससे पार पाना असंभव तो नहीं, लेकिन मुश्किल जरूर होगा। आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल की सीबीआइ जांच की मांग अब भी बरकरार है। इस मांग का समर्थन करने के साथ ही शासन में पैरवी करने की अपेक्षा भी युवा कर रहे हैं। उप्र लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव की नियुक्ति हाईकोर्ट ने 14 अक्टूबर 2015 को रद कर दी थी, उसके बाद से यहां नियमित अध्यक्ष की राह देखी जा रही थी। इधर, आयोग के सबसे वरिष्ठ सदस्य एसके जैन कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में कार्य देख रहे थे। शुक्रवार को राज्यपाल ने बदायूं कालेज के प्राचार्य डा. अनिरुद्ध यादव को नया अध्यक्ष बनाया है। पांच माह में प्रतियोगियों के बीच आयोग की छवि में कुछ सुधार जरूर हुआ है, लेकिन यहां की समस्याएं पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। इसमें सबसे अहम दो अतिरिक्त अवसर की बात है। पीसीएस 2016 में सीसैट को क्वालीफाइंग कर दिया गया है, लेकिन प्रभावित युवाओं को दो अतिरिक्त अवसर नहीं दिए जा रहे हैं।

गलत प्रश्न-गलत उत्तर का मुकदमा न हो

परीक्षा केंद्र आवंटन नीति में बदलाव की मांग तेज है। आयोग में एक्सपर्ट की नई टीम गठन करने ताकि भविष्य में गलत प्रश्न एवं गलत उत्तर का मुकदमा कोर्ट तक न पहुंचे। आरटीआइ एक्ट के तहत प्रतियोगियों को जानकारी उपलब्ध कराने, छात्रों की ओर से दाखिल करीब 400 से अधिक मुकदमों का शीघ्र निपटारा करने, प्री और मुख्य परीक्षा के बीच 90 दिन का अंतर रखने, परीक्षा का वार्षिक कैलेंडर जारी कराने तथा कोई परीक्षा अन्य आयोग की परीक्षा न टकराए, सिविल सेवा परीक्षा की तर्ज पर लोकसेवा आयोग का सेलेबस तैयार कराया जाए, प्रारंभिक से लेकर साक्षात्कार तक की परीक्षा की वीडियोग्राफिंग कराने व स्केलिंग व्यवस्था सार्वजनिक करने की मांग तेजी से हो रही है। इन सारे प्रकरणों का निराकरण अब नए अध्यक्ष के जिम्मे होगा।

आयोग बनाएंगे अधिक जवाबदेह

डॉ. अनिरुद्ध सिंह यादव हाल के विवादों से बिल्कुल विचलित नहीं हैं। उनका दावा है, आयोग की पारदर्शिता को हरहाल में कायम रखा जाएगा। बता दें, अनिरुद्ध यादव हाल फिलहाल कछला स्थित गोविंद बल्लभ पंत डिग्री कॉलेज के प्राचार्य हैं। नियुक्ति के बाद दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा, वह प्रयास करने पर बल देते हैं। सफलता देना न देना ईश्वर के हाथ में है। लोक सेवा आयोग के साथ विवाद जुडऩे पर उन्होंने कहा कि अतीत को बिसरा कर आगे देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले रुहेलखंड यूनिवर्सिटी की ओर से चेयरमैन बनाए जाने की जानकारी मिली। मन बेहद प्रफुल्लित हुआ। थोड़ी देर शांतचित्त होकर खुद को इसके लिए तैयार किया। क्या एजेंडा होगा? इस सवाल पर बोले, प्रयास यह होगा कि निष्ठा व प्रतिष्ठा पर कोई आंच न आने पाए। शिक्षा क्षेत्र असीम और अपार है। पारदर्शिता और जिम्मेदारी का अहसास बेहद जरूरी है। लिहाजा लोक सेवा आयोग को अधिक प्रभावी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा। हालांकि, इस सब के बीच चेयरमैन के पद को वह चुनौती जरूर मानते हैं मगर उसे स्वीकारने के लिए वह बेहद उत्साहित हैं। डॉ. अनिरुद्ध युवाओं को लगातार प्रयास करते रहने का संदेश देते हैं।

सफलता का सफर

गंगा तीरे (कछला) गोविंद बल्लभ पंत डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ.अनिरुद्ध सिंह मूल रूप से अलीगढ़ के रहने वाले हैं। डॉ. अनिरुद्ध ने अलीगढ़, कानपुर इलाहाबाद में पढ़ाई के बाद पहली नौकरी 1984 में शिकोहाबाद के एके डिग्री कॉलेज से शुरू की थी। इसके बाद 1999-2000 सत्र में कछला आ गए।

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर