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Padma PadamShri Award 2021: रानी लक्ष्मीबाई और यश भारती के बाद अब एथलीट सुधा सिंह को पद्मश्री अवार्ड

Padma Shri Awards 2021 रायबरेली निवासी अंतरराष्ट्रीय स्तर की एथलीट सुधा सिंह को पद्मश्री पुरस्कार की घोषणा से जिले में खुशी की लहर। भाई ने बताया कि सुधा तमाम मुश्किलों से जूझी लेकिन कभी हार नहीं मानी।

By Divyansh RastogiEdited By: Updated: Tue, 26 Jan 2021 11:45 AM (IST)
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रायबरेली निवासी अंतरराष्ट्रीय स्तर की एथलीट सुधा सिंह को पद्मश्री पुरस्कार की घोषणा से जिले में खुशी की लहर।
लखनऊ, जेएनएन। Padma Shri Award 2021: साधारण परिवार में पली बेटी ने एक बार फिर उत्‍तर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है। 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने रायबरेली निवासी अंतरराष्ट्रीय स्तर की एथलीट सुधा सिंह को देश का सर्वोच्च अवार्ड पद्मश्री के लिए चुना है। इसकी सूचना मिलते ही पूरे जिले समेत सुधा के परिवारजनों में खुशी की लहर दौड़ गई। वहीं, घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ। बता दें, यह पुरस्कार पाने वाली वह प्रदेश की दूसरी महिला खिलाड़ी हैैं। इसके पहले यूपी की पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी मीना शाह को पद्मश्री मिल चुका है। 

शहर के शिवाजी नगर कॉलोनी निवासी सुधा सिंह के पिता हरिनारायण सिंह सेवानिवृत्त आइटीआइ कर्मी है। वहीं, मां गृहणी और छोटा भाई प्रवेश नारायण सिंह एफजीआइईटी में प्रोफेसर हैं। वर्ष 2003 में खेल जगत में कदम रखने वाली सुधा तमाम मुश्किलों से जूझी, लेकिन कभी हार नहीं मानी। खेल के दम प्रदेश की तत्कालीन सरकार में रानी लक्ष्मीबाई और यश भारती अवार्ड से सम्मानित हासिल कर चुकी है। वर्तमान में वह बेंगलुरू में इंडियन कैंप कर रही हैं। 

भाई प्रवेश नारायण सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी में भी घर नहीं आई। हॉस्टल में रहकर टोक्यो ओलंपिक की तैयारी कर रही हैं। हालही में उसका चयन नेशनल कैंप के लिए हुआ था। बीती 19 जनवरी को पैतृक गांव अमेठी जिले के भेटुआ ब्लॉक स्थित भीमी गांव में परिवारजनों ने संकटमोचन धाम में भंडारा भी किया था। इसकी सूचना मिलने के बाद आइटीआइ मजदूर संघ अध्यक्ष सीएम सिंह, बीपी सिंह, अमित सिंह आदि ने खुशी जताई है।

यहां तक का सफर परिवार की बदौलत संभव: स्टीपलचेज यानी एक ऐसी दौड़ जहां पग-पग पर बाधाएं। पानी भरा हिस्सा, फिर समतल जमीन। दौड़ के दौरान पानी में जंप, फिर संतुलन बनाकर ट्रैक पर फर्राटा। इन मुश्किलों को पार करने के बाद लक्ष्य तक पहुंचना। लेकिन, रायबरेली की अंतरराष्ट्रीय एथलीट सुधा सिंह ने दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत के दम पर इस खेल में न सिर्फ खुद को साबित किया बल्कि, दुनियाभर में देश का गौरव भी बढ़ाया। इस उपलब्धि पर दैनिक जागरण से बातचीत में अर्जुन अवॉर्डी सुधा सिंह कहती हैं, यह करियर का सर्वश्रेष्ठ दिन है। एक खिलाड़ी जब देश के लिए पदक जीतता है तो उसे इस तरह के बड़े सम्मान का इंतजार होता है। प्रधानमंत्री मोदी को विशेष धन्यवाद देना चाहूंगी कि उन्होंने हमारी उपलब्धि का मान बढ़ाया। सुधा ने कहा, यह अवॉर्ड पिता और परिवार को समर्पित करना चाहती हूं। सच कहूं तो अगर मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ कर सकी तो इसका श्रेय पिता को ही जाता है। यहां तक का सफर आसान नहीं था, लेकिन विपरीत परिस्थिति के बावजूद उन्होंने मेरे लिए हमेशा बड़ा सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए प्रेरणा देते रहे। शुरुआती दिनों में आर्थिक संकट के बावजूद कभी कोई कमी महसूस नहीं होने दी। आज रिजल्ट सबके सामने है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिखेरी चमक: दिग्गज एथलीट सुधा सिंह ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन की बदौलत अपनी खास पहचान बनाई है। सबसे पहले वर्ष 2009 में एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर उन्होंने सबका ध्यान खींचा। सुधा के करियर की बड़ी उपलब्धि में एक वर्ष 2010 में हुए एशियन गेम्स रहा। यहां यूपी की एथलीट ने 3000 मीटर स्टीपलचेज में प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष स्थान के साथ स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। यही नहीं, सुधा वर्ष 2013 एशियन चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। वर्ष 2018 जकार्ता एशियन गेम्स भला कौन भूल सकता है। यहां मामूली अंतर से सुधा सिंह को रजत पदक से संतोष करना पड़ा। वह लंदन और रियो ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली यूपी की पहली महिला एथलीट हैं। सुधा इन दिनों पटियाला स्पोट्र्स सेंटर में ट्रेनिंग कर रही हैं। उनका अगला लक्ष्य टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतना है।

दो दिन पहले ही सुधा की कोच विमला को मिला प्रदेश का सर्वोच्च सम्मान: गुरु और शिष्या की उपलब्धि में गजब का संयोग है। 24 जनवरी को यूपी दिवस के अवसर पर सुधा सिंह की कोच विमला सिंह को उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सर्वोच्च खेल सम्मान रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दो दिन बाद यानी 26 जनवरी को उनकी शिष्या सुधा सिंह को देश का चौथा सबसे बड़ा सम्मान देने की घोषणा की गई। सुधा करीब पांच साल तक लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में रहकर ट्रेनिंग की।

सुधा को पद्मश्री मिलना प्रदेश के लिए सम्मान की बात: सुधा सिंह के पूर्व कोच विमला सिंह कहते हैं कि सुधा को पद्मश्री मिलना सिर्फ लखनऊ या रायबरेली ही नहीं बल्कि, पूरे प्रदेश के लिए सम्मान की बात है। सुधा ने देश के कई बार गौरव के पल दिए हैं। उनकी उपलब्धि आने वाली युवा पीढ़ी को प्रेरणा देगी। सुधा सिंह इस उपलब्धि के लिए बहुत बधाई।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली उपलब्धियां

  • भोपाल और कोच्चि में 2008 सीनियर फेडरेशन कप, ओपेन नेशनल में स्वर्ण पदक
  • चीन में 2009 में एशियन ट्रैक एंड फील्ड में रजत पदक
  • ग्वांनझु में 2010 में एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक
  • जापान में 2011 में एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक
  • पूने में 2013 एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक
  • भुवनेश्वर में 2017 मेंएशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
  • जकार्ता 2018 एशियन गेम्स में रजत पदक

स्टीपलचेज में सबसे आगे: एथलेटिक्स में स्टीपलचेज काफी कठिन माना जाता है। जिला क्रीड़ाधिकारी सर्वेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि तीन हजार मीटर में सुधा सिंह लगातार सफलता हासिल कर रही हैं। ट्रैक में दौड़ के दौरान हर्डल को पार करने के बाद पानी से होकर गुजरना पड़ता है। हाल ही में स्टेडियम में उपलब्धियों का डिस्प्ले लगाया गया है।

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