लोकसभा चुनाव से पहले सपा को एक और बड़ा झटका, अब इस नेता ने राष्ट्रीय महासचिव पद से दिया इस्तीफा; लगाया बड़ा आरोप
लोकसभा चुनाव में एनडीए को हराने के लिए जिस पीडीए (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक) को ब्रह्मास्त्र मानकर सपा चल रही थी उसकी हवा तो उसके अपने ही निकाल रहे हैं। पार्टी में पीडीए की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए एक हफ्ते के अंदर ही रविवार को दूसरे राष्ट्रीय महासचिव ने रविवार को त्यागपत्र दे दिया। चुनाव से पहले सपा के भीतर चल रहा गतिरोध खुलकर सामने आने लगा है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। लोकसभा चुनाव में एनडीए को हराने के लिए जिस 'पीडीए' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को 'ब्रह्मास्त्र' मानकर सपा चल रही थी उसकी हवा तो उसके अपने ही निकाल रहे हैं। पार्टी में पीडीए की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए एक हफ्ते के अंदर ही रविवार को दूसरे राष्ट्रीय महासचिव ने रविवार को त्यागपत्र दे दिया।
राज्यसभा चुनाव में टिकटों के वितरण से नाराज पूर्व सांसद शलीम शेरवानी ने मुस्लिमों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। चुनाव से पहले सपा के भीतर चल रहा गतिरोध खुलकर सामने आने लगा है। अखिलेश यादव की 'पीडीए' मुहिम को झटके पर झटका लग रहा है।
पीडीए के ही नेता पार्टी में पीडीए को महत्व न दिए जाने का गंभीर आरोप लगा रहे हैं। सबसे पहले सपा के राष्ट्रीय महासचिव व एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी में भेदभाव का आरोप लगाते हुए 13 फरवरी को त्यागपत्र दिया था। यह त्यागपत्र उसी दिन दिया गया जिस दिन सपा के राज्यसभा प्रत्याशियों ने नामांकन किया था।
पल्लवी पटेल ने जताई थी नाराजगी
13 फरवरी के दिन ही सपा विधायक व अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल ने राज्यसभा टिकट वितरण में नाराजगी जताते हुए अपना वोट पार्टी के उम्मीदवारों को न देने का ऐलान किया था।
पल्लवी राज्यसभा में पिछड़े व अल्पसंख्यक को प्रत्याशी न बनाए जाने से खफा हैं। उन्होंने भी आरोप लगाया कि पार्टी में पीडीए की ही उपेक्षा हो रही है। दो दिन पहले 16 फरवरी को सपा के प्रदेश सचिव कमलाकांत गौतम ने भी पार्टी में उपेक्षा का आरोप लगाते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था।
रविवार को बदायूं के पांच बार के सांसद सलीम शेरवानी ने पार्टी में मुसलमानों की उपेक्षा से परेशान होकर महासचिव पद से त्यागपत्र दे दिया। राज्यसभा में किसी मुसलमान को न भेजे जाने से वे नाराज हैं। उन्होंने अगले कुछ हफ्तों के भीतर अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में निर्णय लेने की बात कही है।
बहरहाल, सपा का मूल वोटर यादव व मुस्लिम ही माना जाता है ऐसे में मुस्लिम समुदाय का खिसकना लोकसभा चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
कई पिछड़े नेता पहले ही छोड़ चुके हैं अखिलेश का साथ
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने पिछड़ों के कई नेताओं को एकत्र किया था। एक-एक कर कई पिछड़े नेता अखिलेश का साथ छोड़ते चले गए। राजभर समुदाय के नेता व सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने सबसे पहले सपा का साथ छोड़ा। इसके बाद लोनिया बिरादरी के नेता दारा सिंह चौहान ने भी सपा की विधायकी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। हाल ही में पश्चिम यूपी की जाट बिरादरी में अच्छी पकड़ रखने वाली रालोद ने भी सपा से किनारा कर लिया है।
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