अवॉर्ड वापसी के अगुआ उदय प्रकाश ने दिया अयोध्या में श्रीराम मंदिर के लिए दान, रसीद पोस्ट करते हो गए ट्रोल
प्रख्यात शिक्षाविद कवि और आलोचक उदय प्रकाश ने कहा कि मैं कोरोना के चलते मार्च से झारखंड में हूं। राम मंदिर के लिए दान पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। यह बड़ा सीधा सा मामला है सब अपनी आस्था से राम मंदिर के लिए चंदा दे रहे हैं।
By Umesh TiwariEdited By: Updated: Fri, 05 Feb 2021 01:02 PM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। पांच साल पहले साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाकर अवॉर्ड वापसी की प्रथा प्रारंभ करने वाले लेखक उदय प्रकाश गुरुवार से फिर चर्चा में हैं। गुरुवार को उन्होंने आज की दान-दक्षिणा (अपने विचार, अपनी जगह पर सलामत) लिखकर राम मंदिर निर्माण के लिए चंदे की रसीद फेसबुक पर पोस्ट की। इसके बाद क्या था, की-बोर्ड क्रांतिकारियों की फौज उन पर टूट पड़ी और देख ही देखते वह इंटरनेट मीडिया पर ट्रोल हो गए।
आइडी हैक किए जाने की आशंका और गाली-ताली के बीच उदय प्रकाश खुद सामने आए। उन्होंने दान को राजनीति के चश्मे से न देखने की अपील की। दैनिक जागरण से टेलीफोन पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि मैं कोरोना के चलते मार्च से झारखंड में हूं। मेरे दान पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। वैसे तो ये बड़ा सीधा सा मामला है, सब अपनी आस्था से राम मंदिर के लिए चंदा दे रहे हैं।दरअसल, प्रख्यात शिक्षाविद, कवि और आलोचक उदय प्रकाश ने 2015 में साथी कन्नड़ साहित्यकार एमएम कलबुर्गी की हत्या के बाद अपना साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा दिया था। उन्होंने कहा था कि देश में असहिष्णुता बढ़ी है। इसके बाद देश में तमाम साहित्यकारों, लेखकों और कवियों ने अवार्ड वापस किए थे।
कमेंट्स भी जोरदार : उनकी पोस्ट पर एक यूजर ने लिखा... जब वे समूह में पीछे पड़ते हैं तो अपने आपको बचाना मुश्किल होता है। एक यूजर ने उन्हें कोट करते हुए लिखा कि बड़े-बड़े नाम भी हकीकत में ऐसे ही छोटे निकलते हैं। पहले भी आप अपने विचारों का मुरब्बा बना चुके हैं। कोई हैरत नहीं आदरणीय। एक सज्जन कमेंट किया कि अभी न जाने कितने भ्रम और टूटेंगे, कितने नायकों से भरोसा उठेगा। एक यूजर ने लिखा कि यह आपके जीवन का अच्छा कार्य हो सकता है, आपको पता चल गया कि आप कितनी असहिष्णु बिरादरी के विचारों को आत्मसात किए हुए थे।
पहले भी चर्चा में रहे हैं उदय प्रकाश : धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर उदय प्रकाश पहले भी अपने विचारों और कविताओं को लेकर चर्चा में रहे चुके हैं। छह दिसंबर को विवादित ढांचा ध्वंस के बाद उन्होंने एक कविता लिखी थी जो काफी चर्चा में रही थी।
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