Ayodhya Ram Mandir: पांच अगस्त 2020... तारीख नहीं, पीढ़ियों के संघर्ष का गौरवमयी क्षण
अयोध्या में कोटि-कोटि राम भक्तों की चिर साध साकार हो रही है। भव्य राम मंदिर के साथ दिव्य अयोध्या भी हो रही निर्मित। दो वर्ष की यात्रा में राम मंदिर अपेक्षित आकार लेने लगा है। वर्ष 2024 तक रामलला को भव्य मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करने का लक्ष्य।
अयोध्या, [रघुवरशरण]। पांच अगस्त 2020... वह तारीख जो भले ही पांच सदी की प्रतीक्षा और पीढ़ियों के संघर्ष के बाद आई, लेकिन शताब्दियों के लिए इतिहास में अंकित हो गई। बंदनवार, कलश और शुभ प्रतीकों से सुसज्जित अयोध्या ने युगों बाद पुन: उस क्षण को जिया जब राम वनवास से लौटे थे। इसी दिन राम मंदिर के भूमिपूजन के लिए प्रधानमंत्री के साष्टांग होते ही धर्मध्वजा शिखर पर थी और भावनाएं सरयू की लहरों की तरह निर्मल। अब उस तारीख का दो वर्ष पूरे हो चुके हैं तो अवलोकन कर आत्मगौरव की अनुभूति स्वाभाविक है।
मंदिर के रूप में कोटि-कोटि राम भक्तों की चिर साध साकार हो रही है। इन दो वर्ष की यात्रा में राम मंदिर अपेक्षित आकार लेने लगा है। चार सौ फीट लंबे एवं तीन सौ फीट चौड़े विस्तृत भू क्षेत्र में 12 से 15 मीटर तक गहरी कृत्रिम चट्टान गत वर्ष ही ढाली जा चुकी है। पांच फीट मोटी एक और परत ढाल कर कृत्रिम चट्टान रूपी नींव को अभेद्य बनाया गया है।
इन दिनों इसी अभेद्य और लगभग 50 फीट मोटी नींव पर मंदिर का प्रतिष्ठान (प्लिंथ) निर्माण पूर्णता की ओर है। राम मंदिर के गर्भगृह यानी जहां रामलला स्थापित किए जाएंगे, उसकी प्लिंथ तैयार होने के साथ गत एक जून से उसका भी निर्माण शुरू हो चुका है। इसी माह के अंत अथवा अगले माह के मध्य तक तक प्लिंथ निर्माण पूरा हो जाएगा और इसके बाद निर्धारित मानचित्र के अनुरूप संपूर्ण मंदिर के लिए शिलाएं संयोजित करने का काम शुरू हो जाएगा।
गौरवमय अतीत के अनुरूप आकार पाने की प्रक्रिया से गुजर रही रामनगरी उस दिन के लिए आतुर भी प्रतीत हो रही है, जब भव्य राम मंदिर और दिव्य अयोध्या का स्वर्णिम शिखर प्रशस्त हो रहा होगा। मंदिर निर्माण पांच एकड़ में ही हो रहा है और परिसर की बाकी 70 एकड़ भूमि पर भव्य मंदिर के पूरक प्रकल्प के तौर पर सांस्कृतिक उपनगरी विकसित की जानी है। इसके बावजूद मंदिर निर्माण की हलचल परिसर के बाहर से ही अनुभूत होती है।
श्रद्धालुओं के दबाव को आत्मसात करने के लिए प्रशासन ने हनुमानगढ़ी चौराहा को पार करती सड़कों को लगभग दो गुणा बढ़ाने का ब्लूप्रिंट तैयार कर रखा है। तब यह चौराहा भी आठ गुणा अधिक प्रशस्त हो उठेगा। प्रशासन रामजन्मभूमि, पुण्य सलिला सरयू और कई अन्य प्रमुख स्थलों एवं मंदिरों से जुड़ते मार्गों को विकसित-विस्तृत करने की तैयारी में है।
मार्ग चौड़ीकरण की योजना भव्य मंदिर के साथ दिव्य अयोध्या की परिकल्पना को साकार करने का किंचित आयाम भर है। केंद्र एवं प्रदेश सरकार के संयुक्त प्रयास से अयोध्या को दुनिया की शीर्ष सांस्कृतिक एवं पर्यटन नगरी के रूप में विकसित किया जा रहा है।
हम सही दिशा में बढ़ रहे : श्रीराम की गरिमा-महिमा के अनुरूप राम मंदिर को भव्य वास्तु के रूप में विकसित किया जाना हमारी प्राथमिकता रही है। हम सतत प्रयास, पूर्ण सावधानी और पूरी प्रतिबद्धता के साथ यह लक्ष्य प्राप्त करते जा रहे हैं। वर्ष 2024 की मकर संक्रांति तक रामलला को भव्य मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करने का लक्ष्य तय किया है और हम सही दिशा में बढ़ते जा रहे हैं। -डा. अनिल मिश्र, सदस्य- रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट