अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस केस : 32 आरोपितों को बरी करने के खिलाफ याचिका पर हाई कोर्ट में फैसला सुरक्षित
Ayodhya Disputed Structure Demolition Case अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में एलके आडवाणी तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह सहित सभी 32 आरोपितों को बरी कर दिया था। हाई कोर्ट में अपील दायर कर कहा गया है कि अदालत ने सुबूतों की अनदेखी कर आरोपितों को बरी किया है।
By Umesh TiwariEdited By: Updated: Mon, 31 Oct 2022 11:57 PM (IST)
लखनऊ, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या के विवादित ढांचे के विध्वंस मामले (Ayodhya Disputed Structure Demolition Case) में पूर्व उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी सहित सभी 32 आरोपितों को बरी करने को दी गई चुनौती के मामले में अपील की पोषणीयता पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है।
यह आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस सरेाज यादव की पीठ ने अयोध्या निवासी अपीलार्थी हाजी मोहम्मद अहमद तथा सैयद अखलाक अहमद की ओर से दाखिल अपील पर पारित किया। विशेष अदालत ने 30 सितंबर, 2020 को विवादित ढांचा विध्वंस मामले में एलके आडवाणी, तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह सहित सभी 32 आरोपितों को बरी कर दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील दायर कर कहा गया है कि विचारण अदालत ने पत्रावली पर उपलब्ध सुबूतों की अनदेखी कर आरोपितों को बरी किया है।
वहीं राज्य सरकार एवं सीबीआइ की ओर से अपील का विरोध किया गया। कहा गया कि अपीलाथी केस में ना तो वादी हैं और ना ही पीड़ित। लिहाजा उनकी ओर से दाखिल अपील पोषणीय नहीं है। पोषणीयता के बिंदु पर सुनवाई के बाद पीठ ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया।
हाई कोर्ट में अयोध्या निवासी हाजी महबूब अहमद व सैयद अखलाक अहमद की ओर से याचिका दाखिल कर ढांचा विध्वंस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी सहित अन्य अभियुक्तों को बरी करने के सत्र अदालत के फैसले को चुनौती दी गई है।
याचियों ने पहले रिवीजन याचिका दाखिल की थी जिसे एकल पीठ ने गत 18 जुलाई अपोषणीय मानते हुए क्रिमिनल अपील में परिवर्तित करने का आदेश दिया था। तदनुसार रिवीजन याचिका को क्रिमिनल अपील में परिवर्तित करके एक अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
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