Ayodhya Demolition Case: लखनऊ के सात थाना क्षेत्रों में लगा था कर्फ्यू
छह दिसंबर 1992 में अयोध्या से भड़की हिंसा की आग लखनऊ तक आ पहुंची थी। एक तरफ स्थिति संभलती तो दूसरे थाने से कोई सूचना आ जाती। पुलिस की कई टीमों को लगाने के बाद देर रात स्थिति कुछ देर के लिए नियंत्रण में आ सकी थी।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Wed, 30 Sep 2020 08:20 AM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। छह दिसंबर, 1992 में अयोध्या से भड़की हिंसा की आग लखनऊ तक आ पहुंची थी। सात थानों में जिला प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा था। डीएम व एसएसपी को चौक, अमीनाबाद, सआदतगंज, ठाकुरगंज, वजीरगंज, बाजारखाला व कैसरबाग में सख्ती बढ़ानी पड़ी थी। यहां बवाल होने की आशंका सबसे ज्यादा थी और रुक-रुककर बवाल भी हो रहे थे। तत्कालीन डीएम अशोक प्रियदर्शी व एसएसपी समाल पूरी टीम के साथ पुराने लखनऊ में देर रात तक गश्त करते रहे। यहां छतों पर खड़े होकर लोगों ने नारेबाजी की। घरों से निकलकर पथराव व फायरिंग हुई। स्थिति को नियंत्रित करने में पुलिस के पसीने छूट गए। एक तरफ स्थिति संभलती तो दूसरे थाने से कोई सूचना आ जाती। पुलिस की कई टीमों को लगाने के बाद देर रात स्थिति कुछ देर के लिए नियंत्रण में आ सकी थी।
माहौल उस वक्त बिगडऩा शुरू हुआ जब नक्खास सब्जी मंडी में नारेबाजी के बाद दोनों पक्षों के बीच पथराव शुरू हो गया। कुछ वाहन क्षतिग्रस्त भी हुए। देखते-देखते दुकानों के शटर गिर गए और भगदड़ की स्थिति बन गई। बवाल चल ही रहा था, तभी अकबरी गेट के पास पान की दो दुकानों में आग लगा दी गई। सआदतगंज क्षेत्र में दोनों पक्षों की ओर पथराव और नारेबाजी की घटनाओं के साथ ही नक्खास चौकी के पीछे छूरेबाजी की घटना हो गई। पुलिस ने नेहरू क्रास क्षेत्र में दो युवकों को गिरफ्तार कर लिया। ये युवक उस वक्त एक वर्ग के लोगों के घरों का दरवाजा तोड़ रहे थे।
इतनी देर में वायरलेस सेट पर पुलिस को संदेश मिला की बाजाजा, हुसैनाबाद, महिला कॉलेज क्षेत्र में काफी संख्या में लोग सड़कों पर आ गए हैं और नारेबाजी कर रहे हैं। पुलिस वहां के लिए भी रवाना की गई, तब तक सूचना आ गई कि बिल्लौचपुरा और अशर्फाबाद, कश्मीरी मोहल्ला क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। यहां स्थानीय लोग नारेबाजी और फायङ्क्षरग कर रहे हैं। छह दिसंबर की देर रात 11:30 बजे पुलिस को फिर सूचना मिली कि मछली मोहाल, घसियारी मंडी, नजरबाग क्षेत्र में जोरदार नारेबाजी की जा रही है। डीएम व एसएसपी फिर रात में वहां पहुंच गए। इसके बाद धीरे-धीरे स्थिति नियंत्रण में आती गई।
परिचय पत्र ही कर्फ्यू पासतत्कालीन डीएम अशोक प्रियदर्शी ने केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए उनके विभागीय पहचानपत्र को कर्फ्यू पास के रूप में मान्य कर दिया था। इसी तरह पत्रकारों के प्रेस कार्ड ही कफ्र्यू पास का काम रहे थे।
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