विधायक बनने के बाद आजम खां का तो तय था फैसला, छोड़ दी रामपुर लोकसभा सीट
Azam Khan Resigned From Loksabha आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां भी रामपुर के स्वार से विधायक हैं जबकि पत्नी डा. तजीन फात्मा पहले राज्य सभा सदस्य थीं। इसके बाद आजम खां के लोकसभा का सदस्य चुने जाने के बाद वह रामपुर शहर से विधायक बनीं।
By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Tue, 22 Mar 2022 05:41 PM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां ने भी मंगलवार को लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अखिलेश यादव का फैसला भले ही चौंकाने वाला रहा, लेकिन आजम खां के बारे मं तो तय था कि वह लोकसभा को छोड़ ही देंगे। आजम खां का इस्तीफा लोकसभा के अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के लगातार दसवीं बार सदस्य बने आजम खां को लोकसभा चुनाव में जीत रास नहीं आ पा रही थी। आजम खां के सांसद बनते ही आफत टूट पड़ी थी। उनके खिलाफ सैकड़ों केस दर्ज किए गए। सरकारी जमीन पर कब्जा करने के साथ ही उनके खिलाफ धोखाधड़ी तथा नौकरी देने में घोटाला करने के आरोप हैं। फिलहाल आजम खां सीतापुर जेल में बंद हैं। रामपुर से समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां के बारे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वह अब सांसद का पद छोड़ सकते हैं। माना जा रहा है जब से वह सांसद बन लोकसभा पहुंचे है तब से संकट में घिरे हुए हैं। इसी कारण अब दसवीं बार विधायक बनने के बाद सपा नेता सांसद का पद छोड़ सकते हैं। आजम खां के खिलाफ 87 मुकदमे दर्ज हैं। 86 में उन्हें जमानत मिल गई हैं, एक में जमानत पर फैसला हाईकोर्ट में सुरक्षित है। उनकी पत्नी के खिलाफ तंजीन फात्मा के खिलाफ 34 और बेटे अब्दुल्ला (स्वार से जीते विधायक) के खिलाफ 43 मुकदमे फिलहाल विचाराधीन हैं।
आजम खां दसवीं बार विधायक बने हैं। वह मुलायम सिंह यादव के साथ ही अखिलेश यादव की सरकार में चार बार कैबिनेट मंत्री बन चुके हैं। यूपी में नेता प्रतिपक्ष रहे। राज्य सभा सदस्य रहे हैं। 2019 में सांसद चुने गए। जौहर यूनिवर्सिटी की स्थापना की। वह तो विधायक का चुनाव इसलिए लड़े थे कि सपा की सरकार आती तो फिर से मंत्री बनने की संभावना थी। भाजपा की सरकार ने से अब हालात बदल गए हैं। आजम खां का रामपुर में काफी दबदबा है। वह दसवीं बार विधायक चुने गए हैं। रामपुर से लोकसभा का चुनाव भी जीत चुके आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां भी रामपुर के स्वार से विधायक हैं, जबकि पत्नी डा. तजीन फात्मा पहले राज्य सभा सदस्य थीं। इसके बाद आजम खां के लोकसभा का सदस्य चुने जाने के बाद वह रामपुर शहर से विधायक बनीं। अब आजम खां उनको लोकसभा के उप चुनाव में भी उतार सकते हैं।
पहले से कयास लग रहे थे कि आजम खां सांसद का पद छोड़ देंगे। सांसद का कार्यकाल करीब दो साल बचा है, जबकि विधायक पांच साल के लिए चुने गए हैं। इसके साथ ही 2019 में सांसद चुने जाने के बाद से वह कानूनी शिकंजे में फंसे हुए हैं। दरअसल, 2019 में रामपुर सीट से ही सपा से सांसद चुने गए आजम के खिलाफ 87 मुकदमे दर्ज हुए। 26 फरवरी 2020 को आजम खां, उनकी पत्नी शहर विधायक डॉक्टर तंजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला आजम (फिलहाल स्वार से जीते विधायक) ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। तब से आजम खां जेल में हैं। बेटे अब्दुल्ला चुनाव से पहले जमानत पर रिहा हुए। पत्नी तंजीन फात्मा करीब 10 महीने पहले जमानत पर छूटी थी।
दो वर्ष से जेल में बंद सांसद आजम खां सांसद के पद से इस्तीफा देंगे या विधायकी छोड़ेंगे, उनके इस कदम पर सबकी निगाहें टिकीं थीं। जेल से ही उन्होंने फिलहाल रामपुर शहर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और दसवीं बार विधायक चुने गए। आजम खां अब विधानसभा में पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के साथ सरकार को भी घेरने का काम करेंगे। इस विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को रामपुर में भी पांच में तीन सीट पर जीत मिली है। ऐसे में पार्टी को यहां भी लोकसभा उपचुनाव में जीत की उम्मीद है। आजम खां जैसे दस बार विधायक रहे नेता अगर यूपी में सदन में मौजूद रहते हैं तो उनके अनुभव का भी सपा को फायदा होगा।
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