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Hanuman Setu Temple in Lucknow: यहां हनुमान जी को पत्र भेजकर मन्नत मांगते हैं श्रद्धालु

बाबा ने 70 के दशक में राजधानी को बाढ़ की त्रासदी से बचाया था। गोमती नदी के उफान को मंदिर निर्माण ने बचा लिया था और बाबा ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बाढ़ के सैलाब को शांत किया था नदी पर पुल निर्माण में भी बाबा का योगदान रहा है।

By Anurag GuptaEdited By: Updated: Sat, 19 Dec 2020 12:01 PM (IST)
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बाबा नीब करौरी ने की थी हनुमान सेतु मंदिर की स्थाापना, दिया था पत्र से मन्नत पूरी होने का आशीर्वाद।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। राजधानी में एक ऐसा हनुमान मंदिर है जहां आप दर्शन करने न जा पाएं तो पत्र भेजकर अपनी मनेकामनाएं पूरी कर सकते हैं। आप यह जानकर कर हैरान तो नहीं हुए, लेकिन यह सच है। हनुमान सेतु मंदिर में बड़े मंगल पर हजारों पत्र आते है जो हनुमान जी के चढ़ाने के बाद भूमि विसिर्जित कर दिए जाते हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी चंद्रकांत द्विवेदी ने बताया कि बाबा नीब करौरी या नीम करौली ने मंदिर निर्माण के दौरान कहा था कि हनुमान जी के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। यदि कोई श्रद्धालु दर्शन के लिए नहींं आ पाता तो वह यदि सच्चे मन से बजरंग बली को पत्र भेजकर कामना करेगा तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी।

बाबा ने 70 के दशक में राजधानी को बाढ़ की त्रासदी से बचाया था। गोमती नदी के उफान को मंदिर निर्माण ने बचा लिया था और बाबा ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बाढ़ के सैलाब को शांत किया था नदी पर पुल निर्माण के लिए भी बाबा का योगदान रहा है। पुल बनता और बार-बार गिर जाता था तो बाबा ने अधिकारियों से मंदिर निर्माण कराने को कहा। कोलकाता के एक बिल्डर ने पुल के साथ मंदिर का निर्माण कराया। 26 जनवरी 1967 को मंदिर बनकर तैयार होने के साथ दर्शन शुरू हो गए।

अखंड रामायण के साथ मनेगा बाबा नीब करौरी का प्राकट्योत्सव

सिद्ध संत के रूप में ख्याति प्राप्त बाबा नीब करौरी का प्राकट्य उत्सव भी कोरोना काल का असर नजर आएगा। शारीरिक दूरी के साथ दो दिवसीय आयोजन 21 दिसंबर को सुबह अखंड रामायण के साथ शुरू होगा। 22 को भंडारा व प्रसाद वितरण के साथ समाप्त होगा। गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1967 में हनुमान सेतु मंदिर की स्थापना करने वाले बाबा नीब करौरी का जन्म 1900 के करीब माना जाता है। मंदिर के मुख्य पुजारी चंद्रकांत द्द्विवेदी ने बताया कि वर्ष कोे लेकर असमंजस है, लेकिन मार्ग शीर्ष शुक्ल पक्षी अष्टमी को उनका जन्म हुआ था। हनुमान सेतु मंदिर की स्थापना के बाद 11 सितंबर 1973 में उनका निधन बताया जाता है। कलियुग के एक मात्र जागृत देव हनुमान जी की स्थापना करने वाला बाबा की कृपा से पिछले 45 साल से मंदिर में दर्शन करने से श्रद्धालुओं की सभी मनाेकामनाएं पूरी होती हैं।

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