Move to Jagran APP

बाहुबली मुख्तार अंसारी की एंबुलेंस बनी रहस्य, पंजाब कोर्ट पहुंचाने वाली गाड़ी की फाइल UP में गुम

Mukhtar Ansari Ambulance Case पंजाब की रोपड़ जेल से मोहाली कोर्ट में मुख्तार अंसारी को जिस एंबुलेंस से लाया गया वह बाराबंकी एआरटीओ में पंजीकृत। चर्चा में बनी एंबुलेंस का श्याम संजीवनी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के नाम पर पंजीकरण कराया। इसकी फिटनेस वैधता और इंश्योरेंस समाप्त हो चुका।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Thu, 01 Apr 2021 10:11 PM (IST)
Hero Image
यूपी की जिस एंबुलेंस से बाहुबली मुख्तार अंसारी पंजाब की कोर्ट पहुंचा उसकी फाइल नहीं मिल रही है।

बाराबंकी, जेएनएन। Mukhtar Ansari Ambulance Case: पंजाब की रोपड़ जेल में बंद उत्तर प्रदेश के बाहुबली मुख्तार अंसारी को मोहाली की कोर्ट में जब पेश किया गया, तो इस दौरान उसे यूपी के बाराबंकी जिले के नंबर की गाड़ी से लाया गया, वह एक निजी एंबुलेंस है। यह वाकया सुर्खियों में आने के बाद यहां के जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है। यह एंबुलेंस सवालों के घेरे में है। बाराबंकी के जिस अस्पताल श्याम संजीवनी के नाम यह एंबुलेंस (यूपी 41 एटी 7171) पंजीकृत है, वह अस्पताल भी मौजूद नहीं है। इसके अलावा बाराबंकी के सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय (एआटीओ) में पंजीकृत एंबुलेंस की फाइल गुम है। पूरे प्रकरण में जिला प्रशासन से लेकर जिम्मेदार अधिकारी तक चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे यह एंबुलेंस रहस्य बनती जा रही है।

बाराबंकी के जिस अस्पताल के नाम पर एंबुलेंस पंजीकृत है, वह मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में न तो पंजीकृत है और न ही इससे संबंधित कोई दस्तावेज वहां हैं। अस्पताल का जो पता दिया गया है, उस गली में उसका कोई नामोनिशान तक नहीं है। इसके बावजूद दिसंबर 2013 में उस पते पर एंबुलेंस का पंजीकरण होना आश्चर्य की बात है। एआरटीओ कार्यालय में बताया गया कि इसके पंजीकरण की फाइल गुम हो गई है, जिसकी तलाश जारी है।

हैरत की बात है कि वर्ष 2017 से यह एंबुलेंस बिना इंश्योरेंस और फिटनेस वैधता के सड़कों पर दौड़ रही थी और कोई कार्रवाई भी नहीं की गई। इतना ही नहीं इसके पंजीकरण की फाइल एआरटीओ में गुम हो गई है। गुम फाइल की तलाश पूरी होने पर ही इसके सिंडिकेट से पर्दा उठ सकेगा। एक बहुचर्चित हत्याकांड के शूटर की मुख्तार से नजदीकी होने की बात कही जा रही है।

एंबुलेंस बना दिया गया बुलेट प्रूफ : यह एंबुलेंस हॉस्पिटल की संचालिका मऊ जिले की डॉ. अलका राय की है और एंबुलेंस की आरसी में दर्ज मोबाइल नंबर भी मऊ के व्यक्ति का बताया जा रहा है। फिटनेस वैधता और इंश्योरेंस समाप्त होने के बावजूद एंबुलेंस पांच साल तक कहां रही इसकी जानकारी परिवहन और स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं थी। उत्तर प्रदेश से एंबुलेंस पंजाब पहुंच गई, पर इसका कभी कहीं चालान नहीं हुआ। बताया यह भी जा रहा है कि एंबुलेंस को बुलेट प्रूफ बना दिया गया, यही कारण था कि इसे फिटनेस के लिए नहीं लाया गया। इन सबके अलावा फाइल के गुम हो जाने को भी मुख्तार के प्रभाव से जोड़कर देखा जा रहा है।

बिना फिटनेस वैधता और इंश्योरेंस के दौड़ती रही एंबुलेंस : पंजाब की रोपड़ जेल से मोहाली कोर्ट में मुख्तार अंसारी को जिस एंबुलेंस से लाया गया वह बाराबंकी सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय (एआरटीओ) में पंजीकृत है। चर्चा में बनी यूपी 41 एटी 7171 एंबुलेंस का 21 दिसंबर 2013 को श्याम संजीवनी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के नाम पर पंजीकरण कराया गया था। इसकी फिटनेस वैधता 31 जनवरी, 2017 को और इंश्योरेंस दस जनवरी 2017 को समाप्त हो चुका है। आखिरी बार इस एंबुलेंस को जनवरी 2016 में एआरटीओ आफिस फिटनेस के लिए लाया गया था। इसके बाद ये एंबुलेंस दोबारा नहीं लाई गई।

केवल आरसी पर मिला हास्पिटल : श्याम संजीवनी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के नाम से पंजीकृत एंबुलेंस का मामला जब से प्रकाश में आया है, पूरा प्रशासन इस हॉस्पिटल को तलाश रहा है। पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इसे नहीं तलाश सका, लेकिन परिवहन विभाग ने इसे खोज निकाला। यह अस्पताल केवल एंबुलेंस की आरसी पर दर्ज मात्र पाया गया, भौतिक रूप से इसका पता नहीं चल सका।

विभाग की रिपोर्ट डीएम को भेजी : गुरुवार को कार्यालय खुलते ही सीएमओ व एआरटीओ ने इस प्रकरण से जुड़ी अपने विभाग की रिपोर्ट डीएम को भेजी है। एंबुलेंस की आरसी में दर्ज रफीनगर के पते पर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची तो वहां श्याम संजीवनी हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का कुछ पता नहीं चला। डीएम व एसपी आदि सभी इस मसले पर बोलने के फिलहाल कतरा रहे हैं।

एंबुलेंस मामले की हो उच्च स्तरीय जांच : एंबुलेंस जिस श्याम संजीवनी अस्पताल के नाम पंजीकृत है, वह मऊ में है। इस अस्पताल की मालकिन भाजपा नेता डॉ. अलका राय ने कहा कि उनके अस्पताल की कोई शाखा बाराबंकी में नही हैं। मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। डॉ. अलका राय ने कहा कि कुछ वर्ष पहले विधायक मुख्तार अंसारी के प्रतिनिधि ने उनके अस्पताल के लिए एंबुलेंस दिलाने को कागजात की मांग की थी जिसको उनके भाई ने उपलब्ध कराया था। 2013 में अंसारी के प्रतिनिधि ने विधायक निधि से अस्पताल को एंबुलेंस देने के लिए कुछ कागजों पर अस्पताल के डायरेक्टर व मेरे भाई से दस्तखत कराए थे। इसके अलावा उन्हें इस विषय में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

यह भी पढ़ें : मुख्तार अंसारी को पंजाब पुलिस ही लाएगी यूपी, बांदा जेल की खास बैरक में किए गए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।