बरेली सितारगंज हाईवे भूमि अधिग्रहण घोटाला, दो अवर अभियंताओं का निलंबन रद्द… अन्य पर लटकी तलवार
उत्तर प्रदेश के बरेली में हाईवे निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले के आरोप में निलंबित लोक निर्माण विभाग के दो अवर अभियंताओं का निलंबन हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के मामले में एनएचएआई की जिम्मेदारी बनती है न कि अवर अभियंताओं की। इस घोटाले में 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की अनियमितता सामने आई है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे व बरेली रिंग रोड के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले के आरोप में निलंबित लोक निर्माण विभाग के दो अवर अभियंताओं का निलंबन हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है।
इस संबंध में दोनों अवर अभियंता राकेश कुमार व अंकित सक्सेना का निलंबन रद्द होने के बाद लोक निर्माण विभाग ने उनकी तैनाती की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि, घोटाले के आरोपी 15 अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों के निलंबन के निर्देश शासन ने दिए हैं।
अलग-अलग जांचों के आधार पर हुआ था निलंबन
हाईवे निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में किए गए घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत के बाद जांच के निर्देश दिए गए थे। बरेली जिला प्रशासन के स्तर पर हुई अलग-अलग जांचों के आधार पर शासन ने आरोपी अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित करने के निर्देश दिए थे।
मामले में बीते दिनों एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) और लोक निर्माण विभाग के सात अधिकारियों और कर्मचारियों निलंबित किया गया था। निलंबन के विरोध में लोक निर्माण विभाग में तैनात अवर अभियंता राकेश कुमार और अंकित सक्सेना ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने कहा- एनएचएआई की जिम्मेदारी
याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने दोनों अवर अभियंताओं का निलंबन रद्द कर दिया है। साथ ही कहा है कि हाईवे के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के मामले का मूल्यांकन एनएचएआई ने करवाया है, इसलिए इस मामले में एनएचएआई की जिम्मेदारी बनती है, न कि अवर अभियंताओं की।
न्यायालय के इस निर्णय के बाद लोक निर्माण विभाग के निलंबित एक अन्य अवर अभियंता सुरेंद्र सिंह व सहायक अभियंता स्नेहलता श्रीवास्तव तथा अमीन शिव शंकर भी जल्द ही न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
200 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला
हाईवे निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में अभी तक करीब 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला सामने आ चुका है। बरेली जिला प्रशासन की जांच के आधार पर शासन ने बीते दिनों इस मामले में आरोपी चार तत्कालीन सक्षम प्राधिकारी भूमि अध्याप्ति सुल्तान अशरफ सिद्दीकी, मदन कुमार व राजीव पांडेय तथा आशीष कुमार के निलंबन के निर्देश दिए हैं।
साथ ही तत्कालीन विशेष भूमि अध्याप्ति कार्यालय अमीन अनुज वर्मा के निलंबन के भी निर्देश शासन ने दिए हैं। इसके अलावा लेखपाल अशोक कुमार, लेखपाल मुकेश कुमार, लेखपाल मुकेश गंगवार, लेखपाल विनय, लेखपाल दिनेश चन्द्र, क्षेत्रीय लेखपाल तेजपाल, क्षेत्रीय लेखपाल ज्ञानदीप गंगवार, क्षेत्रीय लेखपाल मुकेश कुमार मिश्रा, क्षेत्रीय लेखपाल विनय कुमार व दिनेश चन्द्र तथा आलोक कुमार के भी निलंबन के निर्देश भी दिए गए हैं।
सक्षम प्राधिकारी भूमि अध्याप्ति के निलंबन के लिए नियुक्ति विभाग को फाइल भेज दी गई है। वहीं सदर तहसील के लेखपाल उमाशंकर व नवाबगंज के लेखपाल सुरेश सक्सेना पर भी निलंबन की तलवार लटक रही है। बरेली के जिलाधिकारी को आरोपी लेखपालों व कानूनगो के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
वहीं, पूरे मामले में 19 पेशेवर खरीदारों की भी जांच की जा सकती है। बरेली के जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन की तरफ से शासन को विस्तृत रिपोर्ट भेजी जा चुकी है।
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