Lucknow News: भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय का इंतजार खत्म, प्रो. मांडवी सिंह होंगी कुलपति
Lucknow News भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में लंबे समय से कुलपति का पद खाली चल रहा था। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में कथक की प्रोफेसर मांडवी सिंह को कुलपति बनाया जाएगा। मांडवी सिंंह पहले भी यहां आ चुकी हैं।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Wed, 16 Nov 2022 07:55 AM (IST)
लखनऊ, [दुर्गा शर्मा]। लंबे समय से भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में कुलपति का इंतजार अब खत्म हो गया है। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ छत्तीसगढ़ में कथक की प्रोफेसर मांडवी सिंह भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति होंगी। प्रो. मांडवी सिंह नौ साल (2011-2020) तक इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में कुलपति के दो कार्यकाल भी पूर्ण कर चुकी हैं। पिछले दस महीने से वह भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में फेलो भी हैं। प्रो. सिंह ने कहा कि शिमला में अभी एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही हूं। खत्म होते ही नवंबर अंत या दिसंबर तक लखनऊ आऊंगी।
जागरण के साथ विशेष बातचीत में प्रो. मांडवी सिंह ने कहा कि एक संस्था से सम विश्वविद्यालय और अब संस्कृति विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित हो चुके भातखंडे के प्रति मेरे हृदय में अथाह सम्मान है। संस्कृति विश्वविद्यालय के रूप में उसकी जो अवधारणा की गई है, मैं उसके विकास और सही स्वरूप के लिए काम कर सकूं, यही मेरी इच्छा है। छत्तीसगढ़ में जन्मीं प्रो. मांडवी के अनुसार भातखंडे मेरे लिए कोई नई जगह नहीं है। मैं यहां परीक्षक के रूप में आती रही हूं। यहां की शिक्षा समिति में भी रही, सेमिनार के लिए भी आना जाना लगा रहा। भातखंडे और यहां से जुड़े लोगों के साथ मेरी आत्मीयतता पुरानी है।
प्रो. सिंह के अनुसार कथक के लखनऊ शैली की शिक्षा मुझे मिली है। लखनऊ तो मेरे लिए कथक की तीर्थ स्थली है। कथाकाचार्य पंडित लच्छू महाराज के गंडाबंद शिष्य पीडी आशीर्वादन से कथक शिक्षण ग्रहण करने वाली प्रो. सिंह पिछले 12 वर्षों से पंडित बिरजू महाराज के पुत्र जयकिशन महाराज के साथ कथक शिक्षा से जुड़ी हैं।
भारत के साथ-साथ विदेश के कई विद्यार्थियों ने प्रो. सिंह के सानिध्य में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। वह विभिन्न भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों के अध्ययन बोर्ड शैक्षणिक निकायों की सदस्य भी हैं। प्रो. सिंह की भारतीय संस्कृति में कथक परंपरा का दूसरा संस्करण कथक परंपरा, कथक नृत्य परंपरा में गुरु लच्छू महाराज, कथक परंपरा और रायगढ़ दरबार किताबें भी प्रकाशित हैं।
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