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AQI Index: सुतली बम और सरकपताली से इलाका धुआं-धुआं, लखनऊ की प्रदूषित हवा में सांस लेना दूभर

लखनऊ में दीपावली की आतिशबाजी के बाद वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। एक्यूआई 170-180 के बीच पहुंच गया जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है। अस्थमा और दिल के रोगियों के लिए सांस लेना मुश्किल हो गया। आतिशबाजी से निकलने वाला धुआं और विषैले कण हवा की गुणवत्ता को बिगाड़ रहे हैं। सामान्य लोगों के लिए भी यह खतरनाक हो सकता है।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Fri, 01 Nov 2024 10:10 AM (IST)
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लखनऊ की हवा ‘खतरनाक’ की श्रेणी में पहुंच गई। संकेतात्मक तस्वीर
जागरण संवाददाता, लखनऊ। दीपावली के बाद लखनऊ की हवा में भारी प्रदूषण देखा जा रहा है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के अनुसार, लखनऊ के कई क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। आतिशबाजी और पटाखों के धुएं ने शहर को प्रदूषण के संकट में धकेल दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति सांस और दिल की बीमारियों के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है।

प्रदूषण का स्तर सामान्य से कहीं अधिक

तालकटोरा क्षेत्र का एक्यूआई सबसे ज्यादा, 350 के पार दर्ज किया गया है, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। यह स्तर स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें सांस संबंधी समस्या है। 

इसके अलावा, लखनऊ के अन्य क्षेत्रों में भी प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है। कुकरैल पिकनिक स्पॉट का एक्यूआई 242, केंद्रीय विद्यालय के आसपास 264, लालबाग 258, और आशियाना क्षेत्र 234 दर्ज किया गया है। इन क्षेत्रों में भी प्रदूषण का स्तर सामान्य से कहीं अधिक है, जिससे यहां के निवासियों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

वायुमंडल में हानिकारक गैसों की मात्रा बढ़ी

अधिकारियों के अनुसार, दीपावली के दौरान भारी मात्रा में पटाखे फोड़े गए, जिससे वायुमंडल में हानिकारक गैसों की मात्रा बढ़ गई। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रदूषण के कारण बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। 

लोगों को सलाह दी गई है कि वे जरूरी होने पर ही बाहर निकलें और मास्क का उपयोग करें। इसके अलावा, घर में भी एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना सहायक हो सकता है। लखनऊ वासियों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने और प्रदूषण से बचने के उपाय अपनाने की जरूरत है। 

472 तक पहुंच गया था प्रदूषक कण का स्तर

गुरुवार को दोपहर तीन बजे तक पीएम 2.5 स्तर के प्रदूषक कण का स्तर 105 था, जो रात 11 बजे तक 472 पर पहुंच गया। शोर शराबा थमने के बाद रात के समय इसके स्तर में गिरावट आई। शुक्रवार सुबह पांच बजे तक पीएम 2.5 स्तर के प्रदूषक कण का स्तर 177 पर पहुंचा, लेकिन इसके बाद फिर से इसमें इजाफा होने लगा।

आतिशबाजी से निकलने वाला धुआं, सल्फर, नाइट्रेट्स और अन्य विषैले कण मिलकर हवा की गुणवत्ता को और बिगाड़ देते हैं, जिससे अस्थमा, खांसी, गले में जलन, और अन्य सांस संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। 

‘खराब’ एक्यूआई का स्तर अस्थमा और दिल के रोगियों के लिए विशेष रूप से हानिकारक होता है। अधिक आतिशबाजी से ये स्तर ‘बेहद खराब’ श्रेणी तक पहुंच सकते हैं, जो सामान्य लोगों के लिए भी खतरे का कारण बन सकता है। 

क्या सावधानियां रखें?

  • बाहर कम निकलें: विशेषकर बुजुर्ग, बच्चे और सांस की बीमारी वाले लोग प्रदूषण बढ़ने के समय घर के अंदर ही रहें। 
  • मास्क का उपयोग: बाहर जाने पर एन 95 मास्क का उपयोग करें, जो पीएम 2.5 कणों से सुरक्षा प्रदान करता है। 
  • पौधों का रखरखाव: घर के आसपास तुलसी, मनी प्लांट और स्नेक प्लांट जैसे पौधे लगाएं, जो हवा को शुद्ध करने में सहायक होते हैं।   
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