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ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar)

(Om Prakash Rajbhar Biography)- ओम प्रकाश राजभर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। यूपी की राजनीति में हमेशा बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले ओम प्रकाश राजभर प्रदेश की राजनीति में अपना दमखम दिखा चुके हैं। सत्ता से अधिकतर दूर रहे नेता लोकसभा की करीब 28 सीटों पर खेल बनाने या बिगाड़ने का दमखम रखते हैं।

By Riya.PandeyEdited By: Riya.PandeyUpdated: Fri, 14 Jul 2023 12:57 AM (IST)
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ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar Profile)

जागरण ऑनलाइन डेस्क: (Om Prakash Rajbhar Biography) अगले साल यानी वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होना है। ऐसा माना जाता है कि केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। इस बात का अंदाजा हाल ही में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के दिए बयान से लगाया जा सकता है, जब उन्होंने कहा था कि भाजपा कहीं भी जीते अगर हम उसे यूपी में रोकने में कामयाब हुए तो उसे केंद्र की सत्ता से हटा सकते हैं।

बात करें उत्तर प्रदेश (यूपी) की तो यहां 80 लोकसभा सीटें हैं, जिन्हें जीतने के लिए केवल विकास का मुद्दा ही काफी नहीं होता है। यहां की हर सीट का अलग जातिगत गणित है, इसलिए यूपी में हर चुनाव से पहले जातिय नेता तथा एक विशेष वोट बैंक को साधने वाली पार्टियों की भूमिका बढ़ जाती है। ऐसे ही एक नेता हैं ओम प्रकाश राजभर (ओपी राजभर)...

  • कौन है ओम प्रकाश राजभर?
  • किस शहर में हुआ ओम प्रकाश राजभर का जन्म?
  • यहां से हासिल की डिग्रियां
  • कैसे हुई राजभर की राजनीति में एंट्री?
  • अपने दल के साथ दिखाया दमखम
  • यूपी की राजनीति में क्यों जरूरी है राजभर को साधना?
  • टेम्पो में सवारी पहुंचाने से लेकर विधानसभा पहुंचने तक का सफर

कौन है ओम प्रकाश राजभर?

ओम प्रकाश राजभर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। यूपी की राजनीति में हमेशा बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले ओम प्रकाश राजभर प्रदेश की राजनीति में अपना दमखम दिखा चुके हैं। सत्ता से अधिकतर दूर रहे नेता लोकसभा की करीब 28 सीटों पर खेल बनाने या बिगाड़ने का दमखम रखते हैं।

किस शहर में हुआ ओम प्रकाश राजभर का जन्म?

ओपी राजभर का जन्म साल 1962 में 15 सितंबर को वाराणसी जिले के फतेहपुर खौदा सिंधोरा के रहने वाले सन्नू राजभर के घर हुआ था। राजभर के पिता कोयला की खदान में मजदूरी किया करते थे। घर खर्च में पिता का हाथ बंटाने के लिए राजभर खेती-किसानी किया करते थे। इसके अलावा अपने छात्र जीवन में पढ़ाई के साथ-साथ खर्च निकालने के लिए एक टेम्पो भी चलाया करते थे।

यहां से हासिल की डिग्रियां

ओपी राजभर ने बनारस के बलदेव डिग्री कालेज से वर्ष 1983 में स्नातक की डिग्री हासिल की जिसके बाद यहीं से उन्होंने राजनीति शास्त्र से परास्नातक भी किया। ओपी राजभर की पत्नी का नाम राजमति है। इनके दो बेटे… अरुण राजभर और अरविंद राजभर हैं जो इनकी राजनीतिक विरासत को साधने में लगे हैं। अरुण राजभर पिता की पार्टी सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं।

कैसे हुई राजभर की राजनीति में एंट्री?

ओम प्रकाश राजभर ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापक कांशीराम से प्रभावित होकर वर्ष 1981 में सक्रिय राजनीति में एंट्री की, जिसके बाद वह बहुजन समाज पार्टी के सिपाही बनकर क्षेत्र में काम करने लगे। वर्ष 1996 में ओपी राजभर को बसपा का जिलाध्यक्ष बनाया गया।

मायावती के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले नेता ने साल 2001 में भदोही का नाम बदलकर संतकबीर नगर रखने से नाराज होकर मायावती के खिलाफ बगावत कर दी और 27 अक्टूबर, 2002 में बसपा से अलग होकर अपनी पार्टी सुभासपा को स्थापित किया। इसके बाद साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में ओपी राजभर ने उत्तर प्रदेश और बिहार में अपने प्रत्याशी उतारे, लेकिन निराशा हाथ लगी। इस चुनाव के दौरान राजभर एक भी सीट जीत नहीं सकें।

अपने दल के साथ दिखाया दमखम

ओपी राजभर के राजनीतिक करियर के अच्छे दिन भाजपा से गठबंधन के साथ आए। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर को भाजपा ने आठ सीटें दी जिनमें से चार सीटों पर जीत दर्ज करके राजभर की पार्टी के साथ ही अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत की जिसके परिणामस्वरूप ओम प्रकाश राजभर को योगी आदित्यनाथ की सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण व दिव्यांगजन कल्याण मंत्री का पद दिया गया। लेकिन गठबंधन के विरोध में काम करने की वजह से बीजेपी नें इनसे अपनी राह अलग कर ली। जिसके बाद साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले वह अखिलेश यादव के साथ आ गए। राजभर ने अखिलेश यादव से गठबंधन कर 16 सीटों पर चुनाव लड़ा और छह सीटों पर जीत भी हासिल की।

यूपी की राजनीति में क्यों जरूरी है राजभर को साधना?

कहते हैं यूपी की राजनीति में जाति का फैक्टर हमेशा से चलता आया है इसलिए 80 लोकसभा वाले इस राज्य में राजभर समाज का वोटबैंक सभी राजनितिक दलों के लिए जरूरी हो जाता है। तभी तो सपा हो या भाजपा दोनों ही दल ओपी राजभर की सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) से दोस्ती करने से कतराते नहीं हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में राजभर समाज की आबादी 12 प्रतिशत है जबकि, पूर्वांचल क्षेत्र में राजभर जाति की आबादी 12-22 फीसद है और इसी वजह से राजभर वोटबैंक पूर्वांचल के दो दर्जन से अधिक लोकसभा सीटों पर 50 हजार से करीब ढाई लाख तक हैं। इसके अलावा घोसी लोकसभा समेत बलिया, चंदौली, सलेमपुर, गाजीपुर, देवरिया, आजमगढ़, लालगंज, अंबेडकरनगर, मछलीशहर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर और भदोही राजभर बहुल क्षेत्र माने जाते हैं। यहां की सीटों पर हार और जीत का निर्णय राजभर समुदाय के लोग करते हैं।

टेम्पो में सवारी पहुंचाने से लेकर विधानसभा पहुंचने तक का सफर

  • वाराणसी जिले में मजदूर सन्नू राजभर के घर जन्म हुआ।
  • ओपी राजभर ने बनारस के बलदेव डिग्री कॉलेज से परास्नातक तक की पढ़ाई की।
  • छात्र जीवन में पढ़ाई के साथ-साथ खर्च निकालने के लिए टेम्पो चलाया।
  • कांशीराम से प्रभावित होकर साल 1981 में सक्रिय राजनीति में एंट्री की।
  • वर्ष 2002 में बसपा से अलग होकर अपनी पार्टी सुभासपा बनाई।
  • वर्ष 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जहूराबाद से जीत दर्ज कर पहली बार मंत्री बनें।
  • वर्ष 2019 में भाजपा से अनबन के बाद गठबंधन तोड़ा।
  • वर्ष 2022 में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ फिर बनें विधायक।
  • वर्तमान में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।