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विधान परिषद चुनाव में यह हैं भाजपा के उम्मीदवार, जागरण के साथ जाने उनके बारे

भाजपा ने अपने दस उम्मीदवार घोषित किये, जबकि एक सीट सहयोगी अपना दल (एस) के लिए छोड़ी है। अपना दल ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष सिंह पटेल को मैदान में उतारा है।

By Ashish MishraEdited By: Updated: Mon, 16 Apr 2018 05:57 PM (IST)
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विधान परिषद चुनाव में यह हैं भाजपा के उम्मीदवार, जागरण के साथ जाने उनके बारे
लखनऊ (जेएनएन)। विधान परिषद की 13 सीटों पर होने जा रहे चुनाव के लिए भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की बहुप्रतीक्षित सूची जारी कर दी। भाजपा ने अपने दस उम्मीदवार घोषित किये, जबकि एक सीट सहयोगी अपना दल (एस) के लिए छोड़ी है। अपना दल ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष सिंह पटेल को मैदान में उतारा है। सोमवार को नामांकन का अंतिम समय खत्म हो जाएगा। निर्विरोध चुनाव होने की पूरी उम्मीद है।

भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति के महामंत्री जगत प्रकाश नड्ढा ने रविवार को भाजपा उम्मीदवारों की सूची जारी की।इसमें डॉ. महेंद्र सिंह, मोहसिन रजा, डॉ. सरोजिनी अग्रवाल, बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह, जयवीर सिंह, विद्यासागर सोनकर, विजय बहादुर पाठक, अशोक कटारिया और अशोक धवन के नाम हैं। महेंद्र सिंह और मोहसिन रजा योगी सरकार में राज्यमंत्री हैं। यशवंत सिंह, जयवीर सिंह, बुक्कल नवाब और सरोजिनी अग्रवाल ने पिछले वर्ष विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री समेत पांच मंत्रियों के विधान मंडल का सदस्य बनने की राह आसान की थी। विजय बहादुर पाठक, अशोक कटारिया और विद्यासागर सोनकर भाजपा के प्रदेश महामंत्री हैं, जबकि अशोक धवन पूर्व में पार्टी के कोषाध्यक्ष और एमएलसी रह चुके हैं।

ठा. जयवीर सिंह : राजनीति से पुराना नाता

पूर्व मंत्री ठा.जयवीर सिंह मूलत: बुलंदशहर के गांव दानगढ़ निवासी हैं। अलीगढ़ शिक्षा के लिए आए और छात्र राजनीति में शामिल हुए। 2001 में बसपा जिला अध्यक्ष बने और 2002 में बसपा से ही बरौली से विधायक चुने गए। बसपा सरकर में वह कैबिनेट मंत्री बने। 2007 में दूसरी बार बरौली से ही विधायक चुने गए और मंत्री बने। 2012 के चुनाव में इसी सीट पर उन्हें रालोद प्रत्याशी पूर्व मंत्री ठा. दलवीर सिंह से हार का सामना पड़ा। पार्टी ने उन्हें एमएलसी बनाया। 2017 के चुनाव में भी उन्हें रालोद से भाजपा में शामिल हुए ठा. दलवीर सिंह से हार का सामना करना पड़ा। 29 जुलाई को उन्होंने भाजपा में जाने का एलान किया। वह पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र एटा सांसद राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया के करीबी हैं।

 

छात्र राजनीति से मंत्री की कुर्सी तक पहुंचे डॉ.महेंद्र

प्रतापगढ़ में बेलखरनाथ ब्लाक तहसील पट्टी के करमाही गांव के रहने वाले पीएचडी शिक्षित डॉ. महेंद्र ने 1987 में आरएसएस एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा। युवा मोर्चा के प्रदेश कार्यालय मंत्री, लखनऊ के गुरुनानक नगर वार्ड से सभासद, अवध क्षेत्र के युवा मोर्चा के प्रभारी, राष्ट्रीय पुनर्निर्माण वाहिनी के यूपी उपाध्यक्ष भी रहे। मध्य प्रदेश व बिहार भाजपा के प्रभारी, भाजपा के प्रदेश महामंत्री भी रहे। 2012 में वह एमएलसी बने। 2014 में भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री व असम राज्य के प्रभारी बनाये गए। संगठन ने 2017 की योगी सरकार में इनको राज्य मंत्री का पद दिया।

 

सपा से शुरू हुआ डॉ. सरोजिनी का राजनीतिक सफर

मेरठ निवासी डॉ. सरोजिनी अग्रवाल लंबे समय से मुख्यधारा की सियासत में सक्रिय हैं। वह तीसरी बार विधान परिषद में नजर आएंगी। पेशे से चिकित्सक 'एमडी गायनी डॉ. सरोजिनी ने 1995 में राजनीतिक सफर शुरू किया, और सपा की नेता के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गईं। समाजवादी पार्टी में लगातर राष्ट्रीय सचिव रहीं। 2005 में अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य बनाई गईं। 2009 में सपा की ओर से पहली बार एमएलसी बनाई गईं। 2015 में सपा ने उन्हें फिर से एमएलसी बनाया, किंतु चार अगस्त 2017 को उन्होंने सपा एवं एमएलसी पद से त्यागपत्र देते हुए भाजपा की सदस्यता ले ली।

 

अच्छे संगठनकर्ता के रूप में हैं कटारिया की पहचान

बिजनौर की चांदपुर तहसील के हीमपुर पृथ्या गांव निवासी भाजपा के प्रदेश महामंत्री अशोक कटारिया 1989 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के रूप में राजनीति की शुरुआत की। वह मुरादाबाद और मेरठ में एबीवीपी के जिला संगठन मंत्री रहे। 1997 से 2000 तक बदायूं-बरेली के विहिप के विभाग संगठन मंत्री का पद भी संभाला। 2001 में भाजयुमो के प्रदेश मंत्री बनाये गए। 2004 में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किये गए। 2005 में मऊ में हिंदू नरसंहार के मुद्दे पर विधानसभा का घेराव करने के दौरान जेल भी जाना पड़ा। वर्ष 2007 से 13 तक भाजपा के प्रदेश मंत्री रहे। 2013-16 तक प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष रहे। किसान रूमाल सिंह के यहां 18 दिसंबर, 1973 को जन्मे अशोक कटारिया राजनीति विज्ञान में परास्नातक हैं। परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा और बेटी है। फिलहाल बिजनौर की धामपुर तहसील मुख्यालय में रहते हैं।

 

सभासद चुनाव से शुरू हुआ विद्यासागर का सफर

जौनपुर के मोहल्ला सुक्खीपुर निवासी भाजपा के प्रदेश महामंत्री विद्यासागर सोनकर की राजनीतिक यात्रा वर्ष 1989 में सभासद चुनाव जीतकर शुरू हुई। गीतांजलि सामाजिक संस्था के अध्यक्ष पद पर रहते हुए 1996 में ही तत्कालीन सैदपुर (सु) संसदीय क्षेत्र से वह भाजपा प्रत्याशी के रूप में लोकसभा का चुनाव जीते। 2002 में वह भाजपा के जिलाध्यक्ष बने। भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही अन्य प्रकोष्ठों में कई पदों पर रहे। 2009 में मछलीशहर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी के प्रदेश महामंत्री का दायित्व सौंपा गया। 2017 में सैदपुर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने प्रत्याशी बनाया लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

 

जनसंघ के दौर से सक्रिय हैं अशोक धवन

वाराणसी निवासी अशोक धवन जनसंघ के समय से 1992-96 तक दो बार महानगर अध्यक्ष रह चुके हैं। दस साल तक प्रदेश कोषाध्यक्ष, यूपी भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं। वह बनारस के पूर्व सांसद श्रीशचंद दीक्षित के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी व पीएम मोदी के चुनाव प्रभारी भी रह चुके हैं। संगठन ने उन्हें दूसरी बार एमएलसी बनाने का फैसला किया है। व्यापारी समाज में धवन की अच्छी पकड़ है। वह पूर्वांचल में व्यापारियों के बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं।

 

विजय बहादुर की बढ़ती गई जिम्मेदारी

आजमगढ़ में निजामाबाद तहसील के बड़सरा खालसा गांव निवासी विजय बहादुर पाठक राजनीतिक परिवार से जुड़े हैं। वह 1986 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष रहे। 1987 में श्री दुर्गा जी महाविद्यालय, चंडेश्वर के छात्रसंघ का अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 1988 में भाजयुमो प्रदेश कार्यसमिति सदस्य बने। वर्ष 2000 में भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी, 2002 में प्रत्याशी विधानसभा क्षेत्र निजामाबाद भी रहे। 2005 में भाजपा प्रवक्ता रहे तो उत्तर प्रदेश तीरंदाजी संघ का संयुक्त सचिव एवं आजमगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष। दो अगस्त 2010 में भाजपा प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी गई। 11 जुलाई 2016 और नौ फरवरी 2018 को पुन: प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी भाजपा में मिली।

 

पूर्व पीएम चंद्रशेखर संग यशवंत का राजनीतिक सफर

मऊ के अल्दे मऊ सरौदा गांव के मूल निवासी लेकिन राजनीति क्षेत्र आजमगढ़। शिक्षा पूरी करने के बाद यशवंत सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के सानिध्य में चले गए। 1975 में इमरजेंसी में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव के काफी करीब हो गए। इस दौरान 18 माह के लिए जेल भी जाना पड़ा। पहली बार जनता पार्टी से 1984 में मुबारकपुर से जनता पार्टी से चुनाव लड़े लेकिन 250 वोटों से हार गए। वर्ष 1989 में मुबारकपुर से ही जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े और सफलता मिली। 1991 में समाजवादी जनता पार्टी से चुनाव लड़े और हार गए। 1993 में किसी पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो निर्दल लड़े लेकिन पुन: हार का सामना करना पड़ा। 1996 में बसपा का दामन थामा। प्रदेश में बसपा-भाजपा गठबंधन की सरकार बनी तो इन्हें मंत्री पद मिला। गठबंधन टूटने के बाद बसपा के तीन दर्जन विधायकों को लेकर जनतांत्रिक बसपा का गठन कर भाजपा की सरकार बनाई और आबकारी मंत्री बने। 1989 में लोकसभा सदर सीट से भाजपा के बल सांसदी लड़ी लेकिन हार गए। फिर सपा में शामिल हुए। मुलायम सिंह यादव के करीबी होने के कारण 2004 और फिर 2010 से 2016 तक एमएलसी। अभी 2022 तक कार्यकाल रहा लेकिन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए सीट छोड़ दी।

 

जल निगम में जेई थे आशीष पटेल

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति आशीष सिंह पटेल जल निगम में जेई थे। अनुप्रिया के मंत्री पर बनने के कुछ समय बाद नौकरी से इस्तीफा देकर अपना दल एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल ली। चित्रकूट के हनुमान गंज कस्बा निवासी आशीष पटेल कानपुर में वर्ष 2002 से जल निगम में जेई के रूप में तैनात थे। वर्ष 2012 में वाराणसी के रोहनिया विधानसभा चुनाव के दौरान आशीष ने पर्दे के पीछे से अपनी पत्नी के लिए चुनाव रणनीति बनाई थी। इसके बाद राजनीति में सक्रिय हो गए।

 

सपा से इस्तीफा देकर भाजपा में पहुचे बुक्कल नवाब

कुछ समय पहले सपा से भाजपा में शामिल हुए बुक्कल नवाब ने एमएमसी पद से इस्तीफा दे दिया था। अपना राजनीतिक करियर 1889 में लखनऊ नगर निगम चुनाव में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विजयी होकर शुरू किया था। वह 1992 में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। 2004 में राज्य में सपा के महासचिव नियुक्त हुए। वर्ष 2012 व 16 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए। उन्होंने वर्ष 2017 में समाजवार्दी पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए।

खेल की दुनिया से राजनीति में मोहसिन रजा

खेल की दुनिया से अचानक राजनीति में कदम रखने वाले मोहसिन रजा को मंत्री पद का तोहफा मिला था। योगी सरकार के गठन के साथ ही उन्हें मंत्री का दर्जा मिला था। उन्हें भाजपा ने एमएलसी बनाया था और पांच मई को कार्यकाल खत्म हो रहा था। मोहसिन रजा उत्तर प्रदेश के लिए रणजी ट्राफी खेल चुके हैं।

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