UP Panchayat Chunav: महाराजा सुहेलदेव के बहाने पिछड़ा वर्ग के वोटों पर लगी बीजेपी की निगाहें
UP Panchayat Chunav उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से होने वाले पंचायत चुनावों में भाजपा के अन्य पिछड़ा वर्ग कार्ड से लाभ मिलने की उम्मीद है। इसी क्रम में महाराजा सुहेलदेव की जयंती मनाने के फैसले को अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटों को साधने से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
By Umesh TiwariEdited By: Updated: Mon, 15 Feb 2021 01:36 PM (IST)
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में महाराजा सुहेलदेव की जयंती को विशिष्ट आयोजन बनाने के फैसले को अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटों को साधने से जोड़कर भी देखा जा रहा है। सरकारी स्तर पर विभिन्न आयोजनों के साथ भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता भी जिला स्तर पर सुहेलदेव के पराक्रम का स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। 16 फरवरी को बहराइच में सुहेलदेव स्मारक की आधारशिला रखने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्चुअल संबोधन का अन्य जिलों में सजीव प्रसारण कराने की तैयारी है।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले अगले दो महीनों में होने वाले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों में भाजपा के अन्य पिछड़ा वर्ग कार्ड से लाभ मिलने की उम्मीद भी जताई जा रही है। पंचायत चुनाव को सेमी फाइनल मानकर पूरी ताकत से तैयारी में जुटी भाजपा आरक्षित वर्ग के वोटों में पैठ बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसीलिए पंचायत आरक्षण नीति में उन सभी सीटों को प्राथमिकता से आरक्षित करने की व्यवस्था की गई है जो अब तक भी आरक्षित नहीं रहीं। इससे दो जिला पंचायतों में अनुसूचित जाति वर्ग तथा तीन में ओबीसी वर्ग से अध्यक्ष निर्वाचित हो सकेगा। ब्लाक प्रमुख व ग्राम प्रधान पदों पर आरक्षित वर्ग को ज्यादा लाभ मिलेगा।
सामाजिक संतुलन पर ध्यान दे रही भाजपा : यूं भी राजभर समाज के वोटों को लेकर भाजपा अतिरिक्त सक्रिय है। पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर की बगावत के बाद से इस ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने पंचायत चुनाव में छोटे दलों का मोर्चा बनाकर भाजपा को चुनौती देने का ऐलान किया है। इसीलिए पंचायत चुनाव के जरिए ग्रामीण राजनीति में पकड़ मजबूत करने के लिए भाजपा सामाजिक संतुलन पर ध्यान दे रही है। प्रदेशीय संचालन समिति में स्वामी प्रसाद मौर्य, रमाशंकर पटेल व भूपेंद्र सिंह जैसे नेता शामिल किए गए हैं। इन्हें क्षेत्रवार जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पूर्ववर्ती सरकारों ने की सुहेलदेव की उपेक्षा : पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने महाराजा सुहेलदेव की अनदेखी की। सुहेलदेव के पराक्रम से सैकड़ों वर्ष तक देश पर विदेशी आक्रांता हमला करने की हिम्मत नहीं जुटा सके। चित्तौरा झील के तट पर सैयद सालार मसूद की सेना को वर्ष 1033 में करारी शिकस्त देने वाले सुहेलदेव की वीरगाथा लोकगीतों में सुनी जा सकती है लेकिन अब तक की सरकारों ने राष्ट्रवाद के प्रतीक को सम्मान नहीं दिया। उन्होंने सुहेलदेव के सम्मान में पूरे देश में अभियान चलाने की बात कही।
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