UP Lok Sabha Election Result: उन सीटों पर भाजपा हारी जहां थी जीत की पूरी उम्मीद, ये फैक्टर बने हार के कारण
UP Lok Sabha Election Result 2024 उत्तर प्रदेश में चुनावी मुद्दे क्षेत्रवार बदलते रहते हैं लेकिन इस बार के चुनाव में प्रत्याशियों के चयन को लेकर असंतोष हर जगह नजर आया। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों के परिणाम भाजपा को सदमे में डालने वाले रहे तो इसके पीछे कई कारण हैं। टिकट बंटवारे में गड़बड़ी के और पांच वर्षों तक सांसदों की निष्क्रियता तो इस परिणाम के...
मनोज त्रिपाठी, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनावी मुद्दे क्षेत्रवार बदलते रहते हैं, लेकिन इस बार के चुनाव में प्रत्याशियों के चयन को लेकर असंतोष हर जगह नजर आया। इसके अलावा जातियों का गठजोड़ मुद्दों पर हावी होता गया। न राम मंदिर का प्रभाव देखने को मिला और न ही ध्रुवीकरण मुद्दा बन पाया।
यूपी में लोकसभा की 80 सीटों के परिणाम भाजपा के हित में न होने के इसके पीछे कई कारण हैं। टिकट बंटवारे में गड़बड़ी के और पांच वर्षों तक सांसदों की निष्क्रियता तो इस परिणाम के मुख्य कारण रहे ही, जातीय समीकरण को पहचानने में भी भाजपा से चूक हुई। इसके चलते भाजपा उन सीटों पर भी चुनाव हार गई, जहां से उसे जीत की शत-प्रतिशत उम्मीद थी।
आरक्षण व पेपर लीक मुद्दों की काट नहीं ढूंढ पाई पार्टी
चुनाव के पहले चरण से ही पेपर लीक मामले को चुनावी मुद्दा बनाकर युवाओं को कांग्रेस व सपा ने अपने पक्ष में करना शुरू कर दिया था। इस मुद्दे को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित समूचे विपक्ष ने सातों चरणों में हर मौके पर उठाया। दूसरी ओर भाजपा ने इस मामले में अपना पक्ष रखने की भी जरूरत नहीं समझी।युवाओं में यह बड़ा फैक्टर बना और इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा। अग्निवीर योजना को भी विपक्ष बड़ा चुनावी फैक्टर बनाने में सफल रहा, जिसकी काट भाजपा नहीं ढूंढ़ पाई। विपक्ष की ओर से उछाले गए संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने के मुद्दे को भी भाजपा नहीं संभाल पाई।
मौजूदा सांसदों को भाजपा ने इस बार मैदान में उतारा
इसके अलावा टिकट वितरण में भी चूक हुई। मौजूदा 49 सांसदों को एनडीए ने चुनावी मैदान में उतारा। इनमें से ज्यादातर सांसदों ने पांच वर्षों तक अपने-अपने लोकसभा क्षेत्रों में मतदाताओं से दूरी बनाए रखी। वह केवल मोदी के नाम पर इस बार भी चुनाव जीतने का सपना देख रहे थे।मुफ्त अनाज योजना सहित केंद्र की अन्य योजनाओं से मतदाता जरूर प्रभावित थे, लेकिन कांग्रेस ने पांच की बजाय 10 किलो अनाज मुफ्त में देने की घोषणा कर भाजपा को पीछे ढकेल दिया। सपा की आटा व डाटा मुफ्त देने की योजना का असर भी मतदाताओं पर हुआ। भाजपा इसकी काट भी नहीं ढूंढ़ पाई।
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