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श्रद्धा हत्याकांड जैसी घटना रोकने के लिए बढ़े कानून का दायरा, BJP MLA राजेश्वर सिंह ने CM योगी को लिखा पत्र

Shraddha Murder Case भाजपा विधायक राजेश्वर सिंह ने श्रद्धा हत्याकांड जैसी घटनाओं को रोकने को छल-बल से धर्म परिवर्तित कराने के बाद युवतियों की प्रताड़ना की रोकथाम के लिए बने कानून में आरोपित को जमानत भी न दिए जाने का प्रावधान किए जाने की भी मांग की है।

By Alok MishraEdited By: Umesh TiwariUpdated: Thu, 17 Nov 2022 10:49 PM (IST)
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Shraddha Murder Case: दिल्ली में हुई घटना के बाद भाजपा विधायक राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। दिल्ली के लोमहर्षक श्रद्धा हत्याकांड को लेकर भाजपा विधायक राजेश्वर सिंह ने गहरी चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से विधायक राजेश्वर सिंह ने अवैध मतांतरण के मामलों को लेकर बने कानून को और कठोर बनाए जाने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा है कि श्रद्धा हत्याकांड जैसी जघन्य वारदात की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उत्तर प्रदेश में लागू विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध एक्ट-2021 में संशोधन कर उसे और सख्त बनाया जाए।

भाजपा विधायक राजेश्वर सिंह ने कहा कि पाक्सो (प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस) एक्ट की तरह इस कानून में भी मामले की 60 दिनों में विवेचना पूरी किए जाने की व्यवस्था की जाए। कहा कि अवैध मतांतरण के मामलों में 60 दिनों में कोर्ट में ट्रायल पूरा होना चाहिए। दुष्कर्म व हत्या जैसे जघन्य अपराध के लिए केवल मृत्युदंड का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने अपने पत्र की प्रति केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू को भी भेजी है।

दिल्ली में श्रद्धा वाकर की उसके लिवइन पार्टनर आफताब अमीन ने जिस तरह हत्या के बाद शव के 35 टुकड़े कर डाले, उसे सुनकर हर कोई दंग है। विधायक राजेश्वर सिंह ने ऐसे हत्याकांडों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए छल और बल से धर्म परिवर्तित कराने के बाद युवतियों की प्रताड़ना की रोकथाम के लिए बने कानून में आरोपित को जमानत भी न दिए जाने का प्रावधान किए जाने की भी मांग की है।

कहा है कि ऐसे मामलों के लिए अलग फास्ट ट्रैक कोर्ट की व्यवस्था भी होनी चाहिए। जिससे इस तरह का जघन्य अपराध करने वालों में खौफ पैदा हो और दूसरे ऐसी घटना करने की हिम्मत न जुटा पाए। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 काे मंजूरी दी थी। जिसके बाद एक्ट बनाया गया था। यह कानून प्रदेश में 27 नवंबर, 2020 से प्रभावी है। जिसके तहत अधिकतम पांच वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान है। इस कानून के तहत अब आरोपित को आजीवन कारावास तक की सजा दिए जाने की मांग उठाई जा रही है।

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