बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस-भाजपा सरकारों पर लगाया आरोप, कहा- राजनीतिक द्वेष और नफरत से न होगा देश का भला
राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने पूर्व की कांग्रेस और अब भाजपा सरकार पर स्वार्थ की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इसके चलते गरीबी बेरोजगारी व पिछड़ेपन आदि की समस्या पर देश हित में पूरा ध्यान ही नहीं दिया गया।
राज्य ब्यूरो, लखनऊः राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने के अगले दिन शनिवार को बसपा प्रमुख मायावती ने पूर्व की कांग्रेस और अब भाजपा सरकार पर स्वार्थ की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इसके चलते ही गरीबी, बेरोजगारी व पिछड़ेपन आदि की समस्या पर देश हित में पूरा ध्यान ही नहीं दिया गया। इसे अति दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए बसपा प्रमुख ने ट्वीट कर सन् 1975 में लगाए गए आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को यह जरूर सोचना चाहिए कि क्या वह सही था और अब उनके नेता राहुल गांधी के साथ जो कुछ हो रहा है वो भी कितना उचित?
मायावती का मानना है कि एक दूसरे के प्रति राजनीतिक द्वेष, नफरत आदि से देश का ना पहले भला हुआ है और न ही आगे होने वाला है। बसपा प्रमुख का कहना है कि आजादी के बाद 75 वर्ष के दौरान की सरकारों द्वारा अगर संविधान की पवित्र मंशा तथा लोकतांत्रिक मर्यादाओं व परंपराओं के अनुसार ईमानदारी व निष्ठा के साथ काम करती होतीं तो भारत वास्तव में अग्रणी व आदर्श मानवतावादी विकसित देश बन गया होता।
योगी 2.0 के छह वर्ष पूरा होने पर बसपा प्रमुख की तीखी प्रतिक्रिया
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन की सरकार के छह वर्ष पूरा होने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि 'यूपी खुशहाल' का दावा कागजी व हवा-हवाई है। कहा कि डबल इंजन की सरकार ने छह वर्ष पूरा होने पर महंगे व खर्चीले प्रसार-प्रचार के माध्यम से जो बड़े-बड़े दावे किए हैं उनका जमीनी हकीकत से अगर सही का वास्ता होता तो उचित होता, लेकिन ऐसा नहीं होने से करोड़ों गरीब व पिछड़ी जनता में उत्साह कम व मायूसी ज्यादा है।
मायावती ने शनिवार को कहा कि चाहे विकास, रोजगार, कानून का राज या एक जिला-एक मेडिकल कालेज आदि का मामला हो, इनको लेकर सरकार द्वारा 'यूपी खुशहाल' का किया जा रहा दावा अधिकतर कागजी व हवा-हवाई ही हैं। बसपा प्रमुख ने योगी सरकार को सलाह देते हुए कहा कि राजनीतिक व जातिवादी द्वेष एवं सांप्रदायिक रवैये आदि को त्यागकर वास्तविक जनहित व जनकल्याण पर ध्यान दें।