आम बजट पर बसपा अध्यक्ष मायावती ने पूछे सवाल, क्या लोगों का जीवन खुशहाल हो पाएगा ? 'अच्छे दिन' की उम्मीद कम
संसद में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने युवाओं को रोजागार से जोड़ने के लिए अहम योजनाएं बताईं। वहीं बजट से आम जनता को राहत के साथ करदाताओं को भी राहत मिली है। निर्मला सीतारमण ने टैक्स सिस्टम में बदलावों की घोषणा की। बजट पर राजनीतिक दलों ने भी अपनी टिप्पणी दी है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है।
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आम बजट पेश किया। इसके बाद यूपी में पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक्स पर पोस्ट की है। मायावती ने लिखा है, कि संसद में आज पेश केन्द्रीय बजट अपने पुराने ढर्रे पर कुछ मुट्ठी भर अमीर व धन्नासेठों को छोड़कर देश के गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों, वंचितों व उपेक्षित बहुजनों के त्रस्त जीवन से मुक्ति के लिए ’अच्छे दिन’ की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्हें मायूस करने वाला ज्यादा है।
मायावती ने लिखा, देश में छाई जबरदस्त गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन तथा यहां तक कि 125 करोड़ से अधिक कमजोर तबकों के उत्थान व उनके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं के प्रति इस नई सरकार में भी अपेक्षित सुधारवादी नीति व नीयत का अभाव है। उन्होंने सवाल करते हुए लिखा है, कि बजट में ऐसे प्रावधानों से क्या लोगों का जीवन खुश व खुशहाल हो पाएगा?ये भी पढ़ेंः आम बजट को लेकर अखिलेश ने दागे सवाल, पूछा- 'यूपी को क्या मिला?' आंध्र और बिहार को विशेष योजनाएं देने पर कसा तंज
देश का विकास भूल भुलैया वाला न हो...
मायवती ने एक्स पर पोस्ट करते हुए अपनी तीसरा मैसेज लिखा है, कि देश का विकास व लोगों का उत्थान आंकड़ों के भूल भुलैया वाला न हो, बल्कि लोगों को त्रस्त जीवन से मुक्ति के लिए रोजगार के अवसर, जेब में खर्च के लिए पैसे, आमदनी जैसी बुनियादी तरक्की सभी को मिलकर महसूस भी हो। रेलवे का विकास भी अति-जरूरी। सरकार बीएसपी सरकार की तरह हर हाथ को काम दे।
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आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।1. संसद में आज पेश केन्द्रीय बजट अपने पुराने ढर्रे पर कुछ मुट्ठी भर अमीर व धन्नासेठों को छोड़कर देश के गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों, वंचितों व उपेक्षित बहुजनों के त्रस्त जीवन से मुक्ति हेतु ’अच्छे दिन’ की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्हें मायूस करने वाला ज्यादा।
— Mayawati (@Mayawati) July 23, 2024