'लोगों को रेवड़ी नहीं, रोजगार चाहिए...' महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव को लेकर BJP-कांग्रेस पर हमलावर हुईं मायावती
बीएसपी प्रमुख मायावती ने भाजपा और कांग्रेस पर महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में मिथ्या प्रचार और वादों की भरमार लगाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि दोनों ही पार्टियां चुनाव के मद्देनजर फिर से रेवड़ी और लुभावने वादों-घोषणाओं में ही व्यस्त हैं जबकि लोग जीवन के जंजालों से मुक्ति के लिए रेवड़ी नहीं बल्कि रोजगार की मांग कर रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा है कि भाजपा और कांग्रेस ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में मिथ्या प्रचार व वादों की भरमार लगा रखी है। दोनों ही पार्टियां चुनाव के मद्देनजर फिर से रेवड़ी व लुभावने वादों-घोषणाओं में ही व्यस्त हैं, जबकि लोग जीवन के जंजालों से मुक्ति के लिए रेवड़ी नहीं बल्कि रोजगार की मांग कर रहे हैं। उनकी यह मांग जायज है कि उन्हें रेवड़ी नहीं रोजगार चाहिए।
बसपा प्रमुख ने कहा कि देश में छाई हुई अपार गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई से करोड़ों लोगों का जीवन त्रस्त है, लेकिन इसके बावजूद भाजपा और कांग्रेस आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं।
भाजपा कर रही जुगाड़ की राजनीति: मायावती
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश व कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की जनता से वादाखिलाफी जग जाहिर है जबकि यूपी समेत भाजपा सरकारें ज्वलंत मुद्दों पर से ध्यान भटकाने के लिए जुगाड़ की राजनीति कर रही हैं। वे कर्म को धर्म नहीं मानकर, धर्म के ही कार्यक्रमों में व्यस्त नजर आती हैं, जो चुनावी वादाखिलाफी नहीं तो और क्या है?मायावती ने कहा कि बसपा चुनाव में जनता को गुमराह करने वाला कोई घोषणा पत्र कभी जारी नहीं करती है। बसपा गरीबों, बेरोजगारों के प्रति ईमानदार कर्म को ही अपना संवैधानिक दायित्व व राजनीतिक धर्म मानकर कार्य करती है और सरकार बन जाने पर ऐतिहासिक व बेमिसाल कार्य करके भी दिखाती है। यूपी में अब तक चार बार रही बसपा की सरकार इसकी मिसाल आप है।
मायावती का सवाल, गरीब बच्चे कहां और कैसे पढ़ेंगे?
बसपा प्रमुख मायावती ने 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर उनका दूसरे स्कूलों में विलय करने के प्रदेश सरकार के निर्णय की कड़ी आलोचना की है। सवाल उठाया कि आखिर गरीबों के बच्चे कहां और कैसे पढ़ेंगे? बसपा प्रमुख ने रविवार को इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि विद्यालयों में सुधार के बजाय इन्हें बंद किया जा रहा है, यह निर्णय ठीक नहीं है।मायावती ने अपनी पोस्ट में लिखा, यूपी सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने के उपाय करने के बजाय उनको बंद करके उनका दूसरे स्कूलों में विलय करने का फैसला उचित नहीं।ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहां और कैसे पढ़ेंगे? उन्होंने लिखा कि यूपी व देश के अधिकतर राज्यों में खासकर प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा का बहुत ही खराब हाल है, जिस कारण गरीब परिवार के करोड़ों बच्चे अच्छी शिक्षा तो दूर, सही शिक्षा से भी लगातार वंचित हैं। ओडिशा सरकार द्वारा कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का फैसला भी अनुचित है।
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