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हरियाणा में बसपा की उम्मीदों पर फिरा पानी, न खुला खाता… न आकाश आनंद कर सके कोई कमाल

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की स्थिति उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में खराब होती जा रही है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ। हरियाणा में बीएसपी को 1.82% वोट मिले जो पिछले चुनाव से कम है। जम्मू-कश्मीर में भी पार्टी को मात्र 0.96% वोट मिले। बीएसपी का जनाधार खिसकता जा रहा है और पार्टी के लिए आगे की राह मुश्किल दिख रही है।

By Ajay Jaiswal Edited By: Shivam Yadav Updated: Wed, 09 Oct 2024 12:00 AM (IST)
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हरियाणा में बसपा को अबकी 1.82 प्रतिशत (2,52,671) वोट मिले हैं।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बसपा के कहीं से भी दिन बहुरते नहीं दिखाई दे रहे हैं। पार्टी का उत्तर प्रदेश में ही नहीं दूसरे राज्यों में भी जनाधार खिसकता जा रहा है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से पार्टी को बड़ी उम्मीदें थी, लेकिन दोनों ही राज्यों में पार्टी न खाता खुला और न ही जनाधार बढ़ा। पिछले विधानसभा चुनाव से भी पार्टी के वोट घट गए हैं। 

हरियाणा में बेहतर प्रदर्शन के लिए बसपा प्रमुख मायावती ने इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) से गठबंधन करने के साथ ही अपने भतीजे और बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को पूरी तरह से लगाया था, लेकिन कोई कमाल न हो सका।

नहीं मिला गठबंधन का फायदा

हरियाणा में बसपा को अबकी 1.82 प्रतिशत (2,52,671) वोट मिले हैं, जबकि पांच वर्ष पहले के चुनाव में पार्टी ने इससे कहीं अधिक 4.14 प्रतिशत(5,18,842) वोट मिले थे। पार्टी का खाता खोलने के लिए मायावती खुद कई चुनावी जनसभाएं कीं। 

आकाश आनंद लगातार वहां सभाएं व प्रचार वाहन के साथ चौपाल करते रहे। दावा किया गया था कि गठबंधन के चलते जाट व वंचित समाज के दम पर बसपा का न केवल जनाधार बढ़ेगा बल्कि खाता भी खुलेगा। मंगलवार को आए नतीजों से साफ है कि गठबंधन का फायदा बसपा को नहीं मिला। 

कांग्रेस को हुआ नुकसान

37 सीटों पर चुनाव लड़ी बसपा का वोट भले ही इनेलो को गया हो, लेकिन उसका वोट बसपा को ट्रांसफर नहीं हुआ। हालांकि, वंचित समाज को लेकर मायावती के कांग्रेस पर हमलावर रहने से माना जा रहा है कि भले ही बसपा को फायदा न मिला हो, लेकिन कुछ सीटों पर कांग्रेस को जरूर नुकसान हुआ है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा के 10 वर्ष बाद हुए चुनाव में बसपा अकेले ही मैदान में उतरी थी। पार्टी को इस बार मात्र 0.96 प्रतिशत (54,822) वोट मिले हैं। गौर करने की बात यह है कि वर्ष 2014 के चुनाव में बसपा को 1.41 प्रतिशत (67,786) वोट मिले थे। 

बसपा इस बात से संतोष कर सकती है कि वह कुछ सीटों पर सपा से आगे रही। मसलन, नगरोटा में सपा को सिर्फ 144 वोट मिले जबकि बसपा ने 791 वोट हासिल किए। विजयपुर में भी बसपा 544 वोट लेकर सपा से आगे रही। यहां सपा को 200 वोट ही मिले। चेनानी सीट पर भी बसपा 457 जबकि सपा को 223 वोट ही मिले। 

उल्लेखनीय है कि हाल ही के लोकसभा चुुनाव में शून्य पर सिमटने वाली बसपा का न राज्यसभा और न ही उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कोई सदस्य है। मात्र एक सदस्य उत्तर प्रदेश की विधानसभा में है।

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