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Lucknow Akbar Nagar Demolition: कुकरैल नदी के करोड़पति कब्जेदारों पर चला बुलडोजर, छह टीमों ने की कार्रवाई

हाईकोर्ट का आदेश मिलते ही एलडीए ने 23 पोकलैंड और जेसीबी की मदद से 24 अवैध शोरूम और दुकानों को ध्वस्त कर दिया। एलडीए ने सबसे पहले लखनऊ व्यापार मंडल के महामंत्री सोहेल हैदर अल्वी के बेसमेंट सहित तीन मंजिला ताज फर्नीचर शोरूम को गिराना शुरू किया। कुछ ही देर में उसके बगल स्थित सम्राट फर्नीचर शोरूम भी ध्वस्तीकरण की जद में आ गया।

By Nishant Yadav Edited By: Vinay Saxena Updated: Tue, 27 Feb 2024 10:46 PM (IST)
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अकबरनगर में एलडीए द्वारा गिराया जाता अवैध निर्माण।- जागरण
जागरण संवाददाता, लखनऊ। कुकरैल नदी पर कब्जा करके सालाना करोड़ों रुपए का टर्नओवर करने वाले शोरूम पर आखिरकार एलडीए का बुलडोजर मंगलवार को चल गया। हाईकोर्ट ने मंगलवार को जीएसटी, इनकम टैक्स भरने वाले करोड़पति कब्जेदारों की याचिकाएं खारिज कर दी।

हाईकोर्ट का आदेश मिलते ही एलडीए ने 23 पोकलैंड और जेसीबी की मदद से 24 अवैध शोरूम और दुकानों को ध्वस्त कर दिया।  एलडीए ने सबसे पहले लखनऊ व्यापार मंडल के महामंत्री सोहेल हैदर अल्वी के बेसमेंट सहित तीन मंजिला ताज फर्नीचर शोरूम को गिराना शुरू किया। कुछ ही देर में उसके बगल स्थित सम्राट फर्नीचर शोरूम भी ध्वस्तीकरण की जद में आ गया।

अयोध्या रोड के दोनों ओर एलडीए ने छह टीमें लगाकर इन शोरूमों को ध्वस्त कर दिया। बुधवार सुबह से एलडीए फिर से अवैध निर्माण तोड़ेगा। एलडीए ने अकबरनगर प्रथम और द्वितीय में बने 1068 अवैध आवासीय और 101 व्यावसायिक निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश पिछले साल नवंबर में दिए थे। इसके बाद एलडीए ने 21 दिसंबर 2023 को ध्वस्तीकरण शुरू किया ही था कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस पर स्थगनादेश दे दिया था। अयोध्या रोड पर दोनों ओर 101 अवैध व्यावसायिक निर्माण करने वालों में से 25 ने याचिका एक साथ दायर की थी। इसके बाद शेष दुकानदारों ने भी याचिकाएं दी थी। कोर्ट ने 25 शोरूमों और दुकानों के मामले में सुनवाई करते हुए मंगलवार को 24 दुकानों के ध्वस्तीकरण आदेश पर लगी रोक को हटा दिया।

छह टीमों ने की कार्रवाई 

एलडीए ने अवैध व्यावसायिक निर्माण गिराने की तैयारी सुबह से ही कर ली थी। सोमवार को अकबरनगर द्वितीय में कुकरैल बंधे किनारे के अवैध निर्माण तोड़ने के बाद बुलडोजर और पोकलैंड को मंगलवार सुबह ताज फर्नीचर के आसपास तैनात किया गया। एलडीए उपाध्यक्ष डा. इंद्रमणि त्रिपाठी, नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह, डीसीपी रवीना त्यागी सहित कई अधिकारी मंगलवार सुबह सात बजे ही अकबरनगर पहुंच गए। पहले कुकरैल नदी से सटे अवैध निर्माण को गिराने के लिए पोकलैंड उतारा गया। सोमवार की अपेक्षा मंगलवार को पुलिस बल की तैनाती अधिक की गई। एलडीए, नगर निगम और पुलिसकर्मियों को मिलाकर करीब तीन हजार लोग तैनात हुए।

महिला ने चलाया पत्थर 

पोकलैंड जब कुकरैल नदी के किनारे अवैध रूप से बनी झुग्गियों को तोड़ रहा था, उसी बीच एक महिला ने उसपर पत्थर फेंक दिया। इससे पोकलैंड का शीशा टूट गया। महिला के बाद एक-दो शरारती तत्वों की ओर से भी पत्थर आया। मौके पर पुलिस ने स्थिति को संभाला और पोकलैंड को पीछे बुलाकर उस गली की बैरिकेटिंग कर दी।

पतंग से फंसकर ड्रोन गिरा

पुलिस ने शाम 4:30 बजे ताज फर्नीचर से जब ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की, तब छत की निगरानी के लिए ड्रोन की मदद ली गई। ताज फर्नीचर के बगल वाले शाेरूम के ऊपर जैसे ही ड्रोन पहुुंचा, वह एक पतंग में फंसकर गिर गया। एलडीए के पूर्व सैनिकों ने छत पर चढ़कर ड्रोन को बरामद किया।

अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट में डाला डेरा

हाईकोर्ट के निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने में कोई देर न हो, इसके लिए एलडीए ने अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा, विशेष कार्याधिकारी देवांश त्रिवेदी सहित कई अधिकारियों की टीम को सारी तैयारियों के साथ साेमवार को ही दिल्ली भेज दिया था। यह अधिकारी दिल्ली से लखनऊ की कार्रवाई पर नजर रख रहे थे।

खाली होने लगे घर 

जैसे-जैसे अवैध शाेरूम टूटते चले गए, यहां अवैध रूप से रहने वाले लोगों ने अपने घरों को भी खाली करना शुरू कर दिया। छोटे लोडर, पैदल रिक्शा जो भी साधन मिले, लोग अपने सामान लेकर जाते रहे।

धनी कब्जेदारों को नहीं कहा जा सकता झुग्गीवासी

कुकरैल नदी पर कब्जा करने वाले करोड़पति कब्जेदारों ने खुद को झुग्गीवासी कहते हुए हाईकोर्ट में याचिका की थी। कोर्ट ने इन करदाता कब्जेदारों की याचिकाओं को गरीब और वास्तविक झुग्गीवासी कब्जेदारों की याचिकाओं से अलग कर दिया था। कोर्ट के मांगने पर एलडीए ने ऐसे 73 कब्जेदारों की सूची सौंपी थी जो सालाना करोड़ो रुपए का टर्नओवर करते हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे धनी कब्जेदारों को झुग्गीवासी नहीं कहा जा सकता है।

जस्टिस विवेक चैधरी व जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने कहा कि सुनवाई के दौरान याचियों ने स्वीकार किया कि यह जमीनें राज्य सरकार की हैं और उन पर बने शोरूम और फर्नीचर के कारखाने अवैध हैं। कोर्ट ने कहा कि झुग्गीवासी वे लोग होते हैं जो गरीबी और परिस्थितियोंवश अमानवीय हालात में रहते हैं, उन्हें मिलने वाली सहानुभूति वर्तमान याचियों को नहीं दी जा सकती।

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