Janmashtami 2024: लखनपुरी में भी है एक 'मथुरा', 300 वर्ष पुराने मंदिर में 56 थाल में 56 भोग करते हैं अर्पित
लखनऊ में जन्माष्टमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यहां के ठाकुरद्वारों और मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव अनोखे तरीके से मनाया जाता है। लखनपुरी में भी एक मथुरा है। उस मथुरा की तरह यहां भी कारागार हैं। इस लेख में हम आपको लखनऊ में जन्माष्टमी के इतिहास परंपराओं और वर्तमान परिदृश्य के बारे में विस्तार से बताएंगे।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। लखनपुरी में भी एक 'मथुरा' है। उस मथुरा की तरह यहां भी 'कारागार' हैं, जिनमें हर वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य होता है। भक्त अपने आराध्य कान्हा के उस अनूप स्वरूप का दर्शन करते हैं। उन्हें झूला झुलाते हैं और उनकी झांकी सजाते हैं। जन्मोत्सव के साथ उनका छठोत्सव भी मनाते हैं।
इस परंपरा का पालन तीन सदी पुराने ठाकुरद्वारों के साथ ही नए-पुराने मंदिरों, पुलिस लाइन, पीएससी मुख्यालय व थानों-कोतवालियों में आज भी किया जाता है। इस बार श्रीकृष्ण जन्मोत्सव 26 अगस्त को मनाया जाएगा। लखनऊ में जन्माष्टमी की परंपरा, इतिहास और वर्तमान परिदृश्य पर प्रकाश डाल रहे हैं संवाददाता महेन्द्र पाण्डेय...।
अनूठे ठाकुरद्वारे... यहां नित्य आस्था-भक्ति का प्रवाह
श्री राधिकानाथजी ठाकुरद्वारा चौपटिया में सजा कान्हा जी का दरबार -ठाकुरद्वारा
भक्त पुष्पों की माला बना रहे हैं। कोई रंग-बिरंगे फूलों से आसन बना रहा है तो वस्त्र तैयार कर रहा है। थोड़ी देर में ही भगवान की आराधना शुरू की जाती है। इसके बाद आरती और फिर प्रसाद बांटा जाता है। पुराने शहर के ठाकुरद्वारों में इन दिनों अलग उमंग है, कारण जन्माष्टमी निकट है।
भक्त पुष्पों की माला बना रहे हैं। कोई रंग-बिरंगे फूलों से आसन बना रहा है तो वस्त्र तैयार कर रहा है। थोड़ी देर में ही भगवान की आराधना शुरू की जाती है। इसके बाद आरती और फिर प्रसाद बांटा जाता है। पुराने शहर के ठाकुरद्वारों में इन दिनों अलग उमंग है, कारण जन्माष्टमी निकट है।
भगवान के प्राकट्योत्सव की तैयारी की जा रही है। यहां भगवान श्रीकृष्ण जी के दर्शन (दिनचर्या) को आठ भागों में बांटा गया है। इन सभी को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। यथा- मंगला, शृंगार, ग्वाल, राजभोग, उथापन, भोग, आरती और शयन। सभी दर्शन अपने समय पर करीब 20-25 मिनट तक होते हैं।पुराने लखनऊ में 100 वर्ष से अधिक पुरानी छह हवेलियां हैं। इनमें सबसे प्राचीन मदनमोहन हवेली (मंदिर) चूड़ी वाली गली, चौक में है। वैसे तो यहां प्रतिदिन हवेली के सेवादार व वैष्णव विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं, किंतु इन हवेलियों में सेवा दूसरे मंदिरों से अलग तरह से की जाती है। यहां बाहर से बनाकर भोग सामग्री व फूलमाला सेवा में नहीं लाई जाती।
सत्संग घर की महिलाएं (वैष्णव) प्रतिदिन शाम को सेवा के लिए हवेली में आती हैं और परिसर में ही भोग सामग्री और माला व वस्त्र और आभूषण तैयार करती हैं। ऋतु के हिसाब से भगवान को वस्त्र पहनाए जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का शृंगार धातु के आभूषणों के अलावा वैशाख से लेकर आषाढ़ मास तक बेला के फूलों से बनाए गए वस्त्र व आभूषणों से किया जाता है।चौपटिया के राधिकानाथ जी ठाकुरद्वारा और कुंदनलाल ठाकुरद्वारा में भी भव्य जन्माष्टमी मनाई जाती है। ठाकुरद्वारा के सेवक संतोष अग्रवाल ने बताया कि ये दोनों ठाकुरद्वारे करीब तीन वर्ष पुराने हैं। यहां पांच पीढ़ियों से जन्माष्टमी मनाने की परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। भगवान के जन्म से लेकर छठवें दिन तक उत्सव करते हैं। भव्य झांकी सजाने के साथ ही भजन-कीर्तन भी किया जाता है।
द्वारिकाधीश मंदिर चौक में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव ही नहीं, छठोत्सव भी मनाया जाता है। मंदिर के व्यवस्थापक उत्तम कपूर ने बताया कि करीब तीन सौ वर्ष पुराने इस मंदिर में लंबे समय से जन्माष्टमी मनाई जा रही है। छठे दिन महोत्सव मनाया जाता है। इस दिन भगवान को 56 थाल में 56 भोग अर्पित करते हैं। मथुरा के कलाकार भगवान के स्वरूप में लीलाएं दिखाते हैं। उनके साथ भक्तजन फूलों की होली खेलते हैं। भगवान के विग्रह को बनारसी वस्त्र पहनाकर, आभूषणों व पुष्पों से भव्य शृंगार किया जाता है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस्कान मंदिर, सुशांत गोल्फ सिटी में महामहोत्सव मनाया जाता है। 2011 में इस्कान मंदिर की स्थापना के बाद यहां भगवान का जन्मोत्सव शुरू किया गया था। मंदिर के मीडिया प्रभारी प्रदीप शुक्ला ने बताया कि भगवान के जन्म के बाद दूध, दही, घी, शहद और 1008 तीर्थों के जल से अभिषेक किया जाता है। देर रात तक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इस बार बाल कलाकार नृत्य नाटिकाएं प्रस्तुत करेंगे। पद्मश्री लोक गायिका मालिनी अवस्थी रात आठ बजे से गीतों की प्रस्तुति देंगी।
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श्री राधा माधव मंदिर, डालीगंज में की गई सजावट। मंदिरश्री राधा माधव मंदिर, डालीगंज में 62 वर्ष पुरानी जन्माष्टमी उत्सव की परंपरा का निर्वहन आज भी किया जा रहा है। इस मंदिर की स्थापना स्व. मुन्नू लाल साहू की धर्म पत्नी शीतला देवी की प्रेरणा से की गई थी। अयोध्या के महंत ने आषाढ़ की द्वितीया को श्री राधा माधव की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी। जयपुर के मूर्तिकार ने भगवान श्री कृष्ण की रास लीलाओं को दीवारों पर उकेरा था। ये दृश्य आज भी शोभायमान हैं। संयोजक अनुराग साहू ने बताया कि मंदिर में श्री कृष्ण प्राकट्योत्सव पर श्वेत बनारसी वस्त्रों, चांदी के मुकुट धारण कराकर श्री राधा-माधव का भव्य फूलों का शृंगार किया जाता है। कलाकार महारास के साथ ही कान्हा की बाल लीलाओं का मंचन करते हैं। झालरों व गुब्बारों से सजे मंदिर में दक्षिणावर्त श्री लक्ष्मी शंख से भगवान श्रीकृष्ण का पंचाभिषेक कर 56 भोग लगाया जाता है। भव्य झांकी सजाई जाती है। दही-हांड़ी फोड़ने की परंपरा भी निभाई जाती है। इस बार 15 फीट की ऊंचाई पर दही-मटकी सजाई जा रही है। मंदिर संस्था के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भारत भूषण गुप्ता ने बताया कि इस बार भजन गायक धनंजय मित्तल व नितीश सिंह भजनों की वर्षा करेंगे। भगवान की भव्य महाआरती के बाद पंचमेल प्रसाद वितरण किया जाएगा।भव्य झांकी संग सजता कला-संस्कृति का मेला
जन्माष्टमी में पुलिस लाइन में रोशनी से सजी झांकी। जागरण आर्काइवपुलिस लाइन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कन्हैया का जन्म, कान्हा संग वासुदेव जी के यमुना पार करने के दृश्यों के साथ ही कालिया नाग पर कृष्ण के नृत्य की झांकी आकर्षण का केंद्र रहती है। भव्य झांकी के साथ कला-संस्कृति का मेला सजता है। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस बार लेजर शो के साथ ही मथुरा के कलाकारों की प्रस्तुतियां कराने की तैयारी है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी आमंत्रित किया गया है। एडीसीपी पुलिस लाइन अमित कुमावत ने बताया कि विभिन्न विद्यालयों का सहयोग भी लिया जा रहा है। आयोजन में परंपरा पालन किया जाता है।विराजे हैं बाल गोपाल, है कारागार भी
पीएसी मुख्यालय महानगर में सजी झांकी। जागरण आर्काइवपीएसी मुख्यालय महानगर के मंदिर झूले पर लेटे हुए बाल गोपाल भी स्थापित किए गए हैं। यहां 'मथुरा' कारागार भी बनाया गया है, जिसमें श्रीकृष्ण जन्म और देवकी वासुदेव के दर्शन भी होते हैं। जन्माष्टमी पर मंदिर में झांकी सजाई जाती है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बीच जन्मोत्सव मनाया जाता है। पुलिस अधिकारी व उनके परिवार के सदस्य भगवान की पूजा-आरती करते हैं। उत्सव की तैयारी जारी है।द्वारिकाधीश को 56 थाल में लगाते 56 भोग
द्वारिकाधीश मंदिर चौक में विराजे हैं कान्हा जी - मंदिरद्वारिकाधीश मंदिर चौक में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव ही नहीं, छठोत्सव भी मनाया जाता है। मंदिर के व्यवस्थापक उत्तम कपूर ने बताया कि करीब तीन सौ वर्ष पुराने इस मंदिर में लंबे समय से जन्माष्टमी मनाई जा रही है। छठे दिन महोत्सव मनाया जाता है। इस दिन भगवान को 56 थाल में 56 भोग अर्पित करते हैं। मथुरा के कलाकार भगवान के स्वरूप में लीलाएं दिखाते हैं। उनके साथ भक्तजन फूलों की होली खेलते हैं। भगवान के विग्रह को बनारसी वस्त्र पहनाकर, आभूषणों व पुष्पों से भव्य शृंगार किया जाता है।
श्रद्धालुओं में बंटेंगे प्रसाद के एक लाख पैकेट
खाटू श्याम मंदिर में भी जन्माष्टमी पर भव्य आयोजन की तैयारी है। इस भी यहां झूला लगेगा। भगवान की झांकी सजाई जाएगी। श्री श्याम परिवार के कार्यवाहक अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने बताया कि मंदिर परिसर को झालरों से सजाया जाएगा। भगवान के जन्म के बाद अभिषेक किया जाएगा। भक्तों को प्रसाद के लिए लड्डुओं के एक लाख पैकेट बनवाए जाएंगे।इस्कान मंदिर में जन्माष्टमी महामहोत्सव
इस्कान मंदिर में विराजमान भगवान श्री कृष्ण और राधा जी - मंदिरश्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस्कान मंदिर, सुशांत गोल्फ सिटी में महामहोत्सव मनाया जाता है। 2011 में इस्कान मंदिर की स्थापना के बाद यहां भगवान का जन्मोत्सव शुरू किया गया था। मंदिर के मीडिया प्रभारी प्रदीप शुक्ला ने बताया कि भगवान के जन्म के बाद दूध, दही, घी, शहद और 1008 तीर्थों के जल से अभिषेक किया जाता है। देर रात तक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इस बार बाल कलाकार नृत्य नाटिकाएं प्रस्तुत करेंगे। पद्मश्री लोक गायिका मालिनी अवस्थी रात आठ बजे से गीतों की प्रस्तुति देंगी।
यहां भी मनेगी जन्माष्टमी
- सभी थानों और कोतवाली
- बांके बिहारी मंदिर, बीकेटी
- श्री राधाकृष्ण मंदिर, नरही
- श्री खाटू श्याम मंदिर, बीकेटी
- कालीबाड़ी मंदिर, रवींद्रपल्ली
- बिहारी जी मंदिर, यहियागंज
- श्री राधा मंदिर, चौपटिया
- इंद्रेश्वर मंदिर व तुलसी मानस मंदिर