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UP Health: 480 करोड़ से बनेगी सेंटर आफ एक्सीलेंस इन पीडियाट्रिक कार्डियोलाजी, जन्मजात हृदय रोगी बच्चों का इलाज

यूपी सरकार प्रदेश की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍थाओं को दुरुस्‍त करने में प्रयासरत है। इसी क्रम में यूपी सरकार ने अमेरिका के सलोनी हार्ट फाउंडेशन के साथ एक करार क‍िया है। ज‍िससे 480 करोड़ की लागत से संजय गांधी पीजीआइ में बच्‍चों के ल‍िए 200 बेड की कार्डियोलाजी यून‍िट बनेगी।

By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Tue, 27 Dec 2022 05:04 PM (IST)
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Heart Pediatric Cardiology: : 480 करोड़ से बनेगी सेंटर आफ एक्सीलेंस इन पीडियाट्रिक कार्डियोलाजी
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। यूपी सरकार ने अमेरिका के सलोनी हार्ट फाउंडेशन के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) साइन किया गया है। यह फाउंडेशन राजधानी में स्थित संजय गांधी पीजीआइ में 200 बेड की सेंटर आफ एक्सीलेंस इन पीडियाट्रिक कार्डियोलाजी स्थापित करेगा। 480 करोड़ की लागत से तैयार इस कार्डियोलाजी में हर साल 10 हजार बच्चों का उपचार होगा और पांच हजार बच्चों की हार्ट सर्जरी की जाएगी।

पीडियाट्रिक कार्डियोलाजी की जल्‍द होगी शुरुआत

  • ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट-2023 के लिए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के नेतृत्व में गए प्रतिनिधिमंडल ने यह करार किया गया है। इसमें जन्मजात हृदय रोगी बच्चों का उपचार किया जाएगा।
  • वित्त मंत्री ने बताया कि अमेरिका में कैलिफोर्निया में निवास कर रहे भारतीय मूल की मिली सेठ व हिमांशु सेठ ने लखनऊ के संजय गांधी पीजीआइ में इस सेंटर का निर्माण कराने पर सहमति दी और फिर एमओयू साइन किया गया।
  • 30 बेड से इस पीडियाट्रिक कार्डियोलाजी की शुरुआत होगी। फिर पहले चरण में 70 बेड बढ़ेंगे और दूसरे चरण में 100 बेड और बढ़ेंगे। इस तरह कुल 200 बेड यहां होंगे।
  • फिलहाल अब बच्चों के हृदय रोग का बेहतर उपचार यहां होगा। फाउंडेशन के विशेषज्ञ समय-समय पर संजय गांधी पीजीआइ का दौरा करेंगे और अमेरिका के विशेषज्ञ डाक्टर आनलाइन परामर्श भी देंगे।
  • इस फाउंडेशन से दुनिया के 23 टाप सुपरस्पेशियलिस्ट पीडियाट्रिक कार्डियोलाजिस्ट व पीडियाट्रिक कार्डियोथोरोसिक सर्जन जुड़े हुए हैं।

खुद की बेटी सलोनी को नहीं बचा पाए तो छेड़ी मुहिम

सलोनी फाउंडेशन की संस्थापक व प्रेसीडेंट मिली सेठ व उनके पति हिमांशु सेठ ने अपनी बेटी सलोनी की याद में यह फाउंडेशन बनाया है। वर्ष 2005 में उनकी छोटी बेटी सलोनी का जन्म हुआ। वह जन्मजात कंजेनाइटल हार्ट डिजीज यानी जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित थी। अब अमेरिका में बस चुके यह दंपत्ति दिल्ली के रहने वाले हैं। देश में बेहतर इलाज न मिलने पर वह वर्ष 2010 में अमेरिका शिफ्ट हो गए। यहां स्टैनफोर्ड हास्पिटल में उसका इलाज हुआ लेकिन उपचार में देरी के कारण हुए कई तरह के संक्रमण होने के कारण उसकी मौत हो गई। उसके बाद यह फाउंडेशन बनाया।

क्यों इस यूनिट को स्थापित करना है जरूरी

एम्स दिल्ली की पूर्व डीन व पंडित बीडी शर्मा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अनीता सक्सेना के अनुसार देश में हर साल 40 हजार जन्मजात हृदय रोग से ग्रस्त होते हैं। इसमें से 20 प्रतिशत बच्चों को जीवित रहने के लिए पहले साल हार्ट की सर्जरी होना जरूरी है। इलाज न मिलने से कई बच्चों की मौत होती है और इसमें सबसे ज्यादा बच्चे यूपी, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान व दिल्ली के होते हैं।

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