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Chandrayaan 3: चंद्रमा पर जीवन है क्या, पृथ्वी पर क्रेटर क्यों नहीं? बच्‍चों ने जाने इन सवालों के जवाब

इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में बच्चों की जिज्ञासाओं पर जानकारी देने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। आयोजन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के संयुक्त निदेशक राजेश गंगवार और इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के वैज्ञानिक अधिकारी सुमित श्रीवास्तव समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे। सुमित ने बताया क‍ि शाम 530 बजे से चंद्रयान-3 के सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लाइव प्रसारण भी किया जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Wed, 23 Aug 2023 03:43 PM (IST)
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इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में बच्चों की जिज्ञासाओं पर जानकारी देने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। Chandrayaan 3: राजकीय बालिका इंटर कालेज छोटी जुबली से 11वीं की छात्रा निधि श्रीवास्तव ने पूछा की चंद्रमा पर क्रेटर है, लेकिन पृथ्वी पर क्यों नहीं? इस पर रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. अनिरुद्ध उनियाल ने जवाब दिया की उल्का पिंड से टकराने के बाद पृथ्वी का एक हिस्सा चंद्रमा बन गया। चंद्रमा पर पानी बर्फ के रूप में उपस्थित है। वह पानी पृथ्वी पर तरल पदार्थ में है। इसके अलावा पृथ्वी का एक दिन चंद्रमा के 14 दिन के बराबर है।

बच्‍चों की ज‍िज्ञासाओं के ल‍िए आयोज‍ित की गई वर्कशॉप    

चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर बच्चों से लेकर बड़े तक हर कोई उत्साहित नजर आया। इस कड़ी में इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में बच्चों की जिज्ञासाओं पर जानकारी देने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। आयोजन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के संयुक्त निदेशक राजेश गंगवार और इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के वैज्ञानिक अधिकारी सुमित श्रीवास्तव समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे। सुमित ने बताया क‍ि शाम 5:30 बजे से चंद्रयान-3 के सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लाइव प्रसारण भी किया जाएगा।

कई स्‍कूलों के 100 से अधि‍क बच्‍चे हुए शामिल 

कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. अनिरुद्ध उनियाल ने चंद्रमा से जुड़ी हुई हर जानकारी बच्चों को साझा की। साथ ही चंद्रयान मिशन समेत भारत के हर मिशन के बारे में भी बच्चों को बताया। कई स्कूलों से लगभग 100 से अधिक बच्चे इस अवसर पर इकट्ठा हुए तो वहीं कई लोग अखबारों में पढ़कर जानकारी लेने के लिए कार्यशाला में शामिल हुए।

...तो भारत दुन‍िया का पहला ऐसा देश बन जाएगा जो

डॉ. उनियाल ने बताया कि भारत की ओर से चंद्रमा पर जाने के लिए अब तक तीन मिशन संचालित किया जा चुके हैं। 2008 में पहली बार चंद्रयान को प्रक्षेपित किया गया था। वहीं, चंद्रयान दो 2019 में भेजा गया था। यह पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया था। अब यदि बुधवार को चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक हो जाती है तो भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा हो।

बच्‍चों को म‍िली अहम जानकार‍ियां

आयोजन में राजकीय बालिका इंटर कालेज शाहमीना रोड से आई वैष्णवी सेठ ने बताया कि यहां पर आकर चंद्रयान-3 के बारे में कई जानकारियां मिली यह भी पता चला कि चंद्रमा पर जीवन संभव है।

नेशनल पीजी कालेज से आए बीएससी के छात्र आर्यन सिंह ने बताया कि इस कार्यशाला में हमें पता चला की चंद्रमा पर वायुमंडल है ही नहीं और साथ ही इस वायुमंडल के न होने से पृथ्वी और चंद्रमा के बीच में कितने बड़े अंतर हैं कई ऐसी बातें भी कंठस्थ हुई, जिन्हें बचपन में पढ़ा था पर भूल गए थे। वहीं, सारांश ने बताया कि यहां पर जाकर पता चला कि पृथ्वी की अपेक्षा चंद्रमा पर भूकंप अधिक देर तक रहते हैं इसके अलावा रूस के द्वारा जारी किए गए राकेट लूना-3 की पेलोड क्षमता चंद्रयान-3 से अधिक है। इसी वजह से वह चंद्रमा की कक्षा में सीधे पहुंच गया जबकि हमें गुरुत्वाकर्षण बल के जरिए जाना पड़ा।

नादान महल रोड निवासी प्रतीक सिंह ने बताया कि अखबार में कार्यशाला के बारे में पढ़ा था तो जानकारी लेने के लिए पहुंच गए। प्रतीक ने बताया कि यहां पर हमें पता चला कि यहां से देखने में छोटा सा चांद असल में कितना बड़ा है और हमारे लिए कितना जरूरी है। इस आयोजन में कई स्कूलों से लगभग 100 से अधिक बच्चों और उनके साथ आए शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।

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