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यूपी में शिक्षकों के ट्रांसफर नियम में बदलाव, अब तीन वर्ष की सेवा पर ही शिक्षकों का हो सकेगा तबादला

उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों के लिए स्थानांतरण नियमों में बदलाव किया गया है। अब तीन साल की सेवा पूरी करने पर स्थानांतरण हो सकेगा पहले यह अवधि पांच साल थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में इस निर्णय पर मुहर लगाई गई। इस निर्णय से प्रदेश के महिला व दिव्यांग शिक्षकों को बड़ी राहत मिलेगी।

By Ashish Kumar Trivedi Edited By: Shivam Yadav Updated: Tue, 05 Nov 2024 04:32 AM (IST)
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शिक्षकों का अब न्यूनतम तीन वर्ष की सेवा पूरी करने पर स्थानांतरण हो सकेगा।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों का अब न्यूनतम तीन वर्ष की सेवा पूरी करने पर स्थानांतरण हो सकेगा। अभी तक इन कॉलेजों में न्यूनतम पांच वर्ष की सेवा पूरी होने पर ही शिक्षकों का स्थानांतरण किया जाता था। 

सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की बैठक में इस महत्वपूर्ण निर्णय पर मुहर लगाई गई। कैबिनेट में कुल 29 प्रस्ताव पेश किए गए और उसमें से 27 प्रस्ताव पास हुए। वक्फ नियमावली व गृह विभाग से संबंधित दो प्रस्ताव पास नहीं हो सके।

स्थानांतरण नियमावली-2024 को मंजूरी

प्रदेश में कुल 306 एडेड डिग्री कॉलेजों में कुल 16,570 अध्यापक पढ़ा रहे हैं। उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानांतरण नियमावली-2024 को मंजूरी दी गई है। 

शिक्षकों को पहले की ही तरह अपने संपूर्ण सेवाकाल में स्थानांतरण की केवल एक बार ही सुविधा दी जाएगी। एक डिग्री कॉलेज से दूसरे डिग्री कॉलेज में एकल या पारस्परिक स्थानांतरण के लिए शिक्षक आवेदन करेगा। विश्वविद्यालय के द्वारा अनुमोदित प्रबंधतंत्र विधि सम्मत रूप से गठित होना चाहिए। 

जिस कॉलेज में शिक्षक पढ़ा रहा है और जिस दूसरे कॉलेज में शिक्षक अपना स्थानांतरण चाहता है, उन दोनों ही प्रबंधतंत्रों की लिखित सहमति सहित उच्च शिक्षा निदेशक को प्रस्ताव भेजा जाएगा। यानी दोनों प्रबंधकों की सहमति से ही स्थानांतरण के लिए प्रस्ताव उच्च शिक्षा विभाग को भेजा जाएगा।

महिला व दिव्यांग शिक्षकों को बड़ी राहत

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से महिला व दिव्यांग शिक्षकों को बड़ी राहत मिलेगी। बीते वर्ष 23 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 लागू की जा चुकी है। ऐसे में उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम-1980 को समाप्त कर दिया गया है। 

वर्ष 1980 के अधिनियम के समाप्त होने के साथ ही उप्र उच्चतर शिक्षा सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानांतरण नियमावली (यथा संशोधन)-2005 स्वत: ही समाप्त हो चुकी है। ऐसे में नई नियमावली बनाकर इसे लागू कराया गया है और शिक्षकों को राहत दी गई। लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष मनोज कुमार पांडेय ने इस निर्णय का स्वागत किया है।

डेढ़ साल से शिक्षक कर रहे स्थानांतरण का इंतजार

एडेड डिग्री कॉलेजों के शिक्षक पिछले करीब डेढ़ वर्ष से स्थानांतरण का इंतजार कर रहे हैं। बीते 30 जून को स्थानांतरण सत्र भी बीत चुका है। फिलहाल अब नई नियमावली लागू होने के बाद अध्यापकों को बड़ी राहत मिल गई है। उन्हें स्थानांतरण की सुविधा आसानी से मिल सकेगी। 

एडेड डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों के आफलाइन ही तबादले किए जाते हैं। यही नहीं वर्ष 2021 से शिक्षकों के सभी पदों पर आरक्षण की रोस्टर प्रणाली को लागू किया गया है। सभी पदों को अनारक्षित, ओबीसी व एससी-एसटी इत्यादि श्रेणियों में बांट दिया गया है। 

अब अगर किसी कॉलेज में एससी श्रेणी के शिक्षक के पद पर कार्यरत अध्यापक दूसरे कॉलेज में स्थानांतरित होगा तो वह एससी श्रेणी के पद पर ही हो सकेगा। रोस्टर प्रणाली इसलिए लागू की गई है ताकि कोई भी पद रिक्त होने पर वह जिस श्रेणी का है उसी श्रेणी में विज्ञापित कर भरा जा सके। आरक्षण के नियमों को सख्ती से लागू कराया गया है।

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