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CM योगी आदित्यनाथ ने 23 लाख निर्माण श्रमिकों को दी भरण-पोषण भत्ता की सौगात, खाते में भेजे 1-1 हजार रुपये

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को 23 लाख पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बैंक खाते में प्रति परिवार 1000 रुपये आनलाइन ट्रांसफर किया। उन्होंने असंगठित क्षेत्र के कामगारों को पंजीकृत करने के लिए पोर्टल का शुभारंभ किया। वह इस दौरान श्रमिकों से संवाद कर रहे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Thu, 10 Jun 2021 06:52 AM (IST)
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सीएम योगी आदित्यनाथ 23 लाख निर्माण श्रमिकों को बुधवार 1000 रुपये भरण पोषण भत्ता की सौगात दी।
लखनऊ, जेएनएन। कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में दिहाड़ी पर काम करने वाले पंजीकृत निर्माण श्रमिकों संबल देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के 23.2 लाख पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बैंक खातों में 230 करोड़ रुपये की धनराशि ऑनलाइन हस्तांतरित की। प्रत्येक श्रमिक के खाते में 1000 रुपये की धनराशि भरण पोषण भत्ते के तौर पर भेजी गई है। अपने सरकारी आवास पर आयोजित कार्यक्रम में सीएम योगी ने पांच श्रमिकों को खुद 1000 रुपये की राशि के चेक सौंपे। यह राशि देते हुए उन्होंने कहा कि श्रमिक हितों की रक्षा करते हुए कोरोना संक्रमण की चेन को कमजोर करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्ड में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के पंजीकरण के लिए पोर्टल का शुभारंभ भी किया। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कुछ श्रमिकों से संवाद भी किया।

अपने सरकारी आवास पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रमिकों ने अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले सवा साल से कोरोना के खिलाफ लगातार जारी जंग में श्रमिकों ने हमेशा सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इसका मुकाबला किया है। पिछले साल संक्रमण की पहली लहर के कारण घोषित लॉकडाउन की वजह से चुनौती ज्यादा थी। 40 लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिक उत्तर प्रदेश में आए थे जिनके भरण पोषण से लेकर रोजगार तक की व्यवस्था सरकार ने की। दुनिया के तमाम संस्थान यूपी के इस सफल मॉडल पर शोध कर रहे हैं। श्रमिकों के हितों का ख्याल रखते हुए हम कोरोना की पहली लहर से पार पा सके।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देने और इनको हितों का ख्याल रखने के लिए सरकार ने प्रदेश में आयोग गठित किया। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान प्रदेश में बड़े और छोटे उद्योग चलते रहे, खेती बाड़ी का काम जारी रहा। हमने निर्माण कार्य भी बंद नहीं होने दिया। औद्योगिक इकाइयों और कारखानों में कोविड केयर सेंटर और कोविड हेल्प डेस्क का गठन कर हमने सभी श्रमिकों को सुरक्षित रखने का काम किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोहराया कि सरकार प्रदेश के अंदर संगठित व असंगठित क्षेत्र के सभी श्रमिकों का पंजीकरण कराकर उन्हें दो लाख रुपये की सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देगी। यह काम शुरू हो गया है। इसी तरह हर श्रमिक का पंजीकरण कराकर उन्हें पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर दिलाने के लिए भी सरकार प्रतिबद्ध है।

पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष 2017 से पहले गरीब मजदूरों का राशन कार्ड बनता नहीं था। सत्ताधारी दल से जुड़े परिवारों के ही राशन कार्ड बनते थे। हमने अभियान चलाकर सभी गरीब मजदूरों को राशन कार्ड मुहैया कराया। अपने उद्बोधन में वह मजदूरों को आगाह करने से नहीं चूके कि कोरोना संक्रमण कमजोर हुआ है लेकिन समाप्त नहीं हुआ है। इसलिए कोरोना से बचाव के लिए सतर्कता बरतें और आवश्यक कदम उठाएं।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्ड में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के पंजीकरण के लिए पोर्टल का शुभारंभ भी किया। अपने उद्बोधन में मुख्यमंत्री मजदूरों को आगाह करने से नहीं चूके कि कोरोना संक्रमण कमजोर हुआ है, लेकिन समाप्त नहीं हुआ है। इसलिए कोरोना से बचाव के लिए सतर्कता बरतें। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने हमीरपुर के श्रमिक अतुल खरे, वाराणसी के मिथलेश कुमार, कानपुर के प्रवीण मिश्र, मेरठ के कुलदीप कुमार और झांसी के राशिद अली से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये संवाद भी किया। उनसे पूछा कि उन्हें श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं। उनको अन्य श्रमिकों का भी बोर्ड में पंजीकरण कराने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, वित्त एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, पंचायती राज मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह, श्रम राज्य मंत्री मनोहर लाल कोरी और शासन के अधिकारी मौजूद थे।

बता दें कि कोरोना के मद्देनजर सुरक्षा के लिए यूपी सरकार ने आंशिक कर्फ्यू लगाया था। इसका फायदा भी देखने को मिला, क्योंकि प्रदेश में डेली नए केस के आंकड़ें तेजी से कम हो रहे हैं। हालांकि, इसका बुरा असर उन लोगों पर पड़ा है, जो दिहाड़ी पर काम कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं, लेकिन सरकार ने उनकी मदद के लिए भी एक बड़ा कदम उठाया है ताकि दिहाड़ी पर काम करने वाले श्रमिकों, पटरी और फेरी दुकानदारों को जीवन यापन में कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐसे लोगों को एक हजार रुपये भरण-पोषण भत्ता देने का फैसला किया है। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान घोषित लॉकडाउन में  पंजीकृत 20.37 लाख श्रमिकों को भरण-पोषण भत्ता मिला था।

बता दें कि कोरोना की विषम परिस्थितियों में राज्य सरकार ने ठेला-खोमचा लगाने वाले पटरी दुकानदारों, पंजीकृत श्रमिकों के अतिरिक्त अन्य श्रमिकों, दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा चालक, कुली, पल्लेदार, नाविक, नाई, धोबी, मोची, हलवाई आदि रोज कमाकर खाने वालों को प्रति परिवार एक माह के लिए 1000 रुपये भरण-पोषण भत्ता देने का फैसला किया है। यह योजना फिलहाल एक माह के लिए लागू की गई है। श्रम विभाग के अधीन उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (बीओसीडब्लू) में वर्तमान में 98 लाख श्रमिक पंजीकृत हैं। इनमें से लगभग 67.37 लाख श्रमिकों का पंजीकरण नवीनीकृत है। इस लिहाज से वे भरण-पोषण भत्ता पाने के हकदार हैं।

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