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CM Yogi Sitapur Visit: नैमिषारण्य धाम में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पहुंचे सीएम योगी, सनातम धर्म को लेकर कही ये बात

CM Yogi Sitapur Visit नैमिषारण्य के स्कंद आश्रम भवन आयोजित जगन्माता राजरजेश्वरी की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा व चितशक्ति द्वार के उद्घाटन महोत्सव में बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीतापुर पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री के मंच पर पहुंचते ही पंडाल में मौजूद श्रद्धालुओं ने जयकारा लगाकर स्वागत किया गया। मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह का भी स्वागत किया गया।

By Jagran News Edited By: riya.pandey Updated: Wed, 21 Feb 2024 04:00 PM (IST)
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नैमिषारण्य में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पहुंचे सीएम योगी
जागरण संवाददाता, सीतापुर। UP CM Yogi Adityanath: नैमिषारण्य के स्कंद आश्रम भवन आयोजित जगन्माता राजरजेश्वरी की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा व चितशक्ति द्वार के उद्घाटन महोत्सव में बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीतापुर पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री ने मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने चितशक्ति द्वार (प्रमुख द्वार) का उद्घाटन किया। इसके बाद कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए मंच पर पहुंचे।

जयकारे के साथ सीएम योगी का स्वागत

मुख्यमंत्री के मंच पर पहुंचते ही पंडाल में मौजूद श्रद्धालुओं ने जयकारा लगाकर स्वागत किया गया। मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह का भी स्वागत किया गया। वहीं मुख्यमंत्री योगी व मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह को आश्रम का साहित्य भेंट किया गया। कार्यक्रम में मंच पर पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री ने माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया। इसके बाद कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। 

प्रगति के लिए धार्मिक होना जरूरी- सीएम योगी

स्कंद आश्रम श्री जगदंबा राजरजेश्वरी मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा एवं चितशक्ति द्वार उद्धघाटन महोत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन धर्म-अध्यात्म पर ही केंद्रित रहा। उन्होंने प्रगति के लिए धार्मिक होना जरूरी बताया। कहा कि धर्महीन मनुष्य पशु समान है। धर्म शाश्वत है, जोकि अनुशासन, सदाचार और कर्तव्य का पाठ पढ़ाता है। विश्व मानवता को बचाने के लिए सनातन धर्म को बचाना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि नैमिषारण्य की धरती हमेशा से ही धर्म रक्षा के लिए विख्यात रही है। यहां 88 हजार ऋषियों ने घोर तपस्या करके मानवता को नई राह दिखाई। महर्षि दधीचि ने तो देवासुर संग्राम में अपनी अस्थियां तक दान दे दीं। उन्होंने कहा कि नैमिषारण्य की महिमा अपरंपार है।

सभी धार्मिक ग्रंथों ने बड़ी श्रद्धा भाव के साथ इस पावन तीर्थ की महिमा का गान किया है। इसी धरती पर हजारों वर्ष पहले 18 पुराणों को सूत जी ने शौनक आदि ऋषियों ने सुनाया था। भगवान वेदव्यास के सानिध्य में हजारों ऋषियों ने यहां साधना की थी। यहां की व्यासपीठ इसलिए विख्यात है।

उन्होंंने कहा कि सतीजी के अंग अलग-अलग स्थल पर गिरे थे, वह शक्ति पीठ बन गए। मां ललिता का शक्ति पीठ इसी का प्रमाण है। चक्रतीर्थ भी यहीं पर है। संचालन शैलेंद्र शास्त्री ने किया।

मां राजराजेश्वरी मंदिर से मिलेगी नई उंचाई

मुख्यमंत्री ने कहा कि संत षणमुखानंद ने मां राजराजेश्वरी मां का मंदिर व आश्रम की स्थापना करके इस कड़ी को नई ऊंचाई प्रदान की है। उन्होंने कहा कि पंथ आएंगे जाएंगे, उपासना विधियां भी बदलती रहेंगी। कई वर्षों तक नर्मदा नदी के तट पर साधना करते-करते ऋषि षणमुखानंद ने आध्यात्मिक शक्ति अर्जित की है। इसी से राजराजेश्वरी मंदिर व आश्रम के रूप में एक नई कड़ी और एक नई मणि नैमिष क्षेत्र में जुड़ने जा रही है।

‘धर्म के बिना जीवन शून्य जैसा’

मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह ताेमर ने कहा कि 14 वर्ष तक नाव में नर्मदा जी में साधना करने वाले हीरापुर वाले स्वामी की कृपा से इस अवसर का साक्षी बनने का मौका मिला है। धर्म के बिना जीवन शून्य जैसा है। धर्म से ही जीवन में परोपकार, त्याग और सद्भाव का मार्ग प्रशस्त होता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से अयोध्या, काशी को मिला भव्य रूप और नैमिषारण्य का पुरातन वैभव लौट रहा है।

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