UP Forest Department: सीएम योगी का बड़ा एक्शन, मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक पद से हटाए गए सुनील चौधरी, जानिए वजह?
UP News योगी सरकार ने मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के पद पर तैनात सुनील चौधरी को हटा दिया है। सुनील चौधरी अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक टाइगर प्रोजेक्ट के पद पर बने रहेंगे। यह पद पीसीसीएफ एवं विभागाध्यक्ष ममता संजीव दूबे को अतिरिक्त प्रभार के रूप में दिया गया है।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Sun, 11 Jun 2023 07:45 AM (IST)
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। केंद्र सरकार की कड़ी आपत्ति के बाद प्रदेश सरकार ने एक बार फिर मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक का पद प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्य जीव के साथ जोड़ दिया है। इसके साथ ही सरकार ने मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के पद पर तैनात सुनील चौधरी को हटा दिया है।
सुनील चौधरी अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक टाइगर प्रोजेक्ट के पद पर बने रहेंगे। यह पद पीसीसीएफ एवं विभागाध्यक्ष ममता संजीव दूबे को अतिरिक्त प्रभार के रूप में दिया गया है।
दरअसल, प्रदेश सरकार ने इसी वर्ष 30 जनवरी को पीसीसीएफ वन्य जीव से मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक का पद अलग कर दिया था। इसे सुनील चौधरी को अतिरिक्त कार्यभार के रूप में सौंपा गया था, जबकि पीसीसीएफ वन्य जीव के पद पर कमलेश कुमार तैनात किए गए। फरवरी में कमलेश के रिटायर होने के बाद से पीसीसीएफ वन्य जीव का अतिरिक्त प्रभार विभागाध्यक्ष संभाल रही हैं।
इस वजह से सरकार ने पलटा अपना आदेश
वन्य जीव के क्षेत्र में दो अधिकारियों के होने से समन्वय में दिक्कतों के चलते केंद्रीय वन मंत्री की आपत्ति पर प्रदेश सरकार ने अपने पुराने आदेश को पलटते हुए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के पद से सुनील को हटाते हुए संबंधित पद का प्रभार भी विभागाध्यक्ष को सौंप दिया है।
एनजीटी की कमेटी ने भी की थी सिफारिश
उत्तराखंड के कार्बेट नेशनल पार्क के मामले में एनजीटी द्वारा गठित वन्य जीव विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय कमेटी ने भी इसी वर्ष 24 फरवरी को दोनों ही पद एक ही अधिकारी को देने की सिफारिश की थी। कमेटी ने कहा था कि टाइगर रिजर्व हो या फिर किसी भी संरक्षित क्षेत्र के कामकाज में प्रशासनिक और कानूनी कार्य क्षेत्र में कुछ अधिकार एक-दूसरे में समाहित हैं।इसलिए, पीसीसीएफ वन्य जीव और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के बीच उत्तरदायित्व का विभाजन बहुत कठिन और अनुत्पादक हो जाता है। ऐसे में पीसीसीएफ वन्य जीव को राज्य में पदेन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक होना चाहिए क्योंकि यह पहले से ही अधिकतर राज्यों में है।
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