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'खतरे की घंटी बज चुकी है', CM Yogi ने क्यों कही ये बात? अकबरनगर में बनाया जा रहा सौमित्र वन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से खतरे की घंटी बज चुकी है इसलिए पौधा लगाओ पर्यावरण बचाओ में सभी को जुटना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले अकबरनगर प्रदूषण का बड़ा माध्यम बना हुआ था आज इसी जगह पर श्रीराम के अनुज लक्ष्मण जी के नाम पर सौमित्र वन विकसित हो रहा है। मैंने भी हरिशंकरी की वाटिका लगाई।

By Shobhit Srivastava Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sat, 20 Jul 2024 07:42 PM (IST)
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यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ -फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को राजधानी लखनऊ में कुकरैल नदी के किनारे हरिशंकरी का पौधा लगाकर पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ जन अभियान-2024 का किया शुभारंभ किया। इसके तहत सरकार जनसहयोग से एक दिन में 36.50 करोड़ पौधे लगा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से खतरे की घंटी बज चुकी है, इसलिए पौधा लगाओ पर्यावरण बचाओ में सभी को जुटना होगा। दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग जीव सृष्टि के लिए नया संकट खड़ा करने जा रहा है। यह संकट मनुष्य के स्वार्थ ने प्रदान किया है, इसलिए इसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी भी मनुष्य पर ही होनी चाहिए।

कुछ समय पहले कब्जा मुक्त कराए गए अकबरनगर में सौमित्र वन की स्थापना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से ''''एक पेड़ मां के नाम'''' लगाने का आह्वान किया था। इसी के तहत प्रदेश में 'एक पेड़ मां के नाम' लगाने का गौरव लगभग हर परिवार को प्राप्त हो रहा है। प्रदेश की कुल आबादी 25 करोड़ है, हम 36.50 करोड़ पौधारोपण कर पुराना रिकार्ड तोड़ रहे हैं। यानी आज एक दिन में हर मातृ शक्ति के नाम पर तीन पौधे लग रहे हैं। हमें पौधे लगाने के साथ ही उन्हें बचाकर पर्यावरण संरक्षित करना है।

मुख्यमंत्री ने ग्लोबल वार्मिंग के खतरे के बारे में कहा कि गत वर्ष बड़े क्षेत्रफल में अक्टूबर में बाढ़ आई थी। बाढ़ का समय अगस्त से मध्य सितंबर तक रहता है। पहली बार जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही इस बार बाढ़ आ गई। प्रदेश के 24 जिलों की करीब 20 लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित है।

नेपाल व उत्तराखंड की अतिवृष्टि के कारण ही यह बाढ़ की चपेट में आए हैं। इस बार मई-जून का महीना लंबे समय तक याद रहेगा। यहां का तापमान 42-45 डिग्री रहता था, लेकिन इस बार यह 47-50 डिग्री तक पहुंचा। यह दुष्प्रभाव जल का संकट भी खड़ा करेगा। कहीं, असमय बारिश तो कहीं सूखे का संकट होगा। कई जगहों पर अकाल पड़ने की भी आशंका है।

योगी ने कहा कि हमारे पौधारोपण अभियान को वैश्विक संस्थाएं भी मान्यता दे रही हैं। कार्बन उत्सर्जन से पर्यावरण को क्षति हो रही है। उसके बचाव के लिए किसानों ने पेड़ लगाने के साथ अपना पंजीकरण कराया। वैश्विक संस्थाओं ने उनके कार्यों का निरीक्षण किया।

सरकार के प्रयास से पहले चरण में 25 हजार किसानों को 200 करोड़ रुपये कार्बन क्रेडिट का मिला है। उन्होंने कहा कि हर कोई आज पौधारोपण अभियान के साथ जुड़ा है। राज्यपाल सीतापुर में इस अभियान को बढ़ा रही हैं। वन विभाग के नेतृत्व में प्रदेश सरकार के सभी विभाग इससे जुड़े हैं। सभी मंत्री, सांसद, विधायक, महापौर, ब्लाक प्रमुख समेत जनप्रतिनिधि भी जुड़े हैं।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बच्चों में पर्यावरण की अलख जगाने के लिए उन्हें पौधे भेंट कर इसे लगाने व संरक्षित करने का संदेश दिया। उन्होंने उन 10 किसानों को कार्बन क्रेडिट के तहत धनराशि के चेक प्रदान किए जिन्होंने पौधे लगाकर संरक्षित किया है। इससे पहले वन मंत्री डा. अरुण कुमार सक्सेना ने मुख्यमंत्री सहित सभी अतिथियों का स्वागत किया। प्रदेशवासियों का आह्वान करते हुए कहा कि सभी एक पेड़ जरूर लगाएं और सुरक्षित का दायित्व भी लें। जिस घर में हरियाली होगी वहां खुशहाली होगी।

राज्यसभा सदस्य बृजलाल, डा. दिनेश शर्मा ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में मुख्य रूप से महापौर सुषमा खर्कवाल, राज्यसभा सदस्य संजय सेठ, विधायक ओपी श्रीवास्तव, डा. नीरज बोरा, योगेश शुक्ला, विधान परिषद सदस्य मुकेश शर्मा, संतोष सिंह, अवनीश सिंह, रामचंद्र प्रधान, अपर मुख्य सचिव पर्यावरण व वन मनोज कुमार सिंह व प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा आदि मौजूद थे।

पहले अकबरनगर था प्रदूषण का माध्यम, आज सौमित्र वन हो रहा विकसित

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले अकबरनगर प्रदूषण का बड़ा माध्यम बना हुआ था, आज इसी जगह पर श्रीराम के अनुज लक्ष्मण जी के नाम पर सौमित्र वन विकसित हो रहा है। मैंने भी हरिशंकरी की वाटिका लगाई। इसके दूसरी ओर शक्ति वन बनने जा रहा है। यह भारत की नदी संस्कृति को बचाने का माध्यम बनेगा। उन्होंने कहा कि 1984 के बाद भूमाफिया ने अपने स्वार्थ के लिए कुकरैल नदी को पाटना शुरू किया, जिससे यह नाला में तब्दील हो गई और बस्तियों के ड्रेनेज को उड़ेलने का माध्यम बन गई।

एक तरफ नदी को मारा गया तो दूसरी तरफ गोमती नदी को भी प्रदूषित किया गया। सरकार ने तय किया कि कुकरैल में नाइट सफारी बनाएंगे। इस क्षेत्र के अतिक्रमण को हटाया गया। जिनके मकानों की यहां रजिस्ट्री थी, उन 3100 परिवारों को एक-एक आवास देकर पुनर्वास किया गया। जिन भूमाफिया ने जमीन के धंधे से जुड़कर लोगों को ठगा, उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़कर इसे खाली करवाया है।

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