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Jagdish Gandhi: सीएमएस के संस्थापक डॉ जगदीश गांधी का निधन, लंबे समय से थे बीमार; बनाया था ये रिकॉर्ड

Jagdish Gandhi शिक्षा की एक विरासत तैयार करने वाले डा. जगदीश गांधी का निधन हो गया। जगदीश गांधी ने स्कूली शिक्षा में रिकॉर्ड बनाया था। 28 दिसंबर से उनका लखनऊ के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनका पार्थिव शरीर मंगलवार को आखिरी दर्शन के लिए रखा जाएगा। डा. गांधी का जन्म 10 नवंबर 1936 को अलीगढ़ के बरसौली गांव में हुआ था।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Mon, 22 Jan 2024 10:16 AM (IST)
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सीएमएस के संस्थापक डॉ जगदीश गांधी का निधन, लंबे समय से थे बीमार
जागरण संवाददाता, लखनऊ। एक शहर में 21 स्कूल, 60 हजार से अधिक बच्चे और तीन हजार से अधिक शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के साथ शिक्षा की एक विरासत तैयार करने वाले डा. जगदीश गांधी का निधन हो गया। जगदीश गांधी ने स्कूली शिक्षा में रिकॉर्ड बनाया था। 28 दिसंबर से उनका लखनऊ के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनका पार्थिव शरीर मंगलवार को आखिरी दर्शन के लिए रखा जाएगा।

डा. गांधी का जन्म 10 नवंबर 1936 को अलीगढ़ के बरसौली गांव में हुआ था। डा. जगदीश बचपन से ही महात्मा गांधी और राजा महेंद्र प्रताप से प्रभावित रहे। वह संत विनोबा भावे के संपर्क में आने के बाद उनके जय जगत के नारे को अपने स्कूल का ध्येय वाक्य बना दिया। मथुरा से 12वीं की पढ़ाई करने के बाद डा. गांधी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से बीकाम किया।

ट्यूशन पढ़ाकर खुद का सपना किया पूरा

आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो उन्होंने गोमतीनदी के किनारे बने मंदिर में शरण ली। बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च निकाला। समाज सेवा और ट्यूशन पढ़ाने से विद्यार्थी उन्हें जानने लगे। लखनऊ विश्वविद्यालय में एमकाम की पढ़ाई करते हुए वर्ष 1958 में उन्होंने छात्रसंघ चुनाव में दो हजार से अधिक मत से अध्यक्ष भी चुने गए थे। विश्वविद्यालय में ही उनका संपर्क एमएड की छात्रा भारती से हुआ। फिर दोनों परिणय सूत्र में बंध गए।

सिटी मांटेसरी स्कूल की स्थापना

शिक्षा से समाज सेवा का संकल्प लेकर उन्होंने सिटी मांटेसरी स्कूल नाम से प्राइमरी स्कूल खोला। एक जुलाई 1959 को अपने ही किराए के मकान 12 स्टेशन रोड पर इसकी नींव रखी। पांच बच्चों से शुरुआत हुई, आज 60 हजार विद्यार्थी यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। किसी एक शहर में इतने सबसे अधिक स्कूल और बच्चों के रूप में उन्होंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज कराया। शिक्षा के माध्यम से विश्व शांति का संदेश देने की वजह से उन्हें 2002 में यूनेस्को से शांति शिक्षा पुरस्कार भी मिला था।

विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते

डा. गांधी ने शिक्षा के साथ राजनीति में भी हाथ आजमाया। वर्ष 1969 में विधानसभा की सदस्यता के लिए सिकंदराराऊ विधानसभा अलीगढ़ से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। विधानसभा सदस्य के तौर पर उन्होंने लंदन जाकर ब्रिटेन की जनतांत्रिक शासन व्यवस्था का भी अध्ययन किया। 1974 में उन्होंने राजनीति को छोड़कर शिक्षा के प्रति खुद को समर्पित कर दिया। डा. गांधी हर साल विश्व के मुख्य न्यायाधीशों को आमंत्रित कर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन भी कराते रहे। इसके माध्यम से वह विश्व शांति और बच्चों के लिए सुरक्षित भविष्य देने का संदेश भी देते रहे।

योग और फिटनेस पर ध्यान

उम्र के आखिरी पड़ाव तक डा. गांधी अपने फिटनेस पर पूरा ध्यान देते थे। सुबह उठने के बाद नियमित योग का अभ्यास करते थे। स्कूल की सभी तरह की गतिविधियों में पूरी तरह से सक्रिय रहे। कोरोना के समय में उन्होंने स्कूल स्टाफ का ध्यान रखा। किसी की भी सेलरी में कटाैती नहीं की। अस्पताल में उनकी सलामती के लिए सभी कर्मचारी आखिरी समय तक ईश्वर से प्रार्थना करते रहे। डा. गांधी अपने कम्युनिटी रेडियो से छात्रों से निरंतर संवाद भी करते रहे। उन्होंने कई अवार्ड भी जीते।

तीन पुत्री एक बेटा

डा. गांधी की तीन पुत्री डा. सुनीता, प्रो. गीता किंग्डन, डा. नीता और पुत्र विनय हैं। प्रो. गीता उनके साथ सीएमएस की अध्यक्षा के तौर पर कार्य कर रही हैं।

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