'कांग्रेस को अपना दफ्तर-झंडा भी सपा को सौंप देना चाहिए', UP उपचुनाव नहीं लड़ने पर सोशल मीडिया पर कांग्रेस की किरकिरी
कांग्रेस के विधानसभा उपचुनाव नहीं लड़ने के फैसले पर सोशल मीडिया पर पार्टी की खिल्ली उड़ रही है। पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि कांग्रेस को अपना दफ्तर और झंडा भी सपा को सौंप देना चाहिए। इस पर कई तीखी प्रतिक्रियाएं भी आईं। वहीं एक भाजपा नेता ने लिखा कि राहुल गांधी की माननीय मोदी जी से नफरत ने कांग्रेस का दिवाला निकाल दिया है।
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। विधानसभा उपचुनाव के घमासान में कांग्रेस के एक भी सीट पर प्रत्याशी न उतारने के निर्णय की लोग अपने-अपने ढ़ंग से समीक्षा कर रहे हैं। इंटरनेट मीडिया के एक्स प्लेटफार्म पर इस निर्णय को लेकर कांग्रेस पर खूब निशाना भी साधा जा रहा है।
पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने लिखा कि 'कांग्रेस को अपना दफ्तर और झंडा भी सपा को सौंप देना चाहिए।' इस पर कई तीखी प्रतिक्रियाएं भी आईं। एक कांग्रेस समर्थक ने लिखा कि 'वैसे ही जैसे आचार्य ने संघी हाफ पैंट पहन के खुद काे संघ के हवाले कर दिया।'
वहीं एक भाजपा नेता ने लिखा कि 'राहुल गांधी की माननीय मोदी जी से नफरत ने कांग्रेस का दिवाला निकाल दिया है।' कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता जीशान हैदर ने लिखा कि 'सुना उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का समाजवादी पार्टी में विलय हो गया।' ऐसे ही अन्य तीखी टिप्पणियां भी की गईं।
सपा पर दबाव बनाने में विफल रही कांग्रेस
कांग्रेस ने विधानसभा उपचुनाव के लिए अपनी तैयारी तो जोरशोर से शुरू की थी पर मनमुताबिक सीट न मिलने से उसे झटका लगा है। उपचुनाव में एक भी सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी नजर नहीं आएगा। सीटों के बंटवारे में सपा पर दबाव बनाने में विफल रहे पंजे वाले दल के नेता व कार्यकर्ता अब साइकिल की रफ्तार बढ़ाने के लिए प्रचार करते नजर आएंगे।पार्टी के नेता भले ही इसे राजनीतिक दांव बताते हुए कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य भाजपा की हार बता रहे हैं पर पर्दे के पीछे कहानी कुछ और भी है। उपचुनाव में कांग्रेस की दावेदारी सिमटने के पीछे एक बड़ा कारण महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव भी माना जा रहा है।कांग्रेस ने महाराष्ट्र में 12 सीट मांग रही सपा को चार सीटें देकर मना लिया तो उत्तर प्रदेश में सपा ने अपनी हनक बनाए रखते हुए सभी सीटेें हासिल कर लीं। यह भी माना जा राह है कि हरियाणा व जम्मू-कश्मीर में लचर प्रदर्शन के चलते भी कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के सामने दबाव में है।
प्रदेश कांग्रेस ने फूलपुर, खैर, गाजियाबाद, मझवां व मीरापुर सीट पर उपचुनाव लड़ने का प्रस्ताव केंद्रीय नेतृत्व को भेजा था। इनमें फूलपुर, खैर व गाजियाबाद भाजपा के पास और मझवां उसके सहयोगी दल निषाद पार्टी के पास थीं। जबकि मीरापुर सीट रालोद के पास थी। पार्टी इन सीटों पर पंजा लड़ाना चाह रही थी।कांग्रेस अपनी कोशिश में लगी थी पर सपा ने नौ अक्टूबर काे छह सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर कांग्रेस को पहला झटका दे दिया था। सपा खैर व गाजियाबाद सीट ही कांग्रेस को दे रही थी। कांग्रेस इन दोनों ही सीटों पर भाजपा की कड़ी चुनौती को भांपते हुए फूलपुर व मझवां हासिल करना चाह रही थी। सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान तो खूब चली पर बात नहीं बनी।
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