UP News: फ्रांस से कलपुर्जों का कंसाइनमेंट नहीं पहुंचा एचएएल लखनऊ, राज्य उपभोक्ता आयोग ने बताया देश की सुरक्षा को खतरा
HAL Lucknow News मैसर्स हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड लखनऊ (एचएएल) तक फ्रांस से भेजा गया कंसाइनमेंट पहुंचा ही नहीं। एचएएल ने बीमा कंपनी से 68.04 लाख रुपये लेने का दावा किया लेकिन बीमा कंपनी ने कई तरह की कटौती कर दी। राज्य उपभोक्ता आयोग ने कंसाइनमेंट के न पहुंचने को देश की सुरक्षा को खतरा बताते हुए कड़ी आपत्ति की है।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। देश के लिए सुरक्षा उपकरण बनाने वाली संस्था मैसर्स हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड लखनऊ (एचएएल) तक फ्रांस से भेजा गया कंसाइनमेंट पहुंचा ही नहीं। एचएएल ने बीमा कंपनी से 68.04 लाख रुपये लेने का दावा किया लेकिन, बीमा कंपनी ने कई तरह की कटौती कर दी। राज्य उपभोक्ता आयोग ने कंसाइनमेंट के न पहुंचने को देश की सुरक्षा को खतरा बताते हुए कड़ी आपत्ति की है।
आयोग ने बीमा कंपनी को 33.50 लाख रुपये का भुगतान करने व 26 दिसंबर 2011 से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने का आदेश दिया है। सुखोई जैसे विमानों सहित अन्य सुरक्षा उपकरण बनाने वाले केंद्र सरकार के संस्थान एचएएल ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के विरुद्ध राज्य उपभोक्ता आयोग में वाद किया। एचएएल विभिन्न तरह के कलपुर्जों का आयात विदेश से करता है।
उसने एयरक्राफ्ट के कुछ कलपुर्जे और अलग-अलग हिस्सों को मंगवाने का आदेश फ्रांस की एक कंपनी को दिया। साथ ही मरीन कार्गो ओपन पालिसी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस से करोड़ों रुपये का भुगतान करके लिया। एयरक्राफ्ट से संबंधित कलपुर्जों और हिस्सों को दिल्ली एयरपोर्ट पर उतारना था और उसे लखनऊ तक एचएएल के वर्कशाप तक पहुंचाना भी बीमा शर्तों में शामिल था।
कंसाइनमेंट इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नई दिल्ली पर पहुंचे तो पाया गया कि एक कंसाइनमेंट नहीं है, जिसमें विभिन्न कलपुर्जे थे। एचएएल ने जांच कराई इसमें एक कंसाइनमेंट न पहुंचने का कोई पता नहीं चल सका, तब एचएएल ने बीमा कंपनी के यहां 68,04,807 रुपये देने का दावा किया। बीमा कंपनी ने इसमें मनमाने तरीके से 10 से 25 प्रतिशत की कटौती करते हुए 49,36,289 रुपये ही दिए।
जिस पर एचएएल ने आपत्ति की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। एचएएल ने बीमा कंपनी के विरुद्ध वाद राज्य उपभोक्ता आयोग में किया। सुनवाई सदस्य राजेंद्र सिंह व सदस्य विकास सक्सेना ने साक्ष्यों को देखते हुए पाया कि यह मामला देश की सुरक्षा से संबंधित था और इसमें एक कंसाइमेंट का मौके पर न पहुंचना आपत्तिजनक है और बीमा कंपनी ने अनावश्यक रूप से बीमा राशि में कटौती की है।
आयोग ने कहा कि शेष धनराशि एचएएल पाने का अधिकारी है। बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह शेष बकाया राशि, समय से दावे का निस्तारण न करने, देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने और वाद व्यय के मद में 33.50 लाख रुपये और इस पर 26 दिसंबर 2011 से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 30 दिन के अंदर एचएएल को अदा करे तय अवधि के बाद ब्याज की दर 15 प्रतिशत वार्षिक होगी।
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