उपभोक्ता ध्यान दें! महंगी हो सकती है बिजली, 11 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व गैप, भरपाई 20-30% बढ़ेगी दर
Electricity Ratesचालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बिजली की दरों के निर्धारण की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों द्वारा पूर्व में दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) संबंधी प्रस्ताव को अंतत स्वीकार कर लिया है। एआरआर पर सुनवाई से पहले आयोग ने बिजली कंपनियों से श्रेणीवार बिजली की दरों संबंधी प्रस्ताव भी मांगा है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बिजली की दरों के निर्धारण की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों द्वारा पूर्व में दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) संबंधी प्रस्ताव को अंतत: स्वीकार कर लिया है।
एआरआर पर सुनवाई से पहले आयोग ने बिजली कंपनियों से श्रेणीवार बिजली की दरों संबंधी प्रस्ताव भी मांगा है। लोकसभा चुनाव से पहले एआरआर के साथ कंपनियों ने टैरिफ प्रस्ताव न दाखिल कर बिजली की दरों में बढ़ोतरी करने का निर्णय आयोग पर छोड़ दिया था।
1.45 लाख मिलियन यूनिट बिजली
बिजली कंपनियों ने पिछले वर्ष 30 नवंबर को आयोग में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का एआरआर प्रस्ताव दाखिल किया था। प्रस्ताव में 13.06 प्रतिशत लाइन हानियां रहने का अनुमान लगाते हुए लगभग 1.45 लाख मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता बताई गई थी।
इसकी लागत तकरीबन 80 से 85 हजार करोड़ रुपये आंकते हुए मौजूदा दरों से 11 हजार करोड़ रुपये का राजस्व गैप रहने का अनुमान लगाया गया था। वैसे तो यही माना जा रहा था कि जितना राजस्व गैप दिखाया गया है, उसकी भरपाई के लिए दरों में 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी करनी होगी, लेकिन लोकसभा चुनाव को देखते हुए उसकी भरपाई के लिए कंपनियों ने अपनी ओर से प्रस्ताव आयोग में दाखिल नहीं किया।
क्या कहते हैं जानकार
चूंकि लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, इसलिए आयोग द्वारा मांगने पर कंपनियां जल्द ही श्रेणीवार दरों का प्रस्ताव उसे सौंप सकती हैं। जानकारों का कहना है कि एकदम से दरों को 20-30 प्रतिशत न बढ़ाकर कम से कम 10 प्रतिशत बढ़ोतरी प्रस्तावित की जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि पिछले चार वर्ष से राज्य में बिजली की दरें यथावत बनी हुई हैं। एआरआर स्वीकारते ही आयोग को नियमानुसार 120 दिनों में बिजली की दरों का निर्धारण करना होता है।
अब तीन दिन में बिजली कंपनियां एआरआर संबंधी आंकड़े समाचार पत्रों में प्रकाशित कराएंगी। बिजली की दरों का प्रस्ताव आने के बाद आयोग दरों को तय करने के लिए विधिवत सुनवाई करेगा।
33,122 करोड़ सरप्लस होने से घटे बिजली की दर
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है इसलिए 11 हजार करोड़ से ज्यादा का राजस्व गैप होने के बावजूद बिजली की दरें नहीं बढ़ सकती हैं।
वर्मा का कहना है कि सरप्लस होने के कारण ही पिछले चार वर्षों से बिजली महंगी नहीं की जा सकी। परिषद अध्यक्ष का स्पष्ट तौर पर कहना है कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर जितना सरप्लस पैसा है, उससे बिजली की दरें अगले पांच वर्ष तक नहीं बढ़ सकती हैं।
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