भाजपा पार्षद रामनरेश रावत ने महापौर को एक पत्र लिखकर सवाल किया है कि जब वह निलंबित है तो किस आधार पर वोट डालने आऊंगा। पत्र में कहा गया कि जब तक उसे महापौर फोन से या पत्र के माध्यम से सदन में आने के लिए नहीं कहेंगी वह नहीं आएंगे। उन्होंने सूची में दलित पार्षद को जगह नहीं मिलने पर भी सवाल उठाए हैं।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। भाजपा पार्षद रामनरेश रावत ने संगठन की उस सूची पर सवाल खड़ा कर दिया है, जिसमें किसी दलित पार्षद को जगह नहीं दी गई है। नगर निगम के नीतिगत निर्णय वाली कार्यकारिणी समिति के रिक्त छह पदों पर 15 जुलाई को चुनाव होना है। इसमें मतों की संख्या के अनुसार पांच सदस्य भाजपा से चुने जाने हैं।
भाजपा महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी की तरफ से पार्टी के सभी विधायकों व पूर्व प्रत्याशी की तरफ से जिन पांच पार्षदों को उम्मीदवार बनाने की सूची जारी की गई है, उसमें दलित समाज से कोई नहीं है।
रक्षा मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह को भेजे पत्र की प्रति पार्षद रामनरेश रावत ने मुख्यमंत्री, भाजपा के प्रदेश और महानगर अध्यक्ष को भी भेजी है।
पार्षद ने आरोप लगाया कि उम्मीदवारों के चयन में संगठन ने आरक्षण के हिसाब से दलित समाज के किसी पार्षद को उम्मीदवार नहीं बनाया है, जो उचित नहीं है और इस पर संगठन को विचार करना चाहिए।
हालांकि महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी का कहना है कि पार्षद से बातचीत कर ली जाएगी। दरअसल भाजपा ने कार्यकारिणी सदस्यों के लिए पांच उम्मीदवारों का नाम तय किया है। पार्षद अनुराग मिश्रा, भृगुनाथ शुक्ला, गौरी संवारिया, कृष्णनारायन सिंह और चरनजीत गांधी हैं। मतों के हिसाब से एक पार्षद को कार्यकारिणी सदस्य बनने का मौका मिल पाएगा।
हम निलंबित हैं तो सदन में क्यों बुलाया
पार्षद रामनरेश रावत ने महापौर को एक पत्र लिखा है। पत्र में लिखा कि बीती 28 फरवरी को नगर निगम सदन की बैठक से महापौर की तरफ से उन्हें निलंबित कर दिया गया था, लेकिन अभी तक उन्हें बहाल नहीं किया गया है, लेकिन 12 जुलाई को उनके पास नगर निगम की तरफ से पत्र आया, जिसमें सदन में उपस्थित होने को कहा गया है, जिससे कार्यकारिणी सदस्य के चुनाव में वह मत डाल सके। पार्षद ने कहा, जब वह निलंबित है तो किस आधार पर वोट डालने आऊंगा। पत्र में कहा गया कि जब तक उसे महापौर फोन से या पत्र द्वारा सदन में आने के लिए नहीं कहेंगी, वह नहीं आएंगे।
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