COVID-19 Effect: लखनऊ में अब कोविड संक्रमण की रफ्तार घटी, उपकरणों की बिक्री हुई डाउन
कोरोना कफ्र्यू लगने के बाद से लगातार संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आ रही है। साथ ही गंभीर मरीजों की संख्या भी कम होती जा रही है। खासकर अस्पतालों में अब आक्सीजन सपोर्ट की जरूरत वाले मरीज कम पहुंच रहे हैं ।
लखनऊ [नीरज मिश्र]। कोरोना कफ्र्यू लगने के बाद से लगातार संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आ रही है। साथ ही गंभीर मरीजों की संख्या भी कम होती जा रही है। खासकर अस्पतालों में अब आक्सीजन सपोर्ट की जरूरत वाले मरीज कम पहुंच रहे हैं। यानी ज्यादातर मरीजों की आक्सीजन अब डाउन की बजाय अप हो रही है। ऐसे में आक्सीमीटर की बिक्री पर इसका बड़ा असर पड़ा है। करीब 60 से 70 फीसद तक आक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या में कमी आई है।
करीब एक माह पहले की बात है जब मरीज अपना आक्सीजन स्तर देखने के लिए बाजारों में पल्स आक्सीमीटर ढूंढ़ रहे थे, क्योंकि माल की कमी थी और जिनके पास था, वह भी मनमाने रेट पर बेच रहे थे। हाल यह था कि ब्रांडेड आक्सीमीटर 3,500 से 4,000 रुपये खर्च करने के बाद भी फुटकर बाजार में मिलना आसान नहीं था। अब स्थिति बिल्कुल उलट है। इनके रेट गिर चुके हैं। पुराने रेट में यह पहुंच गए हैं। बाजार में माल भरा पड़ा है। थोक कारोबारी जहां इसे मामूली मार्जिन में निकाल रहे हैं, वहीं फुटकर कारोबारियों की मनमानी पर ब्रेक लग गया है। लोग सीधे थोक बाजार पहुंच कर खरीद रहे हैं।
खपत कम, माल ज्यादा: पहले लोगों ने जरूरत के मुताबिक इसे खरीद लिया। अब न तो पहले जैसी जरूरत रह गई है और न ही खरीदार और बिक्री। नतीजा पहले मंगा चुके माल को अब कारोबारी किसी तरह खपाने में लगे हैं। इसके चलते पल्स आक्सीमीटर के बाजार में रेट ही नहीं रह गए। यही हाल थर्मामीटर का है। इसका पारा भी गिरा है। बाजार में अब इसके भाव भी नीचे आ रहे हैं।
महीनेभर पहले आक्सीमीटर की खपत
पहले - अब
5,000 से 6,000 रोज -1,000 से 1,500
उपकरणों की कीमत (रुपये में)
अप्रैल में - मई प्रथम पखवारे में - अब
पल्स आक्सीमीटर लोकल-1,500 से 1,800 -900 से 1,200 -600 से 1,000
ब्रांडेड-2500 से 3500 -1,500 से 2,000 -1,400 से 1,800
थर्मामीटर पारा वाला- 80 से 90 -70 से 80 -70 से 80
डिजिटल -150 से 160 -120 से 150 -100 से 120
सर्जिकल आइटम न्यू मेडिसिन मार्केट थोक कारोबारी यतिन मलिक ने बताया कि सबसे ज्यादा शार्ट चल रहे पल्स आक्सीमीटर की बड़ी खेप बाजार में आने से दाम गिरे है। जो कंपनियां हर चार घंटे पर रेट बदल रही थीं, अब अचानक उन्होंने माल भेज दिया है। चूंकि यह रोज-रोज बिकने वाला सामान नहीं है। ऐसे में इसे औने-पौने दामों पर बेचा जा रहा है। जिन्हें फुटकर बाजार में महंगा मिल रहा हैं, वह अब थोक बाजार से ले सकते हैं। उन्हें सस्ता पड़ेगा।