Azam Khan: आजम खां के जेल में बंद रहने के दौरान हुआ था सुरक्षा हटाने का निर्णय, अपर्णा यादव की सुरक्षा होगी कम
सपा नेता आजम खां की सुरक्षा हटाये जाने के कुछ घंटों बाद ही बहाल कर दी गई। आजम के जेल में रहने के दौरान सुरक्षा हटाए जाने का फैसला हुआ था। लिखापढ़ी में उनकी सुरक्षा हटाने का आदेश दो दिन पूर्व जारी हुआ था। वहीं भाजपा नेता अपर्णा यादव की सुरक्षा से एस्कार्ट हटाए जाने का भी निर्णय हुआ है।
By Alok MishraEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Sat, 15 Jul 2023 07:22 AM (IST)
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। सपा के महासचिव आजम खां की वाई श्रेणी की सुरक्षा हटाए जाने के बाद उसे बहाल रखे जाने का निर्णय हुआ है। सूत्रों का कहना है कि आजम खां की सुरक्षा हटाए जाने का निर्णय कुछ माह पूर्व हुआ था, जब वह जेल में बंद थे। इसके उपरांत आजम खां जमानत पर बाहर आ गए और लिखापढ़ी में उनकी सुरक्षा हटाने का आदेश दो दिन पूर्व जारी हुआ।
यह चूक उजागर होने के बाद आनन-फानन सुरक्षा हटाए जाने के मौखिक निर्देश रामपुर पुलिस को दे दिए गए। अब 18 जुलाई को प्रस्तावित राज्य सुरक्षा समिति की बैठक में आजम खां की सुरक्षा बहाल रखे जाने की मंजूरी के बाद उसका आदेश जारी होगा। हालांकि उनकी सुरक्षा में कुछ कटौती भी की जा सकती है।
यही वजह है कि फिलहाल अधिकारी आजम खां की सुरक्षा बहाल रखे जाने को लेकर कुछ बोलने से कतरा रहे हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजम खां की सुरक्षा हटाए जाने के निर्णय पर राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला था। शासन ने तीन अन्य नेताओं की सुरक्षा में कटौती की है।
इनमें भाजपा नेता अपर्णा यादव को प्राप्त वाई श्रेणी की सुरक्षा से एस्कार्ट हटाने का निर्णय किया गया है। अब उनकी सुरक्षा में तीन गनर तथा आवास पर पांच सुरक्षाकर्मियों की गारद रहेगी। अपर्णा यादव स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू हैं। वहीं बसपा के पूर्व विधायक मुकुल यादव की वाई श्रेणी की सुरक्षा हटा ली गई है।
मुकुल वर्तमान में भाजपा में हैं। हाथरस निवासी मुकुल उपाध्याय को छह माह के लिए एक गनर प्रदान किए जाने का निर्णय किया गया है। वहीं भाजपा नेता व पूर्व राज्यसभा सदस्य बलबीर पुंज को प्राप्त एक्स श्रेणी की सुरक्षा हटाए जाने का निर्णय हुआ है। वह गौतमबुद्धनगर के निवासी हैं।
वहीं, 18 जुलाई को राज्य सुरक्षा समिति की प्रस्तावित बैठक में कई और नेताओं की सुरक्षा में कटौती की जा सकती है। कुछ लोगों को सुरक्षा प्रदान किए जाने के प्रस्तावों पर भी विचार होगा। शासन स्तर पर हर तीन माह पर राज्य सुरक्षा समिति की बैठक में माननीयों व अन्य लोगों को प्रदान की गई सुरक्षा की समीक्षा की जाती है।
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