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90 दिन में चार्जशीट दाखिल न होने से 11 कथित आतंकियों को डिफाल्ट जमानत, ATS नहीं दाखिल कर सकी आरोप पत्र

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अल कायदा इंडियन सब-कान्टिनेंट के 11 कथित आतंकियों की डिफाल्ट जमानत मंजूर करते हुए इनको रिहा करने का आदेश दिया है। इन सभी का जमात उल मुजाहिदीन संगठन के साथ भी संबंध होने का भी आरोप है। इनको अगस्त से सितम्बर 2022 के बीच गिरफ्तार किया गया था लेकिन एटीएस समय से आरोप पत्र नहीं दाखिल कर सकी।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sun, 19 May 2024 07:49 AM (IST)
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90 दिन में चार्जशीट दाखिल न होने से 11 कथित आतंकियों को डिफाल्ट जमानत
विधि संवाददाता, लखनऊ। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अल कायदा इंडियन सब-कान्टिनेंट के 11 कथित आतंकियों की डिफाल्ट जमानत मंजूर करते हुए इनको रिहा करने का आदेश दिया है। इन सभी का जमात उल मुजाहिदीन संगठन के साथ भी संबंध होने का भी आरोप है।

इनको अगस्त से सितम्बर 2022 के बीच गिरफ्तार किया गया था, लेकिन एटीएस समय से आरोप पत्र नहीं दाखिल कर सकी। कोर्ट ने इसी आधार पर 11 कथित आतंकियों को डिफाल्ट जमानत मंजूर कर ली।

न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की खंडपीठ ने अभियुक्त की ओर से दाखिल अपीलों पर यह आदेश पारित किया है। अभियुक्तों की ओर से एनआइए कोर्ट के डिफाल्ट जमानत की याचिकाएं खारिज करने संबंधी आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि एनआइए कोर्ट ने बिना सुनवाई का अवसर दिए विवेचना की समय अवधि बढ़ाने संबंधी जांच एजेंसी की प्रार्थना पत्र को मंजूर कर लिया।

जांच एजेंसी 90 दिन की अधिकतम समय सीमा समाप्त होने के बावजूद अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल करने में असफल रही।

वहीं अपीलों का राज्य सरकार के अधिवक्ता ने विरोध करते हुए कहा गया कि मामले में अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल हो चुके हैं, लिहाजा इस समय डिफाल्ट जमानत नहीं दी जा सकती।

कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद परित अपने विस्तृत निर्णय में कहा कि विवेचना की समय अवधि बढ़ाने संबंधी 12 दिसंबर 2023 का एनआइए कोर्ट का आदेश विधिक है, क्योंकि जांच एजेंसी के प्रार्थना पत्र पर अभियुक्तों को सुनवाई का कोई अवसर प्रदान नहीं किया गया।

कोर्ट ने इन टिप्पणियों के साथ अभियुक्तों को डिफाल्ट जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने मोहम्मद अलीम, मोहम्मद नवाजी अंसारी, लुकमान, मुदस्सिर, मोहम्मद मुख्तार, मोहम्मद नदीम, हबीदुल इस्लाम, मोहम्मद हारिश, ऐश मोहम्मद, कारी शहजाद और अली नूर को जमानत दी है।

क्या है डिफाल्ट जमानत

डिफाल्ट जमानत, जमानत का एक ऐसा अधिकार है जो किसी आरोपी को तब मिलता है जब पुलिस एक निश्चित समय में जांच पूरी नहीं कर पाती है। इसे वैधानिक जमानत भी कहा जाता है।

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