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..और लंतरानी में उपमंख्यमंत्री को मिला कद्दू

कवि महेंद्र अजनबी को मिला 'लंतरानी हास्य सम्मान-2018', लकी ड्रॉ में नकद पुरस्कार पाकर खिल उठे श्रोताओं के चेहरे

By JagranEdited By: Updated: Sun, 15 Apr 2018 03:45 PM (IST)
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..और लंतरानी में उपमंख्यमंत्री को मिला कद्दू

लखनऊ (जासं)। हंसी-मजाक व झूठ की महफिल के बीच सजी ठहाकों की शाम में सभी लोग लंतरानी हाक रहे थे। कवियों ने लच्छेदार बातों के साथ एक-दूसरे की जमकर खिंचाई की। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को जब पुरस्कार में कद्दू दिया गया तो दर्शक हंस-हंसकर लोटपोट हो गए। मौका था, अवधी विकास संस्थान और साहित्यगंधा की ओर से आयोजित तृतीय हास्य समारोह 'लंतरानी' का। समारोह में कवियों ने अपनी हास्य रचनाओं से शनिवार की शाम को रंगीन कर दिया।

गोमतीनगर में लोहिया पार्क के मुक्ताकाशी मंच पर सजी कवियों की महफिल में देर रात तक कहकहे, तालियों, ठहाकों और वाह-वाह का शोर गूंजता रहा। एक तरफ कवि पूरी शिद्दत से कविता पढ़ रहे थे, तो दूसरी तरफ श्रोता भी उतनी ही ईमानदारी से कविताओं का लुत्फ उठा रहे थे। कवि सम्मेलन का आगाज कवियित्री सीता सागर ने सरस्वती वंदना के साथ किया। उसके बाद उन्होंने अपने ही अंदाज में लखनऊ को प्रणाम किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा व विशिष्ट अतिथि समाजसेवी मुकेश बहादुर सिंह, साहित्यकार उदय प्रताप सिंह व समीर शेख रहे। इस अवसर पर दिल्ली के वरिष्ठ कवि महेंद्र अजनबी को 'लंतरानी हास्य सम्मान-2018' से नवाजा गया। कार्यक्रम का संयोजन कवि सर्वेश अस्थाना व संचालन कवि मुकुल महान ने किया। इस मौके पर अनिल टेकड़ीवाल, दीपक रंजन, अमित सिंघानिया, विनोद मिश्रा, आदित्य द्विवेदी, जितेंद्र परमार, पंकज प्रसून, अभय सिंह निर्भीक, सौरभ शशि, पंकज श्रीवास्तव, अभिषेक जैन, पदमा गिडवानी, जितेश श्रीवास्तव, बाबू लाल पाखंडी, संतोष सिंह, सुभाष रसिया समेत कई कवि, रंगकर्मी व साहित्यकार मौजूद थे।

-हास्य कविताओं पर खूब हंसे श्रोता

'कवि ने एक हाथ एक दिशा में करके उठाया और जोर से चिल्लाया, सुन ले पाकिस्तान सुन ले, मैं चकराया अबे ये करता क्लेश है, जिस दिशा में ये कवि उंगली उठा रहा है, उस दिशा में तो बांग्लादेश है..' जैसे ही यह कविता कवि महेंद्र अजनबी ने पढ़ी तो पूरा मंच तािलयों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। 'लंतरानी' में कुछ इसी तरह अन्य कवियों ने भी अपनी कविताओं से शाम को रंगीन बना दिया। कवियों ने अपनी प्रस्तुति में कुछ ऐसी रचनाएं पढ़ीं..

-मटर महंगी है और खाने में भी खेल का मजा लेना है तो आज सिर्फ एक पाव ले जाव, आलू मटर की रसेदार सब्जी बनाओ और मटर ढूंढ-ढूंढ खाओ.. -अशोक झझटी

-दो दूनी चार अपने हैं कई यार, हम जब निकलें शहर में होते सारे होशियार.. -ईशान पथिक

-जितने रुपया में किये नौकरी परबाबा सचिवालय मा, उतने रुपया में घुसे न पइहो, अब कोई शौचालय मा.. - डॉ. अनिल बौझड़

-हमका बलम जो सतइहो, तो जेल मा ही तसला बजइहो.. - फारुख सरल ------

उपहार में बंटी भिंडी, लौकी

अनूठे ढंग से बाटे गये लंतरानी उपहार का उपस्थित दर्शकों ने ठहाकों के साथ आनंद लिया। इस उपहार को प्राप्त करने वाला अतिथि स्वयं एक पर्चा उठाता। पर्ची पर लिखा हुआ उपहार उसे दिया जाता। उपहार स्वरूप किसी को कद्दू, किसी को सरसों के तेल की शीशी तो किसी को भिंडी व लौकी दी गई। 'लंतरानी' के संस्थापक सर्वेश अस्थाना और संचालक मुकुल महान हर व्यक्ति को उपहार देते समय वर्तमान स्थितियों से जुड़ी कोई चुटीली टिप्पणी कर लोगों की तालियां बटोर रहे थे। -पति-पत्नी ने खोली एक-दूसरे की पोल

समारोह में शहर के पाच जोड़ों को चयनित किया गया और उनसे चुटीले अंदाज के साथ एक विशेष प्रस्तुति करायी गई। इस दौरान पति-पत्नी ने एक दूसरे की पोल खोली, जिसे सुन श्रोता खूब हंसे। सभी जोड़ों को लंतरानी युगल सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मानित हुए जोड़ों में आत्म प्रकाश व शोभा मिश्रा, संजय व सुमोना पांडेय, अरुण व रमा अरुण त्रिवेदी, मुकेश व रीना सिह, डॉ.सृष्टि व केके अस्थाना सम्मिलित रहे।

श्रोताओं को नकद इनाम भी मिला

'लंतरानी' में श्रोताओं को लकी ड्रॉ के माध्यम से नकद पुरस्कार राशि देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मुकुल महान के चुटीले संचालन में हास्य कवि द्वारा श्रोताओं को लकी डॉ में निकलने वाली राशि प्रदान कराई। पुरस्कार पाकर श्रोता भी काफी खुश हुए।

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