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हरे राम हरे कृष्णः कृष्ण भक्ति की लहरों पर सवार 150 देशों के श्रद्धालु

हरे राम हरे कृष्ण का महामंत्र दुनियाभर को प्रभावित कर रहा है। इसी से प्रेरित होकर करीब 150 देशों से आये हजारों श्रद्धालु वृंदावन में कृष्णभक्ति में डूबे हैं।

By Nawal MishraEdited By: Updated: Fri, 04 Nov 2016 07:57 PM (IST)
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मथुरा-वृंदावन (जेएनएन)। हरे राम हरे कृष्ण का महामंत्र दुनियाभर को प्रभावित कर रहा है। इसी से प्रेरित होकर करीब 150 देशों से आये हजारों श्रद्धालु वृंदावन में कृष्णभक्ति में डूबे हैं। ढोल, मृदंग, पखावज और मजीरों की धुन पर हरे राम, हरे कृष्ण जाप से इस्कॉन मंदिर और वृंदावन की कुंज, गलियां गुंजायमान हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी (शुक्रवार) को इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद के 39 वें तिरोभाव महोत्सव पर इस्कॉन मंदिर में श्रद्धांजलि सभा में विदेश से आए हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे। इन्होंने धोती-कुर्ता और पगड़ी पहन इस्कॉन गोशाला में गायों की सेवा की। भगवान का घर बताते हुए विदेशी बच्चे बोल उठे आय एम हैप्पी इन लॉर्ड कृष्णाज हाउस...।

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प्रभुपाद ने बनाया था साधना स्थली

कोलकाता में जन्मे एसी भक्तिवेदांत प्रभुपाद ने श्रीधाम वृंदावन को अपनी साधना स्थली बनाया। अभयचरण डे के घर एक सितंबर 1896 में जन्मे प्रभुपाद की शादी बचपन में हो गई। कोलकाता के स्कॉटिस चर्च कॉलेज में शिक्षा ग्रहण की और कुछ दिन दवा का व्यापार किया, मगर कृष्ण भक्ति की लगन होने के कारण गौड़ीय संप्रदाय के अभिलेख लिखने का कार्य भी करने लगे। इसका प्रभाव इतना पड़ा कि हरे कृष्णा आंदोलन की शुरुआत करने का मन बना लिया। प्रभुपाद द्वारा स्थापित इस्कॉन अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भगवानामृत संघ को हरे कृष्ण आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत 1966 में न्यूयार्क शहर में श्रील प्रभुपाद ने अपने गुरु भक्ति सिद्धांत सरस्वती के आदेश पर देश-विदेश में कृष्ण भक्ति का प्रचार-प्रसार करने को की। उन्होने 59 वर्ष की आयु में संन्यास ले लिया और विभिन्न देशों में कृष्ण भक्ति का प्रचार-प्रसार करने में जुट गए। विदेशियों पर महामंत्र हरे राम, हरे कृष्ण का गहरा प्रभाव पड़ा। उनके अथक प्रयासों से विश्व के अनेक देशों में इस्कॉन मंदिर की स्थापना हो गई। इस्कॉन में असीम शांति का अहसास मिला, तो पूरब की गीता पश्चिम के लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगी।

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