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UP के स्कूलों में डिजिटल क्रांति! आईसीटी लैब्स और स्मार्ट क्लासेस से शिक्षा को डिजिटल रूप देने की योजना

उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में डिजिटल क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। राज्य सरकार ने स्कूलों में आईसीटी लैब्स और स्मार्ट क्लासेस की स्थापना की है जिससे शिक्षा को डिजिटल रूप दिया जा सके। इन संसाधनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने सख्त निर्देश दिए हैं। अब शिक्षकों को पढ़ाई के दौरान टैबलेट और स्मार्ट क्लास जैसी डिजिटल सुविधाओं का उपयोग करना होगा।

By Ashish Kumar Trivedi Edited By: Sakshi Gupta Updated: Wed, 20 Nov 2024 05:31 PM (IST)
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UP के स्कूलों में डिजिटल क्रांति के लिए योजना में बदलाव लाया जा रहा है। (तस्वीर जागरण)
राज्य ब्यूरो, जागरण। उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रयोग को लेकर अब सख्ती की जाएगी। राज्य में शिक्षकों को पढ़ाई के दौरान टैबलेट और स्मार्ट क्लास जैसी डिजिटल सुविधाओं का उपयोग करने की आवश्यकता है, लेकिन हाल के आंकड़े बताते हैं कि इन संसाधनों का प्रभावी उपयोग नहीं हो रहा है। राज्य में 209,863 टैबलेट शिक्षकों को दिए गए हैं।

वहीं 18,381 स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस स्थापित की जा चुकी हैं और 880 ब्लॉक में सूचना प्रौद्योगिकी (आइसीटी) लैब्स भी बनाई गई हैं। बावजूद इसके, शिक्षक इन संसाधनों का भरपूर उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, जो कि शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।

830 बीआरसी पर आइसीटी लैब्स बने

अब प्रदेश सरकार ने इस दिशा में सख्ती बरतने का फैसला किया है। राज्य परियोजना निदेशक कंचन वर्मा द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, स्मार्ट क्लासेस और टैबलेट के उपयोग का नियमित रूप से मूल्यांकन किया जाएगा। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि शिक्षक इन संसाधनों का प्रभावी रूप से उपयोग करें। राज्य में 880 ब्लॉक संसाधन केंद्रों (बीआरसी) पर आइसीटी लैब्स तैयार की गई हैं, जहां विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा दी जाती है। इन लैब्स का उपयोग अब और बढ़ाया जाएगा, ताकि विद्यार्थियों को रोस्टर के अनुसार कंप्यूटर शिक्षा मिल सके।

बीएसए को दिए गए सख्त निर्देश

बीआरसी के आसपास के विद्यालयों के विद्यार्थियों को निर्धारित रोस्टर के अनुसार, आइसीटी लैब में भेजा जाएगा, ताकि वे कंप्यूटर की बुनियादी जानकारी प्राप्त कर सकें। सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस दिशा में सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे रोस्टर तैयार कर यह सुनिश्चित करें कि विद्यार्थी समय पर लैब का उपयोग करें। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्रों को रोस्टर के अनुसार लैब में भेजा जा रहा है या नहीं।

स्मार्ट क्लासेस का उद्देश्य छात्रों को आकर्षक और इंटरएक्टिव तरीके से पढ़ाई करवाना है। यह क्लासेस विद्यार्थियों को वीडियो, एनिमेशन, और अन्य डिजिटल माध्यमों से पढ़ाई का अवसर प्रदान करती हैं, जिससे उनकी समझ और रुचि दोनों में वृद्धि हो। सरकार ने निर्देश दिए हैं कि स्मार्ट क्लासेस में कितनी कक्षाएं पढ़ाई गईं, इसकी जानकारी ली जाए। इसके साथ ही, यह भी जांचा जाएगा कि जिन शिक्षकों को टैबलेट दिए गए हैं, वे इन्हें पढ़ाई में किस प्रकार उपयोग कर रहे हैं।

कंचन वर्मा ने यह स्पष्ट किया है कि इन सभी डिजिटल संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाई जाएगी, जिसे सभी स्कूलों और शिक्षकों को पालन करना होगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि डिजिटल संसाधन शिक्षा में सुधार के लिए सही तरीके से उपयोग किए जा रहे हैं।

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