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राज किशोर सिंह की लाल बत्ती छिनते ही घर-गांव में छायी खामोशी

राज किशोर सिंह 90-91 में छात्र राजनीति से चर्चा में आए। वो एपीएन कालेज छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2000 में जिला पंचायत सदस्य बने और वर्ष 2002 में बसपा के टिकट पर हर्रेया से लड़े और जीते।

By Ashish MishraEdited By: Updated: Mon, 12 Sep 2016 07:29 PM (IST)
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बस्ती (जेएनएन)। पंचायती राज मंत्री राज किशोर सिंह की लाल बत्ती छिनते ही घर में खामोशी गांव में मायूसी और कार्यालय पर सन्नाटा छा गया। गांव के लोगों ने इसको लेकर नाराजगी भी जताई। विधान सभा क्षेत्र हर्रेया में भी समर्थकों में मायूसी के साथ गुस्सा दिखा। दूसरी तरफ भाजपा और बसपा खेमे में खुशी की लहर है। भाजपा की खुशी सड़क पर दिखी,लेकन बसपा इसे बाहर प्रदर्शित करने से बची।

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मंत्री के गांव चंगेरवा में घर के सदस्य खामोश हैं। दरवाजे पर गांव के लोग एकत्र मुख्यमंत्री के प्रति ही गुस्सा दिखा रहे थे। वो इसे छवि खराब करने विरोधियों की चाल भी मान रहे हैं। प्रतिनिधि खादिम हुसेन अपने कार्यालय में गुमसुम समर्थकों के साथ बैठे मिले, लेकिन इसके ठीक बगल में राजकिशोर सिंह के कार्यालय पर सन्नाटा पसरा मिला। इनके विधान सभा क्षेत्र हर्रेया में समर्थक मायूस होकर कार्यालय एवं घर में दुबक गए।

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यहां मुरादीपुर जनसंपर्क कार्यालय में जुटे समर्थक एक दूसरे से मंत्री पद से हटाए जाने के कारण जानने में लगे रहे। इसी बीच किसी का फोन आया और बताया केवल पंचायती राज विभाग छिना है। इस पर थोड़े देर के लिए उनमें खुशी दिखी,लेकिन थोड़े ही देर में सच सामने आने के बाद सबके चेहरे लटक गए।
राज किशोर के कदम से कदम मिलाकर चलने वाले सपा जिलाध्यक्ष राज कपूर यादव ने बर्खास्तगी के सवाल पर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया। राज्यमंत्री राम करन आर्य ने सवाल करते ही फोन काट दिया और इस पर कोई बात नहीं की।

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भाजपा में खुशी,फोड़ा पटाखा,बांटी मिठाई
भाजपा कार्यकर्ताओं ने विक्रमजोत में पटाखा फोड़ा और मिठाइयां बांटी। इनके प्रबल विरोधी भाजपा के अजय सिंह ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अब इनकी उलटी गिनती शुरू हो गई है। दूसरी तरफ शहर में रोडवेज तिराहे पर हियुवा और भाजपा कार्यकर्ताओं ने खुशी मनाई और मिठाई बांटी।

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सत्ता का किया बेजा इस्तेमाल
बसपा के कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी ने कहा कि राज किशोर सिंह ने मंत्री पद पर रहते हुए जनता की भलाई नहीं की बल्कि घर-परिवार को आगे बढ़ाने के लिए सत्ता का खुलकर दुरुपयोग किया।
चौधरी ने जागरण से बातचीत में यह प्रतिक्रिया दी। कहा वर्ष 2014 के लोक सभा चुनाव में भाई को और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बेटे को जिताने के लिए प्रशासनिक मशीनरी का बेजा इस्तेमाल किया। इनके क्रियाकलापों से और जनता त्रस्त हो गई थी। कहा जनता चुनाव में सजा देती इससे पहले ही मुख्यमंत्री ने राज किशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया।

राजकिशोर के प्रतिनिधि ने दी सफाई
विधायक राजकिशोर के प्रतिनिधि खादिम हुसेन ने पंचायती राज मंत्री पर भ्रष्टाचार एवं जमीन घोटाले के लगे आरोपों को एक सिरे से खारिज कर दिया। कहा राजकिशोर जैसे लोकप्रिय एवं जनसमर्थक नेता की छवि खराब करने को यह साजिश रची गई है। मुख्यमंत्री का मंत्रिमंडल में रखना और हटाना उनका विशेषाधिकार है।हालांकि अब तक वो बेदाग हैं और उन पर भ्रष्टाचार एवं जमीन घोटाले का कोई आरोप साबित नहीं हुआ है।

तीसरी बार मंत्री रहे राजकिशोर
राज किशोर सिंह 90-91 में छात्र राजनीति से चर्चा में आए। वो एपीएन कालेज छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2000 में जिला पंचायत सदस्य बने और वर्ष 2002 में बसपा के टिकट पर हर्रेया से लड़े और पहले ही प्रयास में जीत गए। बसपा की सरकार बनी और मंत्री बन गए। पहली बार वह उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बनाए
गए। वर्ष 2003 में मायावती का तख्ता पलट होने के बाद राजकिशोर 40 विधायकों के साथ सपा में शामिल हो गए। मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने और वह मंत्री। विभाग वहीं रहा।

इस तरह वह वर्ष 2007 तक सपा सरकार में मंत्री रहे। वर्ष 2007 से 2012 तक प्रदेश में बसपा की सरकार रही और वो सपा से विधायक। सत्ता बदली और एक बार फिर राजकिशोर सिंह का कद बढ़ गया। वर्ष 2012 में वो लगातार तीसरी बार विधायक और मंत्री बने। तीसरी बार भी मंत्रिमंडल में उद्यान विभाग ही मिला,लेकिन वर्ष 2014 में विभाग बदलकर लघु सिंचाई मंत्री बना दिया गया। वर्ष 2015 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव क बाद इनका सरकार में अचानक कद बढ़ गया। भाई का एमएलसी का टिकट कटा,तो मुख्यमंत्री ने राजकिशोर को पंचायती राज विभाग का अतिरिक्त प्रभार और भाई बृजकिशोर सिंह डिंपल को उर्जा सलाहकार जैसा पद देकर संतुलित किया। इस बीच राज किशोर पुत्र को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाने में सफल रहे।