Lucknow Mayor: महापौर की टिकट दावेदारी में डाक्टर से लेकर शिक्षाविद भी, भाजपा में पचास से अधिक दावेदार
लखनऊ में महापौर के चुनाव में टिकट दावेदारों में डाक्टर से लेकर शिक्षाविद भी शामिल हैं। भारतीय जनता पार्टी में अभी तक पचास से अधिक नाम चर्चा में हैं। टिकट वितरण को लेकर भाजपा में कई नेताओं की प्रतिष्ठा भी जुड़ी है।
लखनऊ, [अजय श्रीवास्तव]। आरक्षण किस करवट बैठेगा? यह तो समय ही बताएगा। सीट के आरक्षण को लेकर हर उन चेहरों की सांसें थमी हुई हैं जो महापौर और पार्षद के चुनाव में अपनी किस्मत अजमाना चाहते हैं। वैसे तो हर दल में संभावित उम्मीदवारों की चर्चा दिखने लगी हैं लेकिन भाजपा में यह संख्या कई गुना है। महापौर पद की दावेदारी में ही अभी तक पचास से अधिक नाम चर्चा में हैं। लखनऊ में महापौर की सीट सामान्य होती है या फिर महिला सामान्य? इस पर भी दावेदारी निर्भर हैं। दरअसल पिछड़ा व अनुसूचित जाति का होना असंभव सा लग रहा है।
वैसे लखनऊ सीट से टिकट तय करने में भाजपा में कई नेताओं की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का संसदीय क्षेत्र होने से उनकी हरी झंडी भी उम्मीदवार के चयन में खास भूमिका निभाएगी। अगर सीट सामान्य (महिला) होती है तो मौजूदा महापौर संयुक्ता भाटिया सबसे सशक्त दावेदार हैं लेकिन पार्टी की नीतियों के अनुसार उनकी दावेदारी में ढलती उम्र बाधा बन सकती है। ऐसे में खुद की उम्मीदवारी में अगर उम्र बाधा बनती है तो वह अपनी बहू रेशू भाटिया को मैदान में उतारकर महापौर का रूतबा घर में रखना चाहती है लेकिन भाजपा की परिवारवाद विरोधी नीति से वह बहू को टिकट दिलाने में कितना सफल हो पाती हैं? यह समय ही बताएगा।
कांग्रेस की पोस्टर गर्ल भी दावेदारों में
'लड़की हूं लड़ सकती हूं' नारे से चर्चा में आईं डा. प्रियंका मौर्य भी टिकट की दावेदारों में शामिल हैं। वह पिछले चुनाव में कांग्रेस से सरोजनीनगर विधानसभा सीट से टिकट चाहती थीं लेकिन न मिलने पर वह कांग्रेस के खिलाफ ही मुखर होकर भाजपा में आ गई थीं। अब वह महापौर का टिकट पाने की दौड़ में हैं।
प्रो निशि पांडेय का नाम भी चर्चा में
लखनऊ विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर निशि पांडेय का नाम भी चर्चा में है और संघ के कार्यक्रमों में उनकी बढ़ती सहभागिता भी देखी गई है। निशि पांडेय कहती हैं कि वह पहले से ही संघ के कार्यक्रमों में जाती रही थीं लेकिन अब लोगों को उनकी सक्रियता अधिक दिख रही है। पिछली बार भी उनको महापौर का टिकट देने की चर्चा हुई थी लेकिन उन्होंने सेवारत होने के कारण अनिच्छा जताई थी लेकिन अब सेवानिवृत्त हैं और मौका मिला तो चुनाव लड़ूंगी।
डा. अखिलेश दास की पत्नी अलका दास का नाम भी
पूर्व मेयर व पूर्व मंत्री स्वर्गीय डा. अखिलेश दास की पत्नी अलका दास का नाम भी चर्चा में हैं। पिछले महापौर चुनाव में ही उनका भाजपा से लडऩा तय हो गया था लेकिन टिकट बंटवारे में संघ (राष्ट्रीय सेवक संघ) की चलने से संयुक्ता भाटिया के नाम पर मुहर लग गई थी। उत्तरी क्षेत्र से विधायक डा.नीरज बोरा की पत्नी बिंदु बोरा भी टिकट पाने वालों की लाइन में हैं। वह इन दिनों सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय भी दिख रही हैं। हालांकि पत्नी नम्रता पाठक के नाम की चर्चा को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक महज चर्चा ही बताते हैं लेकिन महिला आयोग की सदस्य रहीं नम्रता पाठक ने तमाम कार्यक्रमों में शामिल होकर अपनी खुद ही पहचान भी बनाई है। दो साल से उनकी चर्चा महापौर की दावेदारी को लेकर हो रही है।
सामान्य सीट हुई तो दावेदारों की है भीड़
कैंट से पूर्व विधायक सुरेश तिवारी भी प्रमुख दावेदारों में हैं। दरअसल विधानसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद भी उनका किसी तरह का विरोध सामने नहीं आया था और वह अनुशासित कार्यकर्ता की तरह चुनाव लड़ाते दिखे थे। बलरामपुर अस्पताल से चिकित्सा अधीक्षक पद से सेवानिवृत्त और पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय रामप्रकाश गुप्त के बेटे डा.राजीव लोचन भी महापौर का टिकट चाहते हैं। इससे पहले भी वह विधानसभा का टिकट पाने के लिए अपना इस्तीफा भी दे चुके थे। केजीएमयू से 11 नवंबर को सेवानिवृत्त चिकित्सक डा.विनोद जैन भी दावेदारों की सूची में शामिल हैं। गोमतीनगर आवासीय महासमिति के महासचिव व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय प्रभारी व जनसंपर्क राघवेंद्र शुक्ला का भी चर्चा में चल रहा है। इसके अलावा व्यापारी नेता से लेकर पार्टी के कार्यकर्ता तक इस दौड़ में शामिल हैं, जिनकी संख्या पचास से अधिक है।
कायस्थ नामों पर भी चर्चा
लखनऊ में विधानसभा में ब्राह्मण, वैश्य और क्षत्रिय का प्रतिनिधित्व होने के कारण भाजपा में कायस्थ वर्ग को भी साधने की तैयारी चल रही है। विधानसभा चुनाव में पश्चिम सीट से अंजनी श्रीवास्तव को उतारा गया लेकिन वह हार गए थे। अब महापौर सीट से प्रतिनिधित्व बनाए जाने की तैयारी है। उन्हें भी टिकट दिए जाने की चर्चा है तो लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डा.मधुलिका लाल की चर्चा चल रही है। वह कहती हैं कि कुछ समय पहले उनसे संपर्क किया गया था लेकिन अभी उनकी कोई इच्छा चुनाव लडऩे की नहीं है।
केजीएमयू की प्रोफेसर डा. तूलिका चंद्रा का नाम भी चर्चा में हैं। कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री रहे स्वर्गीय नरेश चंद्रा की बेटी तूलिका ने बचपन से ही राजनीति को देखा है लेकिन उनके नाम की चल रही चर्चा के बारे में पूछा गया तो वह हंस कर ही जवाब दे गईं। कहा, अभी तो पांच साल की नौकरी बची है। इसे वह महज चर्चा ही बता रही हैं।