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डॉ. कफील खान की फिर बढ़ेंगी मुश्किलें, हाई कोर्ट के फैसले को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने रासुका के तहत डॉ. कफील खान की हिरासत को रद करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। राज्य सरकार का कहना है कि डॉ. कफील खान का अपराध करने का पुराना इतिहास रहा है।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Sun, 13 Dec 2020 10:53 AM (IST)
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डॉ. कफील खान की मुश्किलें फिर बढ़ सकती हैं।
लखनऊ, जेएनएन। बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के लेक्चरर डॉ. कफील खान की मुश्किलें फिर बढ़ सकती हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत डॉ. कफील खान की हिरासत को रद करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। राज्य सरकार का कहना है कि डॉ. कफील खान का अपराध करने का पुराना इतिहास रहा है। यही वजह है कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। उन्हें नौकरी से निलंबित किया गया। उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई और उन पर रासुका तक लगाया गया।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने डॉ. कफील खान को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर), नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) के विरोध में भड़काऊ बयान मामले में एनएसए के तहत नजरबंद किया था। इस मामले में एक सितंबर, 2020 इलहाबाद हाई कोर्ट से उनको राहत मिल गई थी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि एनएसए के तहत डॉ. कफील को हिरासत में लेना और इसके बाद हिरासत की अवधि को बढ़ाना गैरकानूनी है। हाई कोर्ट के फैसले के बाद डॉ. कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया था। अब यूपी सरकार हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

यूपी सरकार ने कहा- कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की : योगी सरकार ने याचिका में कहा है कि डॉ कफील को यह जानकारी देने के बाद भी कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के आसपास धारा-144 लागू है और हाई कोर्ट ने भी एएमयू के 100 मीटर के दायरे में धरना और रैली पर रोक लगा रखी है, उन्होंने वहां जाकर छात्रों को संबोधित किया और भड़काऊ भाषण दिया। उन्होंने कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की। उसी भड़काऊ भाषण का ही नतीजा था कि 13 दिसंबर, 2019 को एएमयू के करीब 10 हजार छात्रों ने अलीगढ़ शहर की ओर मार्च करना शुरू किया था। यदि पुलिस हिंसक छात्रों को समझाकर नहीं रोकती तो सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका थी। राज्य सरकार का कहना है कि हाई कोर्ट का फैसला सही नहीं है।

यह है पूरा मामला : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 12 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन में डॉ. कफील खान, योगेंद्र यादव भी शामिल हुए थे। आरोप है कि डॉ. कफील खान ने वहां भड़काऊ भाषण दिया। इस पर अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाना में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। 29 जनवरी, 2020 को उन्हें गिरफ्तार करके मथुरा जेल भेज दिया गया। 10 फरवरी को सीजेएम अलीगढ़ ने डॉ. कफील की जमानत अर्जी मंजूर कर ली लेकिन, 13 फरवरी को जिलाधिकारी अलीगढ़ ने रासुका के तहत निरुद्धि का आदेश दे दिया। डॉ. कफील की मां ने रासुका की वैधता को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद हाई कोर्ट से उनको राहत मिल गई।

डॉ. कफील दो बार जा चुके हैं जेल : डॉ. कफील खान को दो बार जेल भेजा जा चुका है। बाबा राघवदास अस्पताल गोरखपुर में ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न होने के कारण 10 और 11 अगस्त 2017 को दर्जनों बच्चों की मौत हो गई थी। इस पर डॉ. कफील खान को निलंबित कर दो सितंबर, 2017 को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया, बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। फिर एएमयू में भड़काऊ भाषण देने के मामले में आठ महीने तक जेल में रहने के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर रिहा किया गया।

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