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सूखे बुंदेलखंड में रोजगार की बारिश करेगा डिफेंस कॉरीडोर

डिफेंस कॉरीडोर परियोजना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को झांसी में केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक की थी।

By Ashish MishraEdited By: Updated: Wed, 18 Apr 2018 01:14 PM (IST)
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सूखे बुंदेलखंड में रोजगार की बारिश करेगा डिफेंस कॉरीडोर
लखनऊ (जेएनएन)। सूबे में प्रस्तावित डिफेंस कॉरीडोर रक्षा उपकरणों के आयात पर देश की निर्भरता कम करने के साथ सूखे की विभीषिका झेलने वाले बुंदेलखंड में रोजगार सृजन के द्वार भी खोलेगा। रक्षा मंत्रालय अगले तीन महीने में डिफेंस कॉरीडोर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर लेगा।

डिफेंस कॉरीडोर परियोजना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को झांसी में केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक की थी। बैठक में हिस्सा लेकर लौटे अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आइआइडीसी) डॉ.अनूप चंद्र पांडेय ने बताया कि डिफेंस कॉरीडोर के तहत छह क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। यह क्लस्टर अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर और लखनऊ में प्रस्तावित हैं। क्लस्टर के विकास के लिए इन छह जिलों में कुल 3000 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की जा चुकी है।

परियोजना के लिए कंसल्टेंट नियुक्त किया जा चुका है जो इन छह स्थानों पर सर्वे कर परियोजना की प्री-फीजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करेगा। कंसल्टेंट से तीन महीने में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। वहीं, केंद्र सरकार से परियोजना की डीपीआर तीन महीने में तैयार कर लिए जाने की अपेक्षा है। डिफेंस कॉरीडोर में शुरुआत में 20 हजार करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। इसके जरिये तीन लाख लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की संभावना है।

पांडेय ने बताया कि डिफेंस कॉरीडोर 'मेक इन इंडिया के सिद्धांत पर विकसित किया जाएगा। परियोजना को अमली जामा पहनाने के लिए मददगार साबित होने वाला आधारभूत ढांचा प्रदेश में पहले से ही मौजूद है। एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर में रक्षा उपकरण बनाने वाली सरकारी और निजी क्षेत्र की कई कंपनियों के कारखाने उत्तर प्रदेश में हैं। इनमें प्रमुख रूप से केंद्र सरकार के नौ आयुध कारखाने और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की तीन विनिर्माण इकाइयां शामिल हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र के इन उपक्रमों के अलावा सैनिकों की वर्दियां, इंजीनियरिंग गुड्स, कंपोनेंट आदि बनाने वाली निजी क्षेत्र की इकाइयां भी प्रदेश में हैं। विनिर्माण इकाइयों को कलपुर्जे सप्लाई करने वाली तमाम एन्सिलरी इकाइयां भी हैं। डिफेंस कॉरीडोर के तहत निजी क्षेत्र के लिए डिफेंस और एयरोस्पेस पार्क विकसित करने की मंशा है।

डिफेंस कॉरीडोर में निवेश आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार एयरोस्पेस एंड डिफेंस पॉलिसी लागू करेगी जिसका ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। झांसी में बैठक के दौरान रक्षा उपकरण बनाने वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों से भी प्रस्तावित नीति के बारे में सुझाव लिए गए।

आइआइटी कानपुर और आइआइटी बीएचयू एकेडमिक पार्टनर

डिफेंस कॉरीडोर परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए सरकार विशेषज्ञ शिक्षण संस्थाओं की मदद भी लेगी। इस लिहाज से आइआइटी कानपुर को एयरोनॉटिक्स और स्टार्ट अप तथा आइआइटी बीएचयू को मेटलर्जी के क्षेत्र में सहयोग देने के लिए एकेडमिक पार्टनर चुना गया है।

इन पर होगा फोकस

-सैन्य ऑटोमोबाइल और ऑटो से जुड़े कंपोनेंट्स।

-रक्षा उपकरणों और तोपखाने के लिए टेस्टिंग लैब/रेंज।

-पुलिस आधुनिकीकरण, फोरेंसिक सेंटर।

-ड्रोन मैन्युफैक्चङ्क्षरग व टेस्टिंग सुविधाएं।

-एयरक्राफ्ट/हेलीकॉप्टर निर्माण/एसेंब्ली /रिपेयर यूनिट।

यह प्रोत्साहन प्रस्तावित

-निजी क्षेत्र के लिए 'प्लग एंड प्ले सुविधाओं से लैस डिफेंस पार्क।

-डिफेंस कॉरीडोर में निवेश पर ज्यादा प्रोत्साहन।

-कई तरह के ब्याज उपादान।

-फ्रेट और ट्रांसपोर्टेशन चार्ज, शोध व अनुसंधान तथा टेस्टिंग सुविधाओं के विकास के लिए सब्सिडी/विशेष छूट।  

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