UP News: इन कारणों से बढ़ा महिलाओं में बांझपन का खतरा, विशेषज्ञों ने दी ये खास सलाह
Women Fertility महिलाओं में बांझपन का खतरा बढ़ गया है। लखनऊ स्थित प्रयोगशाला केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों ने फूड-सप्लिमेंट में जेनिस्टीन अधिक होने से बांझपन का खतरा बताया है। फूड सप्लीमेंट्स में पाए जाने वाले जेनिस्टिन-समृद्ध आहार का नियमित सेवन ठीक नहीं है।
लखनऊ, [रामांशी मिश्रा]। सोयाबीन और टोफू में पाये जाने वाले एक तत्व जेनिस्टीन की मांग इन दिनों बढ़ गई है, क्योंकि प्रोटीन की अधिकता के साथ ही जेनिस्टीन स्वास्थ्य बेहतर रखने में बेहद कारगर सिद्ध हुआ है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के लखनऊ स्थित प्रयोगशाला केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) में डा. राजेंद्र सिंह और डा. नैवेद्य चट्टोपाध्याय के टीम ने दो वर्षों तक जेनिस्टीन पर हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय 220 शोधों पर एक मेटा-विश्लेषण किया है।
इसमें चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। मेटा-विश्लेषण विभिन्न शोध के परिणामों का निचोड़ होता है, जिनके विश्लेषण से कुछ नए परिणाम सामने आ सकते हैं। यह मेटा विश्लेषण (शोधपत्र) 'एंड्रोलाजिया' नामक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस शोध से पता चला है कि जेनिस्टीन का पुरुष और महिला प्रजनन प्रणाली पर प्रभाव पड़ता है। डा. नैबेद्य कहते हैं कि सोया खाद्य के माध्यम से जेनिस्टीन के सेवन का प्रतिकूल प्रभाव नहीं है लेकिन फूड सप्लीमेंट्स में पाए जाने वाले जेनिस्टिन-समृद्ध आहार का नियमित सेवन ठीक नहीं है।
गर्भाशय या प्रसव के दौरान जेनिस्टीन यदि भ्रूण तक पहुंच जाए तो पुरुष भ्रूण की प्रजनन प्रणाली पर वहीं से असर पड़ने लगता है। वयस्क पुरुषों में, जेनिस्टीन शुक्राणुओं की संख्या कम कर देता है। अब तक के निष्कर्षों से फूड सप्लीमेंट्स में जेनिस्टीन के उपयोग पर नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलेगी। हमने फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया (एफएसएसएआई) को जेनिस्टीन की मात्रा नियमित करने का प्रस्ताव भी भेजा है। इससे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता बेहतर हो सकेगी।
क्या है जेनिस्टीनः जेनिस्टिन एक फाइटोएस्ट्रोजन (फाइटो यानी पौधा और एस्ट्रोजन एक हार्मोन) है जिसकी रासायनिक संरचना महिलाओं में पाए जाने वाले एस्ट्रोजन हार्मोन से मिलती है।
कितना उपयोगः जेनिस्टीन मुख्य रूप से सोयाबीन और फवा (बकला) बींस में पाया जाता है। इसके अलावा छिलके वाली दालों और मटर जैसे दलहन फसलों में कुछ ही मात्रा में पाया जाता है। सोया में, यह 0.08% पर होता है जो किसी भी पौधे से प्राप्त भोजन में सबसे अधिक है। इसका मतलब है कि 100 ग्राम सोया उत्पाद से 0.08 मिली ग्राम जेनिस्टीन शरीर में पहुंचता है। वहीं, जेनिस्टीन-समृद्ध सोया काम्प्लेक्स के रूप में बेचे जाने वाले कई खाद्य पूरकों में एक कैप्सूल (2 मिलीग्राम) में 25 गुणा अधिक जेनिस्टीन प्रदान करते हैं जो नुकसानदेह है।